व्यगः व्यङ्गः व्यप्र व्यग्र ( वि० ) १ विकल व्याकुल । परेशान | २ भयभीत डरा हुआ । ३ किसी कार्य में लीन | व्यंग ) ( वि० ) १ शरीरहीन १२ अवयवहीन । व्यङ्ग) विकलाङ्ग | लुंजा व्यंगुलं ) व्यङ्गुलं । ( ८१२ ) ( पु० ) १ गुंजा २ मेड़क | ६ गालों पर के काले दारा । ( न० ) अंगुल का व्यंजक ) ( वि० ) [ स्त्री-व्यंजिका, व्यञ्जिका ] प्रकट करने वाला। जाहिर करने वाला। व्यञ्जक वाँ अंश । व्यंग्यं । ( न० ) शब्द का वह अर्थ जो उसका व्यङ्ग्य । व्यञ्जना वृत्ति के द्वारा प्रकट हो । गूढ़ व्यतिकीर्ण ( व० ० ) १ मिश्रित | २ संयुक्त जुड़ा हुआ। और छिपा हुआ अर्थ | २ वह लगती हुई बात | व्यतिक्रमः ( पु० ) १ उलट फेर जो सिलसिलेवार हो । जिसका कुछ गृह अर्थ हो । साना । बोली। चुटकी । व्य (धा०प० ) [ वित्रत ] धोखा देना छलना । व्यजः ( पु० ) पंखा व्यजनं ( न० ) पंखा | क्रमानुसार होने वाला विपर्यय | २ पाप । असत्कर्म । जुर्म । श्रपराध | ३ विपत्ति । सङ्कट । ४ अतिक्रमण ।
- अवहेला। लापरवाही । ६ वैपरीत्य ।
व्यतिकान्त ( व० कृ० ) १ अतिकम किया हुआ | जिसमें विपर्यय हुआ हो । भङ्ग किया हुआ | ( नियम ) । अवहेला किया हुआ। २ उलट फेर किया हुआ | ३ बीता हुआ। गुज़रा हुआ। जैसे समय । ) ध्यंजकः ( पु० ) १ नाटकीय हाव भाव । हाव व्यञ्जकः । भाव द्वारा आन्तरिक भावों का प्रकटन । व्यंजनं ) ( न० ) १ स्पष्ट करने वाला २ चिह्न । व्यअनं ) निशान | चिन्हानी ३ स्मारक स्मरण कराने वाला | ४ परिच्छेद | बनावटीपन | ५ वर्ण- माला का वह वर्ण जो बिना स्वर की सहायता के न बोला जा सके। संस्कृत वर्णमाला में के "क से ह" तक सब वर्ण व्यञ्जन कहे जाते हैं। ६ लिङ्गवाची चिह्न । अर्थात् स्त्री या पुरुष पहचानने का चिह्न । ७ बिरला चपरास ८ वयस्कता प्राप्तिका लक्षण । १ दादी | १० अवयव । प्रत्यङ्ग ११ मसाला चटनी | श्रचार १२ व्यञ्जना। शक्ति की तीन प्रकार की शक्तियों में से एक प्रकार की शक्ति, जिससे किसी शब्द या वाक्य के वाच्यार्थ श्रथवा लक्ष्यार्थं से भिन्न किसी अन्य ही अर्थ का बोध होता है। व्यतिषगः, व्यतिषङ्गः }{ पु० ) अंडौआ का रूख । यंजित (व० ० ) 1 स्पष्ट किया हुआा | प्रकटित यञ्जित ) २ चिन्हित ३ सङ्केत किया हुआ । प्रकारान्तर से कहा हुआ । व्यः । व्यडंवनः ) व्यतिकरः ( पु० ) १ संमिश्रण । मिलावट २ सम्बन्ध संसर्ग लगाव तघल्लुक | ३ आघात । प्रत्याघात | ४ रुकावट अड़चन । ५ घटना | हादसा ६ अवसर । मौका । ७ आफत विपत्ति । ८ पारस्परिक सम्बन्ध अदलदल थापस का लैनदैन । व्यतिरिक्त ( च० कृ० ) १ अलगाया हुथा। अलहदा किया हुआ । २ बढ़ा हुआ । ३ रोका हुआ । ४ वर्जित । व्यतिरेकः ( पु० ) १ भेद | अन्तर | भिन्नता । २ अलगाव । ३ वर्जन बहिष्करण | ५ असमानता असादृश्य | ६ विच्छेद | क्रमभङ्ग । ७ अर्थालङ्कार विशेष जिसमें उपमान की अपेक्षा उपमेय में कुछ और भी विशेषता या अधिकता का वर्णन किया जाता है। व्यतिरेकन् (वि० ) १ भिन्न | २ आगे बढ़ा हुआ । ३ वर्जित । बहिष्कृत । ४ अभाव या अनस्तित्व प्रदर्शन करने वाला। व्यतिषक्त ( च० ० ) १ पारस्परिक सम्बन्ध युक्त या जुड़ा हुआ । २ श्रोतप्रोत । ३ परस्पर परिणय या विवाह सम्बन्ध में श्राबद्ध व्यतिषंगः ) ( पु० ) पारस्परिक सम्बन्ध २ व्यतिषङ्गः ) मिलावट । ३ संयोग सङ्गम |