पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/८६

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श्रम ( आमवति ) आक्रमण करना। पीड़ा अथवा रोग से दुःखी होना। पीड़ित होना। अम ( वि० ) कथा | ध्यमः ( पु० ) १ गमन | २ बीमारी नौकर ३ अनुचर | ४ यह स्वयं अमंगल अमङ्गल अमंगल्य ( ( वि० ) अशुभ | बुरा। खराब बढ़- "क्रिस्मत | अमङ्गल्य अमंगलः अमङ्गतः (पु० ) एरण्ड वृक्ष अँडी का पेड़ । मंड) (वि० ) १ बिना सजावट के बिना थाभू- अलण्ड पक्ष के । २ बिना फेल या मांद के | 1 मत (वि० ) १ असम्मत अविज्ञात अतर्कत | नहीं जाना हुआ। २ नापसंद ध्यमतः (पु० ) १ समय २ यीमारी ३ मृत्यु | प्रमति ( वि० ) धुरे दिल का दुष्ट चरिद्रष्ट -पूर्व, ( वि० ) सत्यासत्यविवेकशक्तिहीन । अनिच्छाकृत अनभिप्रेत अमतिः (१०) बदमाश दुष्ट दगाबाज़ | २ चन्द्रमा ३ समय काल (स्त्री०) अज्ञानता। श्रविवेकता। ज्ञान का, सरपका या ददर्शिता का भाव । मत (वि० ) जो मत्त या उन्मत्त न हो। गम्भीर | अमत्रं ( न० ) १ बरतन घड़ा वासन २ ताकत | शक्ति । अमत्सर ( वि० ) जो ईर्ष्यालु या डाही न हो। उदार अमनस } (वि० ) १ जिसका मन ठीक ठिकाने यमनस्के न हो । २ विवेकशक्ति से हीन | ३ अनर- विट। धमनेोयोगी ४ जिसका मन काबू में न हो । २ स्नेहशून्य गत (वि० ) अज्ञात । अचिन्त्य । -योगः, (५०) अमनोयोगिता |~~हर, ( दि० ) अप्रसन्न कारक । प्रतिकूल । नापसंद । अमनः (न० ) अबोध निर्वाध | वादा वस्तु के ज्ञान से शून्य । २ अमनोयोगी ( पु० ) पर 1 मात्मा। अमना (अन्यथा० ) स्वल्प नहीं। अधिकता से बहुत अधिक। ७८ ) अमर अमनुष्य ( वि० ) १ मनुष्य नहीं । अमानुषिक | २ जहाँ मनुष्यों की वस्ती न हो। अमनुष्यः (१०) मनुष्य नहीं | २ शैतान | राक्षस यमंत्र] } { वि० ) १ वैदिक मंत्रों से रहित । ध्यमंत्रक / वह कर्मानुष्ठान जिसमें वैदिक मंत्रों के पढ़ने की आवश्यकता न पड़े | २ वेद पढ़ने के अनधि- कारी ( शुद्र की आदि ) | ३ वेद को न जानने वाला ४ वह रोगचिकित्सा जिसमें जादू टोना की क्रिया न हो । अमंद ) ( वि० ) १ जो मंद या सुख न हो। क्रिया- अवन्द शील प्रतिभावान् । २ उम्र | हृढ़ | तेज़ | ३ थोड़ा नहीं । बहुत । अत्यधिक बढ़ा। तीव्र | प्रम ( वि० ) ममतारहित । जिसमें स्वार्थ या सांसारिक वस्तुओं का अनुराम न हो । (खी) | स्वार्थराहित्य | अनासक्ति | श्रममन्वं ( न० ) ) उदासीनता । H " - · अमर ( वि० ) १ जो कभी मरे नहीं। अविनाशो । अविनश्वर अङ्गना, स्त्री (स्त्री०) अप्सरा अद्रिः (पु०) देवताओं का पर्वत । सुमेरु पर्वत- अधिपः, इन्द्रः ईशः, ईश्वः, -पतिः, - भर्ता, राजः, (पु०) १ देवताओं के राजा इन्द्र २ विष्णु । ३ शिव। प्राचार्य, गुरु, - इज्यः, ( 3० ) देवताओं के गुरु अर्थात् वृहस्पति । -थापना, तटिनी, सरित, (स्त्री० ) स्वर्ग की नदी। गङ्गा-श्रालयः (पु० ) स्वर्ग -कराटकं, ( न० ) अमरकण्टक पहाड़ जिस से नर्मदा नदी निकलती है। कोशः, -कोषः, (उ०) संस्कृत भाषा के एक प्रसिद्ध शब्दकोश का नाम, जो अमरसिंह विरचित है।-सः, दारुः, ( ५० ) इन्द्र के स्वर्ग का एक दृ-द्विजः, (५०) ब्राह्मण जो किसी देवालय में पूजा करे अथवा देवालय का प्रबन्ध करे --पुरं, (न० ) स्वर्ग । -पुष्पः, -कुष्पकः, (पु० ) कल्पवृक्ष/- प्रख्य ~~प्रभ, (वि० ) अमर के समान। अविनाशी के समान 1- रत्नं, (न०) स्फटिक पत्थर-लोकः, ( पु० ) स्वर्ग 1 - सिंह:, (पु० ) संस्कृत कोषकार अमरसिंह यह जैन थे और कहा जाता है कि, विक्रमाजीत के नौरखों में से एक थे ।