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प्रतीकः |
श्लोकसंख्या
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शुकार्थमुग्धा |
App. V. 8
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षङ्मोनं कृतवृक्क्रये |
" X 5
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संस्थाप्य चेतत्र |
" I.ii. 7
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सम्पन्नशारीर |
" V. 9
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सरोजबन्धोर्दिनभुक्ति |
2.10
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सारं गीतं |
App. II.6
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सुभक्तशिष्टं खलु |
" I.ii.9
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सुसूक्ष्मा भास्करादीना |
" VI. 6
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सूर्यात् खखाद्रि |
1.16
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सूर्यादीनां मान्द |
1.12
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स्थानाडयोर्ध्वात् |
App.1.ii.14
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प्रतीकः |
श्लोकसंख्या
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स्थाप्य ग्रहा्णां |
" 1.ii.13
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स्फुटनिर्णयतुल्यमिदं |
IV 9
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स्वदेशजस्तेन |
I. ii. 12
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स्वल्पचापघन |
3.11
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स्वोच्चव्यासार्धवृत्तं |
App. IX. 2
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स्वोच्चानित मध्य |
3.4
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हत्वा नूत्नातपत्राप्तं |
App III 3
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हत्वार्कमध्यमनिज |
4.13
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हरेण मौर्व्यास्तु |
3.3
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ह्रत्वा खरांशो |
App I.ii.17
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