पृष्ठम्:Ashtadasha-smriti-sangrah.djvu/१४२

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

उप गया ९ त - गया 1 छप गया 1५!

भभैन की जहरीली भैस ते कयो हैन हते हो!

कपो हव प्रकार की .बात तो भारत के प्राचीन सम्राट्‌ . चत म. प्रधान सन्त्री ५ दचा्य चाणेयक ने भाज से २२०० वष -.पच स्मपने महान्‌ अन्य “ +. === कौटलीय अथेशास्न------

< क ञ्ज लिल-दी थी, लेकिन गह शान्न भारतीयों को -नसीष नहीं था, सव्रसे पडते जमनो मं छपा था नौर ८) मे विकता था इश्च अन्य मे राजनीति की सभी बातो को : विस्तार पूरक लिखा दे चौर यड विद्या

चैक





छा चरन करते समय मानों मूख प्यास नष्ट करने कै कितने ह लस्वे; श्र -की फोजों को गनपा पागल.

~. ` करने की गसं, आग बरसानें के उपाय, रात में देखने के लते, स्मन को. खुला देने बालो ग“ ५५३ ।

हजारो बातं भरी पडीद्ं। .. इसी भन्थ मे खुफिया -पुलिस को स्थापना छलौर खोज :करने.के प्रकार, राज -दरवः.८; ` ` मः

रजार्भो, राजङुमारो. रानियों भौर राज भन्तियो ॐ कर्तव्यो का व्योरे वार वणेन हे इस भन्न रक ८६८

बात लाखों सपर्या से भी सस्ती है । यइ भरन्थ जां राजनेतिकर चेत्र म सर्वोत्तम हे, वहां इसके ५4; ३

„ धार्मिक जगत्‌ भं उच्चकोटि के हं यह्‌ बी शास्त है जिसेः- बम्ब यूनीवसिंटी ने 8. ^. “प : भ :

बनारस यूनिबंधिटी ने भा वाये शौर कलकत्ता यूनिवसिटी ने भथमा योर मध्यमा में स्वीकार किया. दे,।


जित्व बन्यी होने. पर भी भूत्य केवल ६) दै डार.खचं अलग केवल एर प्रति मंगाकर देख ।


१.8 =-= Bharath Nagaraj Rao (सम्भाषणम्) >£

` वर्णाश्रम ओर राजधर्मं ॐे.एक महाने ग्रन्थ का प्रकाशनं

. ~ आवार्य चाणयक के अथंशासं से.मी प्राचीन श्रीशक्राचायं जी पदाराज लिखित । ` शः (= र { = । कै र ८ हिन्दू राजनीति के प्रधान प्रन्थ कौटलीयः अर्थं शाज्ञ कौ माषोलुवाद्‌ः खदित मंडलं ने प्रक शित करके ^ ` आपकी सेवा मे उपस्थित कर दी द्या । हम बड़ी असमता से यह. निबेदन +करते दह शि हमारे इश

` ` भद्म्थशोख" का डिर्द्‌ जगत मे बड़ा स्वागत इभाः षड़ाधङ़ आडर चाये, वड़े वड़े महाराजा, प्रोफेसर शआ्ाचा्ध. तथा अनेक संस्थाश्चो, ने बड़ी सदातुमूति के साय अपनाया ह हिन्द जनता की.अपने प्राचीन , ` भ्न्थो की चोर बंद्ती इई इस रुचि को देखकर यह निसन्देह कहा जा. सकता है कि -अव न्दू र्ट का ~ अभरन होने बाला हे । सदाभारत चर्‌ कौटलीय अथ शाख क पचात्‌ जन यद तीसरा मदान्‌ भरन्थ शक्रनीतिः ाषावुरवाद -सर्हितःशीच प्रकाशित किया जारदा ह इस मदान्‌ मन्थ मँ बणाश्रम धमे, सजधमं का पूरा पूरा बणंन दै साथ द इसमे युदक उपथोगी-- तोप, गोले, बरद) आदि बनाने ॐ प्रकार मौर सखे भी लिखे द जनं देखकर आप दङ्ग रह जावेगे । वास्तव मे दिन्द्र

ढे यह अन्थ-रत्न अमी तक सवैलाणारण. कौ दृष्टि से श्मोमलथे। - ` इस भ्रन्य लगभग २५०० श्लोक ह महाभारत सादज क.७९० श हंगे । वद्या कागज श्लौर

मूल्यं लात त्र मचागाथं केवल १) होगा । डाक खच अलगः राज ही एक प्रति का `





मारत काय्य, दिसली

क इ, ( ५ †१

यह सदान भन्थ बडे . साइज के ७०० पृष्टों मे छपा हे, फरटक्ताघ्च पेपर मोती सी द्पाई चोर सुल्दर † +

`. ` त्रच-शामली, जिला पजफफरनगर यु° पौ”

हि ॥ ह ॥ म ह कै ॐ ॥ न णो # 9, ~ नन ४ न न+ + < ; ९७ ०५८१४ कि ना ११ जी? निः +~ रः भ 4 = -~ चः