पृष्ठम्:स्वराज्य सिद्धि.djvu/२७८

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वेदांत केसरी कार्यालय की पुस्तकें ।

महा वाक्य-आस्तिक मनुष्यों के आचरण करने योग्य वेद् के महा वाक्य अपनी विशेषता ही रखते हैं। तत्त्वबोध को प्रत्यक्ष कराने के लिये महावाक्यों को छोड़कर अन्य कोई साधन नहीं है। ये अत्यन्त गूढ़ होते हुए भी इनकी इस पुस्तकमें दृष्टांत सहित सरल व्याख्या की गई है।

जीवन्मुक्ति और विदेहमुक्ति का अनुभव भी इसमें भली प्रकार समझाया है। मूल्य रु० १)

उपनिषत् [ ५१ 1-इसमें भिन्न २. प्रकार की उपासना, ज्ञान के अपूर्वः अनुभव तथा योग की रहस्यमय क्रियाश्रों का अनुभव युक्त वर्णन है। जमा कार्य प्राचीन दस उपनिषत् से विलम्ब से होता है वही इनसे बहुत सुलभता से होता है। ये उपनिषत् संस्कृत भाषा में होने से हिन्दी जानने वाले इनसे लाभ नहीं ले सकते थे, इसीसे सरल अनुवाद करके छापा है। यह मुख्य दशोपनिषत् को छोड़कर ५१ उपनिषत् का संग्रह है। मूल के साथ मिलाने के लिये सुभीता रहे इस हेतु से यथा स्थान श्लोकांक भी दिये गये हैं ।

सुन्दर छपाई के ५५० के करीब कंपड़े की जिल्द् का मूल्य केवल रु० २॥)

ब्रह्म सूत्र-(वेदान्त दर्शन) शांकर भाष्य भाषानुवाद सम्पूर्ण दो भाग-उपनिषदों में 'आत्मज्ञान संबन्धी अनेक ऐसे कथन प्राये हैं जो ऊपर ऊपरसे देखने में परस्पर विरोधी मालूम होते हैं। उनकी एक वाक्यता करके वैदिक तत्त्वज्ञान को विशुद्ध