कवल्य ( and ! सच्चा (५०)[१] भविष्यद्वका | २ ऋषि मुनि । ( न० ) सच्चाई | सम्यता चद्य, (वि०) सच्चा। घ, ( न० ) सचाई। सत्यता 1- वाच, (वि० ) सच्चा | स्पष्टता ( ० ) ऋषि | २ काक | कौवा - वाक्यं : न० सत्य- कथन | - वादिन, ( वि० ) १ सत्य बोलने वाला । २ सञ्चा । निष्कपट स्पष्ट बच्चा /- व्रत, -सङ्घर, सन्ध. ( वि० ) १ सत्यप्रतिज्ञ | वचन को पूरा करने वाला | २ ईमानदार | सच्चा -- श्रावणं. (न० ) शपथ खाने वाला - सङ्क्राश ( वि० ) आपाततः अनुमोदनीय या सन्तोषजनक | 1 सत्यं ( न० ) १ सच | २ सचाई ३ नेकी | भलाई । पुण्य ४ शपथ । प्रतिज्ञा | २ प्रत्यक्ष सिद्ध सत्य ६ चार युगों में से प्रथम युग स्वर्ण युग | ७ जल | पानी । सत्यं (व्या० ) सच्चाई से यथार्थतः । वस्तुतः । सन्यः (पु० ) १ ऊपर के सप्त लोकों में से सब से ऊँचा लोक, जहाँ ब्रह्मा जी रहते हैं | २ अश्वस्थ वृक्ष | ३ श्री राम जी का नामान्सर ४ विष्णु का नामान्तर ! नान्दीमुख श्राद्ध का अधिष्ठाता देवता । सत्यकार: ( पु० ) १ किसी सोदा या ठेके का सका रना २ पेशगी। साही । सत्यवत् ( वि० ) सच्चा ( पु० ) सावित्री के पति ! सत्यवान् का नामान्सर | । सत्यवतो ( स्त्री० ) एक मधुवे की लड़की जो पीछे वेण्यास की माता हुई थी। -सुतः, (पु० ) वेदव्यास | सत्या ( पु० ) : सच्चाई सत्यता २ सीता का नामान्तर | ३ दुर्गा देवी ४ सत्यभामा ५ द्रौपदी | ६ सत्यवती, जो वेदव्यास की जननी थी । ) मदा सत्राजिन् ( पु० ) सत्यभामा के पिता का नाम । सन्चर ( दि० ) शीघ्र | तुरन्त सत्वरं (अन्य ) सीता से । फुर्सी से सत्कार ( वि० ) शीघ्रता से अस्पष्ट बोला हुआ। सन्धूत्कार: ( पु० ) वह भावण जिसमें शीघ्रता से कहे गये अस्पष्ट वचन हों : सत्यापनं ( न० ) सत्य का पालन । सत्य का भाषण | ( ठेके या किसी लैन दैन को ) सकारना । सत्र देखो सत्र | सत्रप ( वि० ) लज्जित । शर्माला । सदः ( पु० ) वृक्ष के फल । दंगकः ( पु० ) केकड़ा
स वदनः ( पु० ) बगुला | बडीमार | सदनं ( न० ) १ घर महल भवन | हवेली २ शैथिल्य थकावट | ३ जल ४ यज्ञमण्डप ५ विराम । स्थिरता | ६ यमराज का प्रावासस्थान | | सदय ( वि० ) दयालु | रहमदिल । कृपालु । सद (अव्यया० ) कृपया रहम दिली से सद (न० ) १ आवास स्थान रहने की जगह २ सभा मजलिस-गतः, ( वि० ) सभा या मजलिस में बैठा हुआ । गृह | सभाभवन । सदस्यः (पु० ) १ सभासद् | २ असेसर। जूर पक्ष ३ यज्ञ कराने वाला। याजक स ( धा०प० ) [ सदनि सन्न ] १ बैठना। लेटना | उरुक जाना २ हय जाना ३ रहना। बलगा ४ उदास होना । हिरोंसा होना । ५ सड़ना नष्ट होना बरबाद होना | नष्ट होना । ६ कष्ट में पड़ना। पीड़ित होना | ७ रोका जाना। ८ थक जाना। शिथिल पड़ जाना जाना । सब शिव जी पवन २ सदा ( अव्यया० ) १ निष्य | सदैव हमेशा सर्वदा निरन्तर समय :- श्रानन्द ( वि० ) सदैव प्रसन्न । - श्रानन्दः, ( पु० ) का नामान्तर --- गनि: ( पु० ) सूर्य ३ मोक्ष | मुक्ति :-नाया. नीरा, ( स्त्री० ) १ करतोया नदी का नामान्तर | २ वह नही या सोता जिसमें सदैव जल बहा करे 1- दान, (वि० ) १ सदैव दान करने वाला | २ । वह हाथी ) जिसके सदा मद बहता हो।-