पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/९६९

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स्यान स्थोन ( न० ) प्रसन्नता आनन्द । स्योनः ( 5० ) किरन २ सूर्य | ३ चोरी | संस् (धा० श्रा० ) [ संसते, स्रस्त] १ गिरना। उपक पड़ना रपट जाना।२ डूब जाना ३ लटकना । ४ जाना । संसः ( पु० ) गिरन फिसलन | 1 सनं ( न० ) १ गिरम २ गिरवाने की क्रिया नीचे उतरवाने की क्रिया । सविन (वि०) [ खी० स्रग्विणो ] मालाधारी | लज् ( श्री० ) पुष्पमाला फूलका राजरा - वामन् [ स्रग्दामन ] ( म० ) फूलके गंजरे की गौंड --- घर ( वि० ) मालाधारी - धरा, (स्त्री० ) वृद्ध विशेष । स्रंसिन् (बि० ) [ श्रंसिनी ] 1 गिरने वाला लट- कने वाला २ मूलने वाला। सँह (धा० आ० ) [ संहते ] विश्वास करना | भरोसा | वूि (०प० ) [ श्रीमति स्रुत ]1 जाना। करना । २ सूत्र जाना | स्रवः ( वि० ) १ टपकाव । चुनाव | २ बहाव धार ३ चश्मा | सोता । स्रवणं ( [१०] ) १ शुभाव | टपकाव | रिसाव | २ पसीना। ३ पेशाब | स्रोतस् वस्तरः ( पु० ) शय्या सेज कोप्च 1 स्रवत् (वि० ) [ स्त्री स्रधंतो ] बहने वाला 1- गर्भा, ( स्त्री० ) १ पेट गिराने वाली औरत २ किसी दुर्घटनावश गिरे हुए गर्भ वाली गौ । अष्ट्र ( पु० ) १ बनाने वाला | २ सिरजन हार 1 रचने वाला ३ ना | 1 स्राकू ( धन्यवा० ) फुर्ती से | तेजी से । नावः ( पु० ) बहाव । रिसाव टपकाय स्रावक ( वि० ) [स्त्री० -त्राधिका] बहने वाला । टपकने वाजा । स्रस्त] ( व० कृ० ) 1 गिरा हुआ टपका हुआ । २ लटकता हुआ । ३ ढीला किया हुधा | ४ खोला हुआ। ५ लटकता हुआ ६ अलग किया हुआ । -अंग, ( वि० ) १ ढीले अंगों वाला २ मूर्च्छित स्रावकं ( न० ) काली मिर्च : त्रिभू (घा०प० ) [ मत ] चोटिल करना । वध करना। त्रिभू (घा०प० ) [ भिति ] चोटिल करना। बंध करना | स्रज्वा (स्त्री० ) रस्सी । डोरी। ढोरा । स्रद्धू ( स्त्री० ) अपान वायु गोज़ पाद | स्त्रधी (स्त्री० ) सानी । संभू } (श० श्रा० ) [ सम्भते, स्रब्ध ] : विश्वास | स्रुच (स्त्री० ) काठ का खुवा।प्रणात्निका (श्री०) सम्भू ) करना। भरोसा करना । स्र (भा०प० ) [ नवनि, स्त्रत ] 4 वहना। २ उड़ेलना बहाना ३ जाना ४ शून्य होना यह जाना टपक जाना। ५ ( किसी गुप्त बात का ) फैज जाना। स्रुधः ( पु० ) एक जनपद का नाम जो किसी समय पाटलिपुत्र से एक मंजिल पर था। सुवा की नाली जिसमें होकर घो अग्नि में डालने समय बहाया जाता है। स्रुत ( वि० ) बहने वाला | टपकने वाला । स्रुतिः ( स्त्री० ) १ वहाव । रिसाव उपकाव | २ राल | धूना ३ चश्मा स्रुवः ( पु० ) } १ यज्ञीय पात्र विशेष । सुवा । २ स्कुँवा (स्त्री० ) ) सोता। चश्मा । 5 त्रेक ( धा० आा० ) [ खेकते ] बाना । | खै ( धा० प० ) [ स्रायति ] जना । पसीना निकालना। स्नोतं ( न० ) चश्मा | सोता। | स्रोतस (न०) १ धार | चश्मा | सोता । जलप्रवाह | तेज प्रवाह वाली नदी । २ नदी । ३ लहर। ४ जल । ५ इन्द्रिय । ६ हाथी की सूंद। अंजनं, स्रोतोञ्जनं ) सुर्मा --ईशः, (पु० ) ( उपालना। २ पसी