अम्ल (५०) खापण २ सिरका १३ विभिन्न प्रकार के अभ्लरस तरु। ४ चकोतरा का वृक्ष १ डकार । ध्ययमित (वि० ) १ अनियंत्रित | बेकाबू | २ दिना सम्हाला हुआ। बिना सजाया हुआ। अल (पु० ) एक वृक्ष का नाम लकूया। (वि० ) १ जो कुम्हलाया न हो। जो मुर | अयशः (पु० ) कलह । अपवाद कर, करो, भाषा हुआ न हो। २ साफ स्वरह चमकीला पवित्र विना बादलों का 2 (वि० ) अपकोर्तिकारी बदनामी कराने वाला। अयशस वि० अपकीर्तित । बदनाम फलङ्कित अयशस्य (वि० ) बदनाम । कलङ्कित | 3 प्रस्तानि (वि० ) सतेज | सचल | [ हरियाली। अम्लनिः (सी०) १ सतेजता सवलता | २ ताज़गी। अम्लानिन् (वि० ) साफ | स्वच्छ । ( अम्लिका ) ( श्री० ) ३ मुँह का खट्टापन | खड़ी अम्लीका डाकर । २ का वृक्ष | अम्तिमन ( पु० ) खट्टापन ध्ययू (धा० आत्म० ) [ कभी कभी यह परस्मैपदी भी होती है, विशेष कर "उत्" के संयोग से ) [ धयते, अयांच, भवितुं आयित ] जाना । · गमन करना । श्रयः (१० ) १ गमन २ पूर्वजन्म के शुभ कर्म । ३ सौभाग्य खुशकिस्मती ४ (खेलने फा) पांसा ~~अम्वित, -अयवत्, (वि० ) भाग्यवान् । खुशकिस्मत | अयद (न० ) निरोगता संदुरुस्ती । ध्ययः ( पु० ) बुरा यह यज्ञ नहीं। प्रयज्ञिय (वि०) १ यज्ञ के अयोग्य ( जैसे उर्द ) । २ यज्ञ करने के अयोग्य (जैसे अनुपवीत बालक ) ३ गँवास | दूषित | अयक्ष (वि०) जिसमें यल न करना पड़े। अयक्षः ( पु० ) यस का अभाव सहज सरल अथ (अव्यया० ) जो ज्यों का त्यों न ठीक न हो। भूल से गलती से अनुचित । अयोग्य।–वत्, (धन्यथा॰) राजती से। अनुचित रीति से अयथार्थ्य प्रयंत्रित ( वि० ) बेकाबू जो वश में न हो। मन- मुखी। स्वेच्छाचारी | र अयथार्थानुभव: (30) अनुचित या मिथ्या अनुभव । अन्य वस्तु में अन्य वस्तु का ज्ञान । ध्ययनं ( न० ) १ गमन २ मार्ग रास्ता । ( सूर्य की ) गति । ( यह गति उत्तर या दक्षिण होती है। ) ३ स्थान | धावसस्थन ४ ब्यूह का मार्ग या द्वार। दक्षिणायन उत्तरायण। अयस् (न० ) लोहा २ ईसपात ३ सुवर्ण ४ कोई भी धातु ३ अगर की लकड़ी । ( पु० ) अग्नि । आगअयं अग्रक ( न० ) हथौड़ा । मूसल 1-काण्डः, (५०) १ लोहे का तीर | २ उत्तम खोहा २ लेहे का ढेर |-- कान्तः, ( अयस्कान्तः ) (पु० ) १ धुंबक पत्थर | २ मूल्यवान् पत्थर महि ।कारः, (3०) चुहार :- कोटं, (न० ) लोहे का मोर्चा -~-मलं, (न०) लोहे का मल-मुखः (पु० ) लोहे की नोंक का सीर। शकु (पु०) १ भाला । २ कील | ३ परंग ।-~शूलं, (न०) १ लोहे का भाला २ तीच्या उपाय -हृदय, (वि.) कड़ा हृदय । निर्दयी । अयस्मय ( न० ) ) [ स्त्री० - अग्रोमयी ] लाई अयोमय ( न० ) ) की या अन्य किसी धातु की बनी हुई। प्रयाचित (वि० ) बिना भोंगी हुई त, (पु०) ---वतम् ( न० ) विना माँगी भीख पर जीवन व्यतीत करना । अयाचित (न० ) बिना माँगी भीख । हो। ठीक-ध्ययाज्य (वि० ) वास्य पतित | वह व्यक्ति जिसको यज्ञ नहीं कराया जा सकता। प्रयात (वि० ) नहीं गया हुआ -~ग्राम, ( वि० ) रात की रखी या बासी नहीं। ताज्ञी। टटकी। अयथार्थिक (वि० ) [ स्त्री० -अयधार्थिकी ] १ झूठी अनुचित ठीक नहीं। २ असली नहीं। असकृत । असंलग्न युक्ति अयथार्थ्य ( न० ) १ अयोग्य अशुद्धि २ अस इति । अक्षमता |
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