पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७६६

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

वास्तव असली . वास्तव (वि० ) [ स्त्री० --शस्ती ] सच्चा प्रकृत सारवान । २ निश्चय किया हुआ निर्दिष्ट किया हुआ | वास्तवं (न० ) कोई वस्तु जो निश्चित या निविष्ट कर ली गयी हो । ( ७५६ ) वास्तिकं ( २० ) बकरों का गल्ला । वास्तव्य (वि०) १ रहने वाला निवासी । बाशिंदा । २ रहने योग्य रहने लायक । वास्तव्यं ( न० ) आबादी । वास्तवा ( स्त्री० ) प्रातःकान्त | भोर | तड़का : वास्तविक ( वि० ) [ स्त्री०- वास्तविकी ] वाहिन ( न० ) भारी यथार्थ सत्य प्राकृत | ठीक । सञ्चा वास्तु ( पु० न० ) रहने लायक स्थान ! वस्ती । वह स्थान जिस पर कोई इमारस खड़ी हो। ज़मीन १२ घर मकान | डेरा - यागः, ( पु० ) उस समय का धर्मानुष्ठान विशेष जिस समय किसी मकान की नींव रखी जाय । वास्तेय (वि० ) [ स्त्री०- वास्तेयी ] १ रहने योग्य । रहने लायक । २ पेड़ सम्बन्धी । कृषि सम्बन्धी । उदर सम्बन्धी | विशनितम वाहनं (०) १२ डोंकना | ३ सवारी | ४ जीनसवारी का घोडा : २ हाथी चाहम (०१ जलप्रवाहमार्ग: जनप्रणाली। सर्प, चास्तापतिः ( पु० ) १ वास्तुपति | २ इन्द्र वास्त्र (वि० ) वस्त्र का बना हुआ । वालः (पु० ) गाड़ी या सवारी जिस पर कपड़े का उधार या पर्दा पड़ी हो। नास्पेयः ( पु० ) नागकेसर का पेड़ | वाह (धा० श्रा० ) [ वाहते ] उद्योग करना | प्रयत्न करना। कोशिश करना। वाहिक बड़ा ढोल २ वैचगाठी बढोने वाला कुली । वाहित्य ( ० ) हाथी का साथा । वाहिनी (स्त्री० ) १ सेना एक सैन्यदल विशेष जिसमें हाथी ८१ र २४३ घुड़सवार थ ४०५ पैदल होते हैं । ३ नही /-~-निवेश:. ( पु० फौज की छावनी | - पति: पु० ) १ चनपति सेनापति | २ समुद्र वाहीक देखो बाहीक बाहुक देखो बाहुक | वाह्य देखो बाह्य वाल्हिः (५०) आधुनिक बलख (बुखारा ) का नाम -जः ( पु० ) बलख देश का घोड़ा । वाहिक: है (पु० ) १ आधुनिक बल का नाम वाल्हीकः ५२ बलख देश का घोड़ा। ! वाहि वाल्हीकं ! ( न० ) १ केम्पर २ हींग | वि (अपवा० ) किया शब्द के पूर्वजोड़े जाने इसके ये अर्थ होने हैं: - १ पार्थक्य । विलगाव २ किसी क्रिया का विपरीत कर्म | ३ विभाग ४ विशिष्टता जाँच भेद ६ म विचार, १० आधिक्य क ६ विरोध नंगी | · दिः (पु० ० ) पक्षी घोड़ा वाह (वि० ) लेजाने वाला चाह: (पु० ) १ लेजाने वाला | २ कुली ३ बोझ लादने वाला जानवर | ४ घोड़ा ५ चैल: विंशः ( पु० ) बीलयाँ भाग ६ भैसा ६ गाड़ी सवार ८ याहु 8 हवा पवन १० प्राचीन काल की एक तौल जो ४ : गोन की होती थी। द्विषत् (पु० ) मैंमा :- श्रेष्ठः (पु० ) घोड़ा। वाह (५०) १ २ गाडीवान | २ वृषमवार विंश ( वि० ) [ स्त्री० - विशी ] बीसौं । विंशक: / पु० ) [स्त्री० - विंगकी ] बीस की संख्या | विंशतिः ( स्त्री० ) कोड़ी | बीस ईशः, ईशिन ( पु० ) वीस गाँव का ठाकुर या मालिक । विज्ञनितम ( वि० ) श्री विशतिनमी ] योमर