पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७६०

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नारित्र वादित्रं (न० ) १ बाजा | २ वादन | वादिन ( वि० ) १ बोलने वाला : झगड़ा करने वाला । ( पु० ) १ चक्का | २ बाड़ी | ३ मुई! दावीदार भाष्यकार | शिक्षक | 5. 1945 वाध वाघ वादिशः ( पु० ) विद्वान् । पण्डित | ऋषि वाद्यं ( न० ) १ बाजा २ बाजे की ध्वनि । बाग्र ध्वनि । –करः, ( पु० ) बाजा बजाने वाला । वजंत्री - भारडं, (न० ) १ दङ्गादि बाजे | २ बाजा । बाधक वाधन वाघना वाधा देखो बाधू. बाघ. वाधक आदि । ( Sea ) याधुक्यं) वाधूक्यं । वाघीणसः (पु० ) गैंडा । वान (वि० ) १ फूंका हुआ | ३ जंगली या जंगल का । ( न० ) विवाह । परिणय वानं ( न० ) १ सूखा या सुखाया हुआ फल | ( यह पु० भी होता है) २ फूलना | ३ रहना | ४ घूमना । डोलना। फिरना।२ सुगन्ध द्रश्य ६ वन या उपचन समूह ७ बुनावट विनन ३ तृण की चटाई ६ घर की दीवाल का रन्ध । वानप्रस्थः ( पु० ) १ ब्राह्मण का तीसरा आश्रम वानप्रस्थाश्रमी | ३ महुए का पेड़ । ५ पलास वृक्ष । वानरः ( पु० ) वानर लंगूर अतः, ( पु० ) जंगली बफरा । -आघात (०) वृत्त । -इन्द्रः (पु० ) सुग्रीव या हनुमान-प्रियः, ( पु० ) चीरिन् वृक्ष | वानलः ( पु० ) तुलसी का वृक्ष । श्यामा तुलसी । वानस्पत्यः ( पु० ) वह वृक्ष जिसमें बार लगने पर फल लगे, यथा श्रम

चाना ( स्त्री० ) बढेर | लवा | चनायुः ( पु० ) भारतवर्ष का उत्तर पश्चिमीय प्रान्त | | OP €İVER साम वानीरः (०) २ पाकर कर पेड़ | वानीरकः ( पु० ) मँज । नृण । पा (म० ) कैवर्त मुस्तक | सुस्खा | वातं ( ० ० ) १ २ निकाला हुआ उगना हुआ | चूका हुआ। (पु० ) कृपा - बांतिः ? ( स्त्री० ) 1 चमन । २ उगान 1-कृत, धान्नि-दः ( वि० ) वमन कराने वाला ! वान्या (स्त्री० ) कु समूह । वापः ( पु० ) १ वीजवपन | २ विनावट | ३मुण्डन । कपटन-दण्डः, ( go ) करवा : वापनं ( ० ) १ बुवाई | २ मुण्डन : चापित ( व० कृ० ) बोया हुआ। २ भुषा हुधा । पः | ( ० ) बावली छोटा चौकोर जल वापी ) कुराड-दः, (४० ) चासकपक्षी। वाम ( वि० ) १ बायोँ । २ वामभाग स्थित ३ उल्टा ४ विपरीत स्वभाव २ कुटिल स्वभाव का । ६ दुष्ट शठ नीच २ मनोज्ञ मनो- हर सुन्दर -आचारः (०) तांत्रिकमत का एक भेद | [ इसमें पञ्चमकार अर्थात् मद्य, मांस, मत्स्य, मुद्रा और मैथुन द्वारा उपास्य देव का आराधना किया जाता है। इस मतवाले, अपने मतवाले को बीर साधक आदि कहते हैं और विरोधियों को कटक बतलाते हैं।] -मार्गः, (०) वेदविदित दक्षिण मार्ग के प्रतिकूल तांत्रिक विशेष प्रावर्तः, ( पु० ) वह शङ्ख जिसमें बाई थोर का घुमाव या भँवरी हो उरु. - ऊरू (वि० ) सुन्दर उस्वाती जी। सुन्दरी स्त्री । - देवः (पु० ) : गौतम गोत्रीय एक वैदिक ऋषि जो ऋग्वेद के चौथे मण्डल के अधिकांश मूक्तों के द्रष्टा थे। २ दशरथ महाराज के एक मंत्री का नाम | ३ शिवजी का नाम /- लेोचना, (वि०) वह स्त्री जिसके नेत्र सुन्दर हो।--शीलः, ( पु० ) कामदेव की उपाधि । वामं ( न० ) धन सम्पत्ति । वामः (पु०) १जन्तु २ शिव | ३ कामदेव | ४ सर्व । ३ पेन । थम । स० श० को० १४