पृष्ठम्:Advaita Siddhi with Guru Chandrika vyakhya.djvu/११९१

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सं. 2 2 224 पु. 204 भोक्तादिसूत्रे –सं. शा 2-79 295 भोगार्थ सृष्टिरित्यन्ये-गौ. का. 1-9 (म) 3 87 मन उदक्रामन्मीलित इव- -? 2 194 2 194 3 67 मनश्च मन्तव्यं च - प्रश्न. 3 3 2 1 3 2 2 1 2 3 1 1 3 3 2 2 2 2 2 2 मनननिदिध्यासनाभावे – विवरण (अर्थानुवाद) मनननिदिध्यासनाभ्यां—विवरण. 4-8 91 मनसा वा अग्रे सङ्कल्पयति – ? 91 मनसैव मनो जयेत् - ? मनोमयमिदं विश्वम् – ? मनोऽस्य दैवं चक्षुः – ? 345 261 - 89 मनो होचक्राम - बृ. 6-1-11 मयश्च शम्बरश्चैव–हरिवंश –? 430 485 206 मयाध्याक्षेण प्रकृतिः - गीता मयि सर्व प्रतिष्ठितम् –कै. उ. मय्यनन्तगुणेऽनन्ते – ? महत्तत्वाद्विकुर्वाणात् – ? 301 67 177 89 महीघटत्वम् – वि. पु. 2-12-42 73 माममृतं कृधि - ॠ. सं. —— 7-5-27 295 78 मामेव ये प्रपद्यन्ते – गीता 7-14 मायामात्रं तु – ब्र. सू. 3-2-3 304 माया च तमोरूपा बृ. उ. ता. 9 305 मायया संनिरुद्धः - श्वे. 9-10 महान्तं विभुमात्मानम् –कठ. 1-2-22 4-9 माया ह्येषा मया सृष्टा - मोक्ष. 347-44 11-5-31 429 4:30 मायामृगं दयितयेप्सितम्-गाग. 294 मायां तु प्रकृतिम् – श्वे. 4-10