पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/९२५

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सारस सारसः (g०) १ सारस हंस २ पक्षी ३ चन्द्रमा ( न० ) 1 करधनी | पटुका | कमरपेटी । सारशन कमरबंद | २ सामरिक कमरबंद विशेष | सारस्वत (वि०) [ स्त्री० - सारस्वती ] १ सरस्वती देवी सम्बन्धी २ सरस्वती नदी सम्बन्धी ३ वाक्पटु ( ९१६ सारस्वतं ( म० ) वाकपटुता भाषण चाही। मारस्वतः (पु०) सरस्वती नदी के तटवर्ती एक देश विशेष का नाम । २ इस नाम की ब्राह्मण जाति विशेष | ३ वेल को लकड़ी का दण्ड । सारस्वताः (पु० बहु० ) सारस्वत देश वासी । साराजः (पु०) दिल्ली। तिल । सारिः] } ( श्री० ) 1 शतरंक का मोहरा | २ पची सारी विशेष फलक ( पु० ) शतरंज की वित सारिका ( स्त्री० ) मैना जाति की चिड़िया। सारिन् (वि०) [ स्त्री०-सारिणी ] १ जाने वाला। चलने वाला २ सारवान् । मारू ( न० ) १ समान रूप होने का भाव। एक- रूपता | सरूपता २ पाँच प्रकार की मुक्तियों में से एक प्रकार की मुक्ति इसमें उपासक अपने उपास्य देव के रूप में रहता है और थन्त में उसी उपास्य देवता का रूप प्राप्त करता है। ३ नाटक में शक्कु मिलती जुलती होने के कारण किसी के धोखे में किसी की क्रोधावेश में भर्त्सना । . J सावलौकिक 3 [[] की टोली या काफिले में पालायोसा हुआ हो चाहः, (पु० ) यात्रीण्यापारी दल का नेता या नायक व्यपारी सौदागर सार्थक (वि० ) १ अर्थवाला | अर्थ सहित उपयोगी काम का मुफ़ी लाभद सार्थवत् (वि० ) १ अर्व वाला अर्धसहित २ बड़े समुदाय या समूह वाला 1 सारोष्ट्रिकः ( पु० ) विप विशेष i सार्गल ( वि० ) रोका हुआ। अवरुद्ध | अड़चन डाला हुआ। सार्थ (दि० ) 1 अर्थसहित २ वह जिसका कोई उद्देश्य हो । ३ एक ही अर्थ वाला। समानार्थक ४ उपयोगी काम लायक । २ घनी धनवान | [1] } ) 'S सार्थ: ( पु० ) १ घनी आदमी २ यात्री सौदागरों: की टोली (काफ़िला) | ३ टोली दल ( एक जाति के पशुओं का ) हे| रौहर | गल्ला : ५ समुदाय । समूह ६ तीर्थ यात्रियों की टोलियों में से एक ।-~ज, (वि०) वह जो यात्री सौदागरों 3 सायिकः ( पु० ) व्यापारी सौदागर | साई (वि० ) भींगा | नर | सील बाला तरी चाया। नम 1 सार्च ( वि० ) खोदा | सार्धम् (अन्यथा० ) सहित। साथ | समेत सार्प । साये । २ ( पु०) आरक्षेपण नक्षत्र | सापि (वि० ) [ स्त्री० - सार्पियो ] सार्पिक (वि० ) [श्री०- सादिकी] में तला हुआ | श्री मिश्रित सार्वकामिक ( वि० ) [ जी०-सार्वकामिकी ] हर प्रकार की समस्त कामनाओं को पूरा करने वाला। सार्वजनिक (वि०) [स्त्री०-सार्वजनिकी]) सर्व- सार्वजनीन (वि०) [स्त्री०-सार्वजनीनी]) साधा- रख सम्बन्धी धाम पवलिक का 1 घी में राधा हुआ। घी सार्वशं ( २० ) सर्वशवा | सार्वत्रिक ( वि० ) [ बी०-सार्वत्रिकी ] हर स्थान का सर्वत्र से सम्बन्ध रखने वाला। सार्वधातुक ( वि० ) [ सी०-सार्वधातुकी ] सब धातुओं में व्यवहत होने वाला। सार्वभौतिक (वि०) [स्त्री० - सार्वभौतिकी] हरेक तत्व था प्राणी से सम्बन्ध रखने वाला २ जिसमें समस्त भारी सम्मिलित हों। सार्वभौम (वि० ) [ स्त्री० -- सार्वभौमी ] समस्त भूमि सम्बन्धी सम्पूर्ण भूमि की , ४ सार्वभौमः ( 50 ) सम्राट् । चक्रवर्ती राजा । शाहंशाह । २ उत्तर दिशा का दिक्कुअर सार्वलौकिक (वि० ) [ स्त्री०-सार्वलौकिको ] सर्वसंसार में व्यास