पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७५१

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चल ( ७४४ ) आकर्षित होना २ ढकना । लपेटना ६ घिर | चलिर (चि० ) घाताना। भैड़ी आँख चाला। केंद्रा ● जाना। लपेटा जाना । बलं ( ० ) देखो बल । बलत ( म० ) देखो बलह कसर बलग्नः (50) हे चम्लनं ( म० ) वलनं ( म० ) १ घुमाव | फिराब ३ विषयगमन। पाश्र्व विवरण बलम: । ( स्त्री० ) छप्पर फा बलभी ठाठ घर का सब से ऊँचा भाग ४ काठियावाड़ प्रान्त की एक प्राचीन नगरी का नाम । ( न० ) देखो अवलम्ब २ फेरा | काया विचलन | 2 अलंय वलम्व ) वलयः ( पु० ) ) १ कंकण | बाजूबंद | २ छल्लर वलयं (न० ) ) गरी ३ कमरपेटी इजारबंद | ४ घेरा कुंज । वलयः (go ) किनारी छोर २ गलगण्ड रोग विशेष | वन्यति (वि० ) घेरा हुआ । लपेटा हुआ वेष्ठित बलाक देखो बलाक | • बलाकिन देखो बजाकिन् । बलासः ( पु० ) १ कोय | २ सेंद्रक | बलादक देखो बलाहक चलिः ) ( स्त्री० ) वली सिकुड़न | भुरी २ चर्म पर की सुदद। पेट के दोनों ओर पेटी के सुकड़ने से पड़ी हुई लकीर ३ छप्पर की बदरी-भृत् (वि० ) घुघराले-मुखः, --वदनः, (पु० ) बानर | बंदर | वलिकं ( पु० ) बलिकः ( म० ) / छप्पर की वहिवारी । वलिन वलिभ } { वि० ) झुरीं पड़ा हुआा । विखरा हुआ । बलिशं ( पु० ) ) बंसी मदली पकड़ने का चलिशी (स्त्री० ) 5 फौंडा । चलिगत् (वि० ) भुर्ती पड़ा हुआ। चलीकं (न० ) छ्त की यड़ेरी चकः ( 50 ) पक्षी विशेष | बजूकं (२०) कमल की जड़। भसीड़ा | वजूल ( वि० ) मजदूत | शेबीला | हृष्टपुष्ट | वल्क (घा० उभ० ) [ वल्कयति चल्कयते । श्रो चकं ( पु० ) ११ पढ़ की छाल कल | २ । कः ( ० ) ) मछली के शरीर का यानरण या पपड़ी ३ खगड | टुकड़ा रुख (पु० ) बृद्ध विशेष |~~लोनः, ( दु० ) पठानी खो वल्कलं ( न० ) १ १ बृक्ष की छाल २ बाल के (पु० ) वस्त्र -संदीत. (वि० ) लधारी । जिसके शरीर पर पपड़ी हो 1 (चि० ) इल्किल: (पु० ) फोटा। वलित ( च० कृ० ) १ गतिशील | २ घूमा हुआ | | बल्गु ( वि० ) 1 प्यारा | मनोहर | मनोश । चिता- मुझ हुआ। ३ घिरा हुआ। लपटा हुआ। ४ कर्षक २ मधुर ३ बेशकीमती बहुमूल्यवान > सुरी पड़ा हुआ। वल्कुटं ( म० ) बाल गुदा वलग (भा० उ० ) [ चल्गति, वलगते, वलिगत १ जाना | हिलाना | २ उद्दलना उद्दल उत कर चलना । ३ नौचना ४ प्रसस होना | ५ खाना भोजन करना ६ डींगे मारना | शेखी बधारना । चलाने ( म० ) उडाल। फलांग डुलकी चाल चल्गा (स्त्री० ) लगाम । रास

वगित ( १० कृ० ) १ कूदा हुआ | उड़ता हुआ।

नवाया हुआ। वलिंगतं ( न० ) १ घोड़े की दुल्की था सरपट चाल २ डींग शेखी। १ वल्गुः ( 50 ) बकरा-पत्रः, (५०) वनमूँग । व (वि० ) सुन्दर | मनोहर | खूबसूरत। चल्गुकं (न० ) 1 चम्न २ क्रीमत | ३ जंगल | बल्गुलः (पु० ) गाल गोदक ।