हेमन् न ( न० ) १ सुवर्ण | सोना | २ | जल | पानी ३ बर्फ हिम ४ धतूरा ५ केसर का फूल | -श्रृङ्ग, (वि० ) सुनहला ।-यङ्गः, ( पु० ) १ गरुड़ | २ शेर सिंह | ३ सुमेह पर्वत । मवमवाजोद्गणसख्यवर प्रफुल्लली परेशालिः | विलानपयः प्रपतनुयासे हेमन्तकातःगतः प्रिये ॥" ऋतुसंहार | ४ ब्रह्मा । ५ विष्णु ६ ईसलः (पु० ) १ सुनार | २ कसौटी | ३ गिरगट | ( न० ) सोने का बाजूबन्द | - अद्रिः, ( पु० ) हेय ( वि० ) त्यागने योग्य | छोड़ देने योग्य | सुमेरु पर्वत - भोजं, ( न० ) सोने का हेरं ( न० ) १ मुकुट विशेष | शिरोभूषण विशेष कमल | [ यथा- २ हल्दी | हेमांभोजप्रसवि सलिलं मानसस्वाददानः | -मेघदूत | ] ( १=२ -अमोरहं, (न० ) सुनहला कमल । -- आदः ( go ) जंगली चंपा का पेड़-कंदलः, (पु०) मूँगा।-करः, --कर्तृ, कास, कारकः, | ( पु० ) सुनार 1 – किंजल्कं, (न० ) नाग- केसर का फूल - कुम्भः ( पु० ) सोने का घड़ा। -कूटः, ( पु० ) एक पर्वस का नाम । -केतकी, ( स्त्री० ) स्वर्णकेतकी नामक पौधा | -गंधिनी ( स्त्री० ) रेणुका - गिरिः, (पु०) | सुमेरु पर्वत /- गौर, ( पु० ) अशोक वृक्ष - इन्न, (वि० ) सुवर्ण से अच्छादित | सोने से मा हुआ । ~छन्नं, ( न० ) सोने का ढकना । - ज्वालः, ( पु० ) अझि | - तारं ( म० ) तूतिया । दुग्धः, - दुग्धकः, (पु० ) सघन गुलर का पेड़ /- पर्वतः ( पु० ) सुमेरु पर्वत । -पुष्प:- पुष्पकः, ( पु० ) १ अशोक वृक्ष २ लोधवृक्ष | ३ चंपकवृक्ष । ( न० ) १ अशोक का फूल | २ गुलाव विशेष का फूल । --चलं, -चलं, (न० ) माती (-मालिन, ( पु० ) सूर्य ।-~~-यूथिका, ( स्त्री० ) सुनहली मल्लिका । - रागिणी, ( स्त्री० ) हल्दी । -शङ्खः (पु०) विष्णु का नामान्तर । —शृङ्ग, ( न० ) सुनहला सींग २ सुनहली चोटी या शिखर-सारं, ( न० ) नीलाथोथा । —सूत्रं, -सूत्रकं, (न० ) गोप नामक कण्ठाभरण विशेष । ) नं ( न० तं ( न० : हेरंब: है (पु०) गणेश | २ भैसा | शेखीबाज वीर | हेरम्बः ) - जननी, ( स्त्री० ) गणेश जननी श्री पार्वतीजी । हरिकः ( पु० ) जासूस। भेदिया। हेलनं ( न० ) ) उपेक्षा तिस्कार अपमान ३ हेलना ( स्त्री० ) | हतक हेला ( स्त्री० ) १ तिरस्कार २ आमोद प्रमोदमय क्रीड़ा ६ उरकट मैथुनेच्छा ४ श्राराम सुसाध्यता । सौलभ्य | चाँदनी । जुम्हाई । हेलाकः ( पु० ) घोड़े का व्यापारी । हेलिः (g० ) १ सूर्य । ( स्त्री० ) स्वेच्छाचारिता । हेवाकः (५०) उत्सुकता | हेवाकस (वि०) उच्च | अतिशय । अत्यन्त प्रचण्ड | हेवाकिन ( वि० ) अतिशय उत्सुक या इच्छुक जायते मतोर्निरुपम -- पश्यामदेवादिन सामान्य वार्ता विपत्तायरि | पशु ...फन्दन । हेप ( धा० श्रा० ) [ हेपत, हषित ] घोड़ की तरह हिनहिनाना रेंकना गर्जना | हेपः, ( पु० ) ) हा (बी० ) (हिनहिनाइट रेंक हेपित ( ० ) ) हेपिन् (पु० ) घोड़ा । हेहें ( अव्यया० ) किसी को पुकारने के काम में आने वाला धन्यय विशेष है (अव्यया० ) सम्बोधनात्मक अभ्यय । वसः (पु॰}{ पटश्ऋतुओं में से एक । मार्गशीर्ष हैतुक ( वि० ) [ स्त्री० --हैतुको ] १ कारणास्मक | और पौष अर्थात् अगहन और घुस मास । कारणसम्बन्धी या निर्देशक : २ तर्कात्मक प्रज्ञावत्ता यौक्तिकता।
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