पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/९६७

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स्फोटन सुनने से मन में उदय होता है। (मीमांसकों का) धनादि शब्द । -- बीजकः ( पु० ) भिलावा | स्फोटन (वि० ) [ स्त्री० – स्फोटनी ] प्रकटन प्रकाशन साफ़ करना । स्फोटनं ( न० ) १ सहसा तड़कना । फटना चिरना | अनाज फटकना । ३ उँगली फोड़ना या खट काना । स्फोटन: ( पु० ) संयुक्त व्यञ्जन वर्गों का पृथक् पृथक् > उच्चारण । स्फोटनी ( स्त्री० ) छेद करने का औज़ार । बर्मा । स्फोटा (स्त्री० ) साँप का फैला हुआ फन । स्फोटिंका (स्त्री० ) पक्षी विशेष स्फोरणं ( न० ) देखो स्फुर स्फ' (न०) यज्ञीय पात्र विशेष जो तलवार के कार का होता है। चर्तिनिः, ( ) इस औजार से बनाई हुई रेखा या कुंड । कम ( अव्यया० ) १ यह जब किसी वर्तमान कालिक क्रिया वाची शब्द में लगाया जाता है तब वह शब्दभूत कालिक क्रिया का अर्थ देता है । २ निषेध और वर्जन में भी इसका प्रयोग होता है। स्मयः ( पु० ) १ आश्चर्य साज्जुब २ श्रहंकार । अकड़ | उँगली के गारं, (ज०) स्मर: ( पु० ) १ यादगारी स्मरणशक्ति | २ प्रेम । ३ कामदेव ! –अङ्कशः, ( पु० ) १ नस्त्र । २ प्रेमी । औँशिक । रसिया :- -~-कूपकः (पु०) – गृहं, (न०) - मंदिरं, (न०) योनि । भग । स्त्री की जननेन्द्रिय – अन्ध, ( वि० ) प्रेम से धंधा 1-आतुर, उत्सुक, (वि० ) प्रेमविह्वल । -श्राश्वः, ( पु० ) थूक | खखार - कर्मन, (न० ) कोई भी रसिक कर्म । -गुरुः ( पु० ) विष्णु । --दशा, ( स्त्री० ) प्रेम के कारण उत्पन्न हुई शरीर की दशा । -ध्वजः, ( पु० ) १ इन्द्रिय | २ मत्स्य विशेष | ३ वाद्ययंत्र विशेष ध्वजं, ( न० ) स्त्री की जननेन्द्रिय | भग । योनि ।– ध्वजा, स्मि ( स्त्री० ) चाँदनी रात । प्रिया, ( स्त्री० / कामदेव की स्त्री रति 1- भासित, (वि० ) प्रेम से विह्वल-मोहः ( पु० ) प्रेम से मति का मारा जाना ।~~लेखनी, ( श्री० ) मैनापही । सारिका पड़ी। -वल्लभः, (पु० ): वसन्त ऋतु । २ अनिरुद्ध का नाम :- श्रीधिका. (स्त्री०) रंडी | वेश्या - शासनः, (१० ) शिव जी - सखः, (पु० ) चन्द्रमा स्तम्भः (पु० ) लिङ्ग पुरुष की जननेन्द्रिय । -रुमर्थः, ( पु० ) गधा । रासभ । हरः, ( पु० ) शिव जी । स्मरणं ( न० ) १ याद ! स्मरण | २ किसी के विषय में चिन्तन । ३ परंपरागत अनुशासन । ४ किसी देवता का मानसिक बारबार नाम कीर्तन करना । ५ सखेद स्मरण । ६ साहित्य में अलंकार विशेष | यथा । “यमानुभवय दृस्प स्मृतिः स्मरणम् ।” - अनुग्रह (पु० ) १ कृपा पूर्वक स्मरण | २ स्मरण करने का अनुग्रह - अपत्यतर्पकः, ( ५० ) कछुवा । (न० ) स्मरणों की अनसमसामयिकता - पदवी (स्त्री० ) मृत्यु । योग स्मार (वि० ) कामदेव सम्बन्धी : स्मारं ( न० ) स्मरण याददाश्त । स्मारक ( वि० ) [ स्त्री०- स्मारिका ] स्मरण कराने बाला| याद दिलाने वाला । स्मारकं (न०) कोई बस्तु जो किसी को स्मरण कराने के लिये हो । स्मरण स्मारणं ( न० ) स्मरण कराना | याद दिलवानः । स्मार्त ( वि० ) १ स्मरण शक्ति सम्बन्धी किया हुआ। स्मारक | २ स्मृति में लिखा हुआ | स्मृति पर निर्भर । ३ चाईनी पुस्तकों का अनुसरण करने वाला २ गार्हपत्य (यथा अग्नि ) स्मार्तः ( पु० ) १ स्मृति शास्त्रों में दक्ष ब्राह्मण्य : २ परंपरागत आईन को मानने वाला । एक सम्प्रदाय विशेष | स्मि (धा० आ० ) [ स्मयते, स्मित ] : हँसना । मुसकुराना २ खिलना फूलना। सं० श० कौ०-१२१