पृष्ठम्:सरस्वतीकण्ठाभरणं‌(व्याकरणम्)-भागः-३.pdf/317

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• सूत्रम. रैवतकश्चापिसि { 4-8-266} रोगातपयव (1-3-106) रोग्रः सापूर्वीय: (4-2-111) लक्षणकल्प {4-2-51) लक्षणुश्यमयोः (k-1-10) लक्षणेनाभिप्रती (3-2-2)) १लध्वक्षरे (3-3.? ललाटाद भूषणे 4-3-172) लवणदृश्रु (4-4-10:)) i लवणास्लु (4-4-?6) लस्तितस्झि {3-1-1' लाक्षारोचनाम्यां (4-8-2) दलालटेिक { 4-4-9?} लिडो यासुट् (8-1-20) लिट इरेन् (3-1-8} लय पूजाभिभवयों (3-1 118) क् च च ५4-3-240) छकू तद्वित (3-3-144) ३४-यंभूव: (d-1-39) छ्क त्रिंया (4-1-11) छट: प्रथमयोः (3-1-16} ‘लेटे च कुषः ( 8-1-144) छपि प्रकृति (3-3-146) छुप्च (4-4-86) लुप.तदविशेपे (4-2-8) लुबाख्यायेि कासु (4-8-206) लचलयमान (3-2-28) लोकान्तात् {4-3-165) लोट एरुः (3-1-1?) लभेम्नोऽपस्र्येषु (4-1-b) लेोहितशृंगाशित ( -4f} लोहितादिभ्य: {3-4-35) 'त्यञ्ठोपे कर्माधिकरणयो.8-1-246) 48 पंतश्च् (4• ! •58} ዓd"።TUፍኛ (ã-4-128) ब्रtप्तशालाभिजित् (4 B.180) 261

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193 54 100 24. 281 2ሽ 6 29 있 2 256 पृप्रम् | सूत्रम्, यमादीनां टॉप (8-1-24) धयसा च {4- 4-152) यस्यचरमे (3-4-}?) धरणशिरीप (4-8-117) घराहपलाश (4-2-136) वर्गन्तात् ( 4-3-168) वर्णानां च (8 3-87) वणे वर्णन (:3-2-05) | घर्षौ बुकु (4 8-16) | वर्षीप्रावृइभ्यां 4-3 116) · | पर्युकोपरि (4-1-l86) 188 वल्गूवलभी (4-2-148) न मतः |{4-4-146) बसन्तप्रोष्मादिषु (3-3-88} वसन्तवर्ष (4-2-4!}) 'वसिछादिभ्यो 4-3-24) 可卤式(4·4-61) 110| वहस्तुरिटू (4-3-270) 62 3. 26 269 184 250 55 24.2 4 140 148 9 50 16 वाकिनगरेधक {4-1-168) & rdqiq. (3-4) वा गोमये (4-3-66) f वाजादसमासे {4-1-58) | वातादूलश्ध (4-2-?6) वान्ताद्रम्यां (4-1-148) वंबिन्त: (3-8-122} घा भ्रष्टकपिछलाभ्यां (4-1-197) वामदेवाद् (4-2-12} चामरथ (4-1-168} 'वाय्वृत्तपत्रुषसी (4-2-36) | वर्थ च (8-3•4) ' , | वालवायाद् प्रयो (4-8-200)- ' वा लिप्साय १3-1•69} r T (3-3-45) , वां संज्ञायr t3-4-78) चामुदेवानाभ्यां (4-8-219) 236 धाही कभामेभ्य: {4-8-5 l? 2. t 28 2. 209 23 101 9 25 234 1 ሺ 5 212 286 0. 92 256 273 262 170 25 225 149 198 168 06 178 185 168 19) ཐང་ཀ་གང་833 -249 1. 94 37 23 2383 عی۔