पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/९१४

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सर्वा २ विकुल १३ सम्पूर्ण सर्वत्र | सर्वदा (०) सदैव हमेशा सर्वशस् ( अव्यया० ) १ पूर्ण रूप से । समूचेपन से। २ सर्व | ३ सब ओर। सर्वाणी देखो शर्वाणी। सर्वपः (पु० ) १ गई। सरसों २ तोल विशेष ३ विप विशेष | सन् ( भा० १० } [ सलनि ] जाना | हिलना । दोलना। नितान्त सल्की (सी० ) वृह विशेष । सवं ( न० ) १ नज। फूल का शहद । सवः ( पु० ) १ सोमरस निकालने की भेट नैवेद्य | ३ यज्ञ | सूर्य | सम्वति। औलाद। 1 ( १०८ ) सलं (न० ) पानी जन । सलियां ( म० ) पानी -अर्थिन, (वि० ) प्यासा ---थाशवः, ( पु० ) तालाब । जलाशय । --- इन्धनः (पु० ) बनवानल।-उपप्तकः (पु०) बल का वृहा जलप्रलय 1-क्रिया, (स्त्री० ) मुझे को जल से स्नान कराने की क्रिया ।२ | सवित्री (स्त्री० ) १ माता | २ गौ । उदकक्रिया /अं. ( म० ) कमल निधिः ( पु० ) समुद्र । } सलज्ज (वि० ) लज्जालु | लजीता। हयादार। सलील ( वि० ) १ खिलाड़ी रसिक लंपट सलोकता ( स्त्री० ) चार प्रकार की मोषों में से एक। सविनयं (अव्यया० ) हयादारी से। अपने आराध्य देव के लोक में वास । . सवयस (वि०) १ एक उम्र का किया । २ चन्द्रमा | e सवनं (२०) १ सोमरस का निकालना या पीना | २ | यज्ञ | ३ स्नान | प्रक्षालन उत्पन्न करना | हमउम्र २ सभव- यस्क साथी | मैं सहयोगी । ( स्त्री० ) सहेली | सखी | का ३ एक ही जाति का ४ एक ही प्रकार का २ एक ही उधारण स्थान से उच्चारण किये जाने वाले वर्ण । सविकल्प ) ( वि० ) १ पेच्छिक | पसंद का। २ सविकल्पक / सन्दिग्ध ३ निर्विकल्पक का उला। सविग्रह (वि० ) १ शरीरधारी | २ अर्थवाजा | जिसका कुछ अर्थ या मानी हो । ३ झगड़ालू / सगढ़ने वाला । सवितशे } { वि० ) विचारधान । विदेशी । सवितर्क अव्यया० ) विचार पूर्वक | समझदारी सविमशे से। अवरः (पु० ) १षि जी २ पानी। जल । सवर्ण (वि० ) १ समान रंग का | २ समान रूप रंग सवितृ (वि० ) [ स्त्री०- सवित्री ] उत्पादक | पैदा करने वाला देने वाला । ( पु० ) १ सूर्य । २ शिवजी | ३ इन्द्रदेव | ४ धर्फ हुए मदार का पौधा | सविध (वि० ) : एक ही तरह का या प्रकार का। २ समीप । निकट | सविस्तर (वि० ) न्यौरे बार। विस्तार पूर्वक / सविस्मय ( दि० ) आम्रर्यचकित | विस्मित | ४ उत्पत्ति | लड़के | समृद्धिक (वि० ) व्याजू | व्याज देने वाला । सवेश ( वि० ) १ सजा हुआ भूषित २ समीप नजदीक | सविधं ( म० ) पड़ोस । नैकटर | सामीप्य | सविनय (वि० ) लज्जालु । हयादार | विनम्र | सविभ्रम ( वि० ) क्रीडासत | रंगीला | रसिक | सविशेष ( वि० ) : विशिष्ट गुणों वाला विशेष लवयाकान्त । २ विलक्षण विचित्र असा धारण ३ ग्रास विशेष ४ मुख्य प्रधान उत्कृष्ट सर्वोसम | १ प्रभेदात्मक विभेदक । . 1 सव्य (वि० ) १ बायाँ बायाँ हाथ | २ दक्षिणी । ३ उलटा। विपरीख। पिछाड़ी | ४ सीधा /- इतर ( वि० ) दहिना। -- साचिन, (पु० ) अर्जन की उपाधि । कारण यह है :-