पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/८८२

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सकट (वि० ) इरा कुरिसत पापी सकंद ) ( दि० ) १ कढीला कोटेदार सकराट) भयानक । सकंटकः सर: } ( 50 ) शैवज | सियार सर्कए, सद्द संहृष्ट ( य० कृ० ) १ उमङ्ग से खड़े हुए रोएँ । पुलकित प्रफुद्ध | प्रसन्न । आह्लादित । २ अत्यन्त उत्साही । संहादः (५०) ऊँचा शोर शोर | कोलाहल | चीख सकाशः ( पु० ) वर्तमान पड़ोस । सामीप्य संडीय ( चि० ) १ शर्मीता | सकुचीदा २ अत्यन्त | सकुति ( वि० ) सहोदर एक पेट से उत्पन्न p लज्जित किया हुआ | संकपन सकम्पन ( ८७६ ) " कष्टदायक ( वि० ) कपकपा । थरथराने वाला । सकरुण (वि० ) दयालु | सक (वि०) [स्त्री०सक, सकर्णी] १ कानों वाला । २ सुनने वाला। सकर्मक ( चि० ) १ जो कर्म करता हो या जिसने कोई कर्म किया हो । २ व्याकरण में वह क्रिया जिसका उसके कर्म पर समाप्त हो । सक्थि सकाल (अव्यया० ) समय से बड़े तड़के बड़े 1 भोर । सकल्पः (पु० ) शिव जी का नाम । सकाकोलः ( पु० ) २१ नरकों में से एक का नमि। काम (वि० ) १ वह व्यक्ति जिसे कोई कामना या इच्छा हो) २ वह व्यक्ति जिसकी कामना पूर्ण हुई हो। लधकाम ३ कामवासनायुक्त व्यक्ति | मैथुन की इच्छा रखने वाला व्यक्ति | कामी । सकामं ( अन्यथां० ) ३ सहये २ सन्तोष सहित । ३ दरहीत । सकाल ( वि० ) सामयिक । सकाश ( वि० ) जो दिखलाई पड़े। पास समीप । निकट | सकुल (वि०) १ उपचकुल का । २ एक ही कुक्ष का ३ वह जो परिवार वाला हो । परिवार सहित । सकुलः (g० ) जात विरादरी का | २ सकुली जाति की मछली । सकल (वि.) १ अवयवों या भागों सहित २ सब सर्व समस्त । कुछ | ३ धोमे और कोमल स्वरों वाला ~वर्ण, ( वि० ) यह जिसमें | सकैतव (वि० ) धूर्त | दुग्रावास क और अधर हो । सकुल्यः ( पु० ) १ परिवार के लोगों में से एक। २ चौथी, पाँचती या छठवीं अथवा सातवीं, आठवीं या नवमी पीढ़ी का भाई विरादर ३ दूर का सम्बन्धी । सकृत् (अन्यथा०) एक बार २ एक अवसर पर । पहले पूर्वकाल में ३ एकदम फौरन तुरन्त ४ साथ साथ। ( पु० जी० ) मल | विष्ठा | -गर्मा, ( सी० ) खबर --प्रजः, ( पु० ) काक । कथा : प्रसूता --प्रसूतिका, (स्त्री० ) वह स्त्री जिस के एक सन्तान हुई हो। वह गाय जो केवल एक बार व्याई देर। फला, (सी० ) केले का वृक्ष सकैतवः (पु० ) आदमी धूर्त आदगी । गुंडाजन | कोष (० कुछ । क्रोध में भरा सकोपं (अव्यया० ) क्रोध के साथ कुपित होकर सक ( व० कृ० ) १ मिला हुआ । सटा हुआ। संलग्न २ जड़ा हुआ। गड़ा हुआ। ३ सम्बन्ध- युक्त। - वैर, (वि० ) जो सदैव बैर रखता हो । सक्तिः ( सी० / १ स्पर्श संसर्ग संगम । ३ । अनुराग अनुरक्तता भक्ति | समिथ (पु० ) १ जाँच ( अंधा २ हड्डी या कड़े का होग ५ गाड़ी