पृष्ठम्:सरस्वतीकण्ठाभरणं‌(व्याकरणम्)-भागः-३.pdf/318

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सूक्षम, शपः शपथे {3-1-62) श'भारद्वज (--I-66) शब्दद्दर्दुरं (4+4-84) दाच्दान्तरगतै (8 1-126) शम्याट्लन् {4-4-28) રારો.sરોધો (!-8-2? 1 ) शरदः श्राद्धे (4-8-10 4) शरदर्भतृण (4*4-17) शरद्वन्छुनक (4-181) इारीर सद्योज्ञ (4 2 107) शरीरावयवात् (1-4 192) शर्कराया वा {4-2-14)) शलङ्ककोष्ट्रवोः (4-1-78) शलालुनो (4-4-111) शसो नः |{3-1-186) शाकपर्थिव {8-2 103) शाक्लाद् वा (4-3-269) शार्षिीर्लभ्य (4-1=100} शिक्षाभिक्षा (4-4 121) शिवाय वलच्{4-2-14.5} शिविकपेिभ्या (5-4-120) fñtöiq (4-4- 2) शिरोलोमभ्या (4-1-88} fr、索哈>牙:(4-4-112) शिवप्रोछ {4-1-84) शिशु कन्दयों (4 3 20 }} शीडो रत् ($-l 6) शीर्षीय मायातू (!-1-188} शीलमपूपादेिभ्य. {{ 4-118} शंfी वा (ā--11) शुक्राद् घन् (4 2 30) इक: कृष्णेन (3 3 33) इच्छगल {4 1 99y ঘুষ্টিভঙ্কা (-4-3-192) शुन सम्प्रसारणी ( 4-!-l86) ধ্রুপদিষ্ট {{-1 105; पृष्ठम, } सूझम. ! | शुधाभ्रदश्र (4-1-146) 16 153|| श्रदःच्वामहरपूर (1-4-10) 114 2 || शूर्पाच्च नायात् (4 1-150) 168 22 शलेखाभ्यां यत् (4 2 21) 187 267 | शॆषमुभयोः (8 8-48) 95 262 | शयन परस्मैपदानि (8-1-115) 36 282 | Siኛ (4-8-l ) 213 0; । शेषे प्रथमः (8•1-50) 27 15õ | እrdi ማ§mሸ፲፭፡ (8-8-1) 83 208! शेोणचण्डाराळ (3-4-14) 27 294 शोभिहिताहाँ (8-2-129) 212 शैण्डधूर्तकितव (32.57) 154 | शैनिकसाङ्गरव (4 3-980) 254 281 ।। 3मक्षुः केशाद् (8-8 66; 98 g.4 | 3पावात (4-1-149) 68 0 | श्येतैनहरित (3 4 50) 22 262। श्रद्ध मेधया (8-3 24) S9 159 { श्रविप्रपाटाभ्याँ (4-8 188) 237 288 || श्रणामास {4-4-186) 284 211 | भुवsनाडप्रते:{3-1-109) 8 1g6 | श्रेण्येकपूरा (3-2-102) O 27路 (36 س4 =4) اسة اa Toiة أ 0 1 五45} 熔可苓9可{4-1 09》 16 281 | श्वशुरस्योदन्त (3 4-113) 34 155, স্বস্থাল (4 -1-129) 164 550) { *धस्तुट्च (4-8-107) 233 2| षड्भ्यश्चोपका (4-1-196) 蓝78 11 | પછી (8-2-182) 75 982 पष्ट्री चान्दरे (3-1-269} 44ه ५9| qध्रौं देपे (3-1-280) 44ه 1go । पछी हेतो प्रयोगे (8-1-282) 49 8g || षष्ठ्यतसर्थे (ā 1-256) . 159 | षछ्या क्न्थेशीनरेपु (3-8 125) 105 ४g| पैितीं छ{{3 4 62} 22 5g:8 | प्णः संस्थाया {3 1-179) 33 dৱহাৰ (8-1-22!} 3.