विधिक विवधिकः (०) थोक ढोने वाला कुली २ फेरी लगाकर सौदागरी माल बेचने वाला फेरी वाला। विवरं ( ० ) १ | बिल | २ गड़ा | दरार। गर्व ३ गुफा | कन्दरा | ४ निर्जन स्थान | ४ दोष । त्रुटि । ऐय । निर्बलता | कमी | ५ घाष । ६ भौ की संख्या । ७ विच्छेद। सन्धिस्थल - नालिका. ( खी० ) वंसी नफीरी । 1 { ( ७८६ विचिक अपने को अपने काबू में न रख सके। ३ बेहोश। ४ व २ मृत्युकामी मृत्यु से शक्ति। विवसन ( वि० ) नंगा विना वस्त्र का । | विवसनः ( पु० ) जैन भिक्षुक I विवस्वत् ( पु० ) : सूर्य २ अरुण | ३ वर्तमान 1 काल के मनु | ४ देवता । ५ अर्क। मदार । विवहः (पु० ) अम्ति की सह जिह्वाओं में से एक का नाम । विवर्जनं ( म० ) परियाग । त्याग करने की क्रिया । विवर्जित ( व० ० ) १ स्यागा हुआ छोड़ा हुआ। २ अनादृत उपेक्षित ३ वञ्चित बाँटा हुआ । दिया हुआ ) ४ मना किया हुआ | वर्जित निषिद्ध रहित । 1 विवरण ( न० ) १ प्रकटन प्रकाशन प्रदर्शन | २ उद्घाटन खोल कर सब के सामने रखने की | विवाकः ( पु० ) न्यायाधीश | जज किया। ३ भाष्य | टीका सविस्तर वर्णन | 1 ) विवर्धित ( व० ० ) वृद्धि को प्राप्त बढ़ा हुआ। २ आगे बढ़ा हुआ। ऊपर को गया हुआ। ३ सन्तुष्ट प्रसन्न । विषश (वि० ) 1 लाचार बेवस मज़बूर २ जो
विवादः (पु० ) किसी विषय को लेकर या बात को लेकर वाक्कलह । वागयुद्ध | झगड़ा कलह | २ खण्डन । प्रतिवाद ३ मुक्रमायाजी मुकदमा अभियोग ४ चीरस्कार उच्च रव २ आशा । आदेश।अर्थिन्. ( पु० ) मुक्रमेवान | २ वादी। अभिशाप लगाने वाला-प. ( म० ) जिसपर विवाद या झगड़ा हो । विवाद युक्त विषय /-वस्तु, (न० ) विषाद ग्रस्त वस्तु | विवादिन् (वि० ) १ भगड़ालू भगढ़ने वाला। कलह करने वाला १ अदालतबाज मुकदमेबाज़ किसी मुकदमे का आसामी । विवर्ण ( वि० ) १ रंगहीन पीला जिसका रंग बिगड़ गया हो । २ पानी उतरा हुआ। ३ नीच कमीना ४ अज्ञानी । मूर्ख कुपड़ पड़ विव: (पु० ) जातिच्युत नीच जाति का आदमी। विवर्तः (पु० ) १ चकर फेरा २ प्रत्यावर्तन । लौदाव। ३ नृत्य नाँच | ४ परिवर्तन संशोधन ५ श्रम | भ्रान्ति । ६ समुदाय समूह | ढेर | बादः, ( पु० ) वेदान्तियों का सिद्धान्त विशेष जिसके अनुसार ब्रह्म को और सब मिथ्या है। विवर्तन ( न० ) १ परिभ्रमण 1 विवासः ( पु० ) } निर्वासन | देश निकाला। विधासनं ( न० ) । थकर | फेरा | २ | विवासित ( व० कृ० ) निकाला हुआ। देश से प्रत्यावर्तन ३ उतार । नीचे आने की क्रिया ४ निकाल बाहर किया हुआ। प्रणाम यावर सूचक नमस्कार भिन्न भिन्न दशाओं या योनियों में होकर गुजरना २ परि बर्तिस दशा बदली हुई दालत विवर्धनं ( ० ) १ वृद्धि बढ़ती उन्नति | २ | बड़ाने या वृद्धि करने की क्रिया ३ महोअनि । समृद्धि | विवाहः ( पु० ) परिणय | एक शास्त्रीय प्रथा जिसके अनुसार स्त्री और पुरुष आपस में दाम्पत्य सूत्र में आवद्ध होते हैं। विवारः (पु० ) प्रस्फुटन फैलाव २ अभ्यन्तर प्रथलों में से एक संवार का विपरीत। विवाहित] ( व० कृ० ) वह जिसका विवाह हो चुका हो । व्याहा हुआ। विवाहाः ( पु० ) १ दामाद जामाता । २ दूल्हा | 4 वर | विविक ( व० कृ० ) १ पृथक किया हुआ । २ विजन निर्जन एकान्त | ३ अकेला ४ पह चाना हुआ। २ निवेकी । ६ पापरहित विशुद्ध ।