पृष्ठम्:Advaita Siddhi with Guru Chandrika vyakhya.djvu/११७८

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सं. 1 2 पु. 288 शानमुत्पद्यते पुंसाम् – ? 272 211 2 308 ज्ञानस्वरूपो भगवान् - वि. पु. 2-12-38 208 ज्ञानं यथा सत्यमसत्यमन्यत् शाशावीशानीशौ – श्वे. 1-9 1 3 11 2 281 2 346 1 99 1 275 2 203 2 297 2 1 2 2 1 3 1 3 1 ज्ञानानन्दाद्यभिन्नत्वात् - वि. पु. 2-12-2 1 407 ततो मायां परां चक्रे - हरिवंशः 2-106-15 2 289 ततो यदुत्तरतरम - श्वे. 3-10 - 2 199 तत्तु समन्वयात् – ब्र. सू. 1-1-4 1 335 तत्परत्वात्परत्वाञ्च–प्रमाणमाला 2 283 2 171 तत्त्वज्ञानान्निश्रेयसाधिगमः- न्यायसूत्रम् तत्त्वपक्षपातो हि - भाम. (अध्यास) तत्त्वब्रह्ममार्गे सम्यक्संपन्न - जाबाल 9 276 332 10 203 —- तत्त्वावेदकमान–सं शा. तत्त्वमस्यादि – बृ. वा. 183 तत्त्वमसि-छा. 6-8-7 2-83 तत्तेज ऐक्षत, ता आप ऐक्षन्त - छा. --- तत्याज भेदं – वि. पु. 2-16-24 तत्र को मोहः – ईश 7 1-1-1 6-2-3, 4 तत्र तद्दद्यात् - आप. श्रौ. 24-21 तत्रार्थशून्यं विज्ञानम् - मी. श्लो. 220 पुट तत्रापि पूर्वमुपगम्य-सं. शा. 2-58 93 तत्रैकत्वं वनवत् - भाम. 2-1-15 (अर्थानुवाद) 88 तत्रैवं सति कर्तारम् - गीता 18-16 494 तत्सत्यं स आत्मा-छा. 6-8-7 66 तत्सत्यमसौ स आदित्यः - बृ. 5-5-2 48 तत्सदासीत् - छा. 3-19-1