सावमिक ( ३२० सावर्णिक ( वि० ) [ स्त्री० - सार्वघर्णिकी ] १ हर प्रकार का हर तरह का हर जाति का हर वर्ण का | सार्वविभक्तिक (वि० ) [ बी० - सार्वविभक्तिकी ] | सब विभक्तियों में लगने वाला। सब विभक्ति सम्बन्धी । अपना समस्त द्वथ्य यज्ञ की दक्षिणा अथवा अन्य किसी वैसे ही धर्मानुष्ठान में दे डालने वाला। सार्ववेदसः ( पु० सार्ववैद्यः (पु० ) वह ब्राह्मण जो सब वेदों का जानने वाला हो । सार्षप (वि० ) [ स्त्री०- सार्षपी ] सरसों का बना हुआ। सार्षपं ( न० ) सरसों का तेल कडुआ तेल | सार्थ (वि० ) समान पद या अधिकार वाला समान पदवी वाला साता (स्त्री० ) १ पद या अधिकार में समानता या तुझ्यता । पाँच प्रकार को मुक्तियों में से एक प्रकार की मुक्ति । साट ( न० ) चौथे वर्जे की मुक्ति । मालः (पु० ) 1 साल नाम का वृक्ष। उसकी राल । २ वृक्ष | ३ किसी भवन के चारों ओर की परकोटे की दीवालें या छारदीवारी | ४ दोवाल | ५ मछली विशेष । सालनः ( पु० ) साल वृक्ष की राल । वह साला ( स्त्री० ) १ दीवाल। छारदीवाली | २ मकान | कमरा । कोठा । कोठरी करी, १ कारीगर जो अपने घर ही में काम करे । २ पुरुषकैदी (विशेषकर युद्धक्षेत्र में पकड़ा हुआ) । सालारं (न० ) दीवाल में जड़ी हुई और बाहर निकली हुई खूँटी। सालूरः ( पु० ) मेड़क । सालेयं ( न० ) सौंफ या सोए जैसा पदार्थ विशेष | सालोक्यं ( न० ) १ दूसरे के साथ एक ही लोक या स्थान में निवास | २ पाँच प्रकार की मुक्तियों में ) सावयव से एक। इसमें मुक्तजीव भगवान् के साथ अथवा अपने अन्य आराध्य देव के साथ एक ही लोक में वास करता है। सलोकता। साल्वः ( पु० ) १ देश विशेष | २ एक स्य जिसे विष्णु भगवान् ने मारा था। हन्, ( पु० ) विष्णु भगवान् । माल्विकः ( पु० ) सारिका (मैना ) नामक पड़ी। सावः ( पु० ) देवता या पितृ के उद्देश्य से दिया हुआ जल मयादि का दान। साधक (वि० ) [ स्त्री० साविका ] उपजाऊ । उत्पादक। सावकः ( पु० ) शावक। किसी भी जानवर का बच्चा। सावकाश (वि०) वह जिसको अवकाश हो। अवकाश के समय का खाली निट्टल्ला । ठलुआ | सावग्रह ( वि० ) अवग्रह चिह्न वाला । सावज्ञ ( वि० ) घृण्य | निन्द्य | तिरस्करणीय सावद्य ( न० ) ऐश्वर्य । तीन प्रकार की योग-शक्तियों में से एक। यह योगियों को प्राप्त होती है। अन्य दो शक्तियों के नाम “निरवद्य" और "सूक्ष्म" है। सावधान (वि०) १ सचेत सतर्क होशियार । सजग चौकल र चौकन्ना | खबरदार | ३ वुद्धि मान् । सावधि (वि०) सीमा सहित । सीमाबद्ध मर्यादित J सान्त । सावन (वि०) [ स्त्री० – सावनी ] तीन सवनों बाला तीन सवनों से सम्बन्ध रखने वाला। सावन: ( पु० ) १ यजमान | यज्ञकर्त्ता | यज्ञ कराने के लिये ऋत्विक, होता आदि नियत करने वाला। यज्ञ की समाप्ति। वह कर्म विशेष जिसके द्वारा यज्ञ समाप्त किया जाता है । ३ वरुण । ४ तीस दिवस का सौर्यमास | ५ सूर्योदय से सूर्यास्त तक का मामूली दिन या दिनमान । ६० दण्ड का समय । ६ वर्ष विशेष सावयव ( वि० ) अवयवों या अंगों या भागों से बना हुआ।
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