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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/८४०

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शस्य ( पु० ) चन्द्रमा -दमणः, (पु०) चन्द्रमा २ कपूर | चन्द्रमा २ विष्णुशस्तिः ( स्त्री० ) प्रशंसा । स्वयं शुभता | जनमता ३ शरीर । दस्ताना बहुत (न० ) परदे के शस्त्र ( न० ) १ हथियार हार : ६ लोहा । ४ बात। --स्थली, ( खी० ) गङ्गा और यमुना के मध्य का प्रदेश | दो ईसपाट जोहा १ स्तोत्र /- अभ्यासः ( पु० ) इथियार चलाने की मरक सैनिक कसरत अयसं, (न० ) १ ईमपात लोहा | २ लोहा। -अनं. (न०) हथियार जो फेंक कर चलाये ज और यंत्रविशेष द्वारा आजीवः, - - उपजीविन, (ए०) पेशेवर सिपाही-उधमः, ( पु०) प्रहार करने को हथियार उठादा उपक रां, ( न० ) लड़ाई का हथियार आदि सामान -कार: ( पु० ) कवच वस्तरकोपः, ( पु० ) म्यान परतला-हि. (वि० ) हथियार धारण करने वाला । - जीविन, वृत्ति. ( पु० ) पेशेवर सिपाही-देवता (श्री० ) युद्ध का अधिष्ठाता देवता /-धरः (१० ) शधारी -- पाणि (वि० ) शस्त्र से सुसज्जित -पूत. (वि० ) शस्त्र से पवित्र किया हुआ | अर्थात् युद्धक्षेत्र में युद्ध में शब्द से मारे जाने के कारण पायों से छूटा हुआ महारः ( पु० ) हथियार का घाव । - भृन्. ( पु० ) शनधारी । -मार्ज, ( दु० ) हथियार साफ करने वाला। सिगलीगर -विद्या, (खी० ) – शास्त्रं, (न०) वह विद्या या शास्त्र जो हथियार चलाने आदि की बातें बतलायें या खिलायें - संहतिः, (स्त्री) १ हथियारों का संग्रह | २ हथियारों का भारडार- गृह --हत (वि० ) हथियार से मारा हुआ। - हस्तः (g० ) सिपाही योदा शस्त्रकं ( न० ) १ ईसपात लोहा २ लोहा। शत्रिका ( श्री० ) चाकू । शरित्रन् (वि० ) हथियारबंद | शस्त्री (श्री० ) चुरी। शस्यं ( न० ) १ अनाज : माज | २ किली वृष का फल या उसकी पैदावार । ३ सदुख क्षेत्रं, ( न० ) अनाज का खेत :-भक्षक, (वि० ) अभी अनाज खाने वाला मंजरी, (खी०) सं० श० कौ० १०५ शशक -लांजन:, ( 5० ) १ चन्द्रमा --विन्दुः - विन्दुः, (50) भगवान् । – विषा - शृङ्ग सींग कोई अलीक या असंभव शनकः ( पु० ) खरगोश | खरदा | शशिन् ( पु० ) १ चन्द्रमा २ कपूर-ईशः, (पु०) शिवजी कला, ( स्त्री० ) चमकी कला कान्तः ( ३० ) चन्द्रका मणिकान्तं, ( न० ) कुमुद | कोई बोजा कोद्रः, ( पु० ) चन्द्रग्रहः (०) मह ~ः (पु०) बुधग्रह-प्रभ (वि० ) चन्द्रमा जैसी प्रभावाला -- प्रभं, (न० ) कुमुद | २ मुक्ता | मोती | -प्रभा ( ० ) चोंदनी । ज्योत्स्ना ! भूषणः, – भृत् (पु० ) मौलिः, - शेखरः ( पु० ) शिवजी 1-लेखा, (स्त्री० ) शश्वत् (व्या० ) १ सदैव | अनन्त काल लगातार बारंबार अक्सर फिर फिर 1 शकुनी । ( स्त्री० ) शस्कुली विशेष | [1] कान का छेद २ पूरी | कान आदि। ३ कॉजी ४ कान का रोग शप्पं शस्य ) ( न० ) घास) तृण । तिनका शष्यः ( पु० ) प्रतिभाशय । शम् ( घा० ० ) [ शसति ] १ काट डालना | मार डालना | नाश कर डालना। शसनं (न० ) १ बाथकरना वध करण २ प . का वद्धि के लिये हनन शस्त (व० कृ० ) 2 प्रशंसित सराहा हुआ | समीचीन | २ मुदकारी । मंगलकारी ३ सही ४ घायल चोटिल ५ हनन किया हुआ | श] ( न० ) १ प्रसन्नता कुशलमङ्गवत्व । २ " 2