पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७३४

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लोभ ( ७२७ ) लोत्रं ( न० ) चोरी का माल । लोधः ) ( पु० ) इस नाम का पेड़ | इसमें लाल और लोधः (न्सफेद फूल लगते हैं। लोपः ( पु० ) १ अदर्शन | भाव २ नाश । य ३ किसी रस्म या प्रथा को बंदी ४ भंग अति क्रम लंबन | २ अभाव । असफलता पस्थिति | ६ छूट | ७ वर्सलोप | लोपनं ( न० ) १ अतिक्रम लंघन २ छूट | अनु- लोपाक: ) (पु० : शृगाल गीदड़ | सियार लोपापकः ) लोपाशः लोपाशकः लोपा ) विदर्भाधिपति की कन्या और महर्षि : लोला (स्त्री०) १ लक्ष्मी जी | २ बिजली | ३ जिह्वा | लोपामुद्रा ) अगस्त्य की पत्नी का नाम । लोलुप (वि० ) अत्यन्त उत्सुक } (पु० ) गीदइ । नरलोमड़ी 1 लोपिन् (वि० ) हानिकारक | अनिष्टकारक | २ वर्ण- लोप करने योग्य | लाह भूगाली | ३ लंगूर ४ कलीन माजरः ( पु० ) गंधविलाय | लोभनं ( न० ) १ लालच फुसलाहट। बहक । २ सुवर्ण | सोना । लोभनीय ( वि० ) जो लुभाया जा सके। जो आाक | र्षित किया जा सके ! लोमागः (पु० ) गीदड़ | शृंगाल | लोल ( पु० ) १ कैंपर्कया। हिलने वाला : कम्पाय- सान चंचल | ३ बेचैन । विकल | धवडाण हुआ | ४ दाणमङ्गर | विनश्वर | अनुक अति ( न० ) आँख मटकाना |~~लोल, ( वि० ) सदैव बेचैन रहने वाला। लोमः ( पु० ) पूंछ । लोमकिन ( पु० ) पक्षी । लॉमन् (न० ) मनुष्य या पशु के शरीर के ऊपर के रोएं।-कः, ( पु० ) खरा । खरगोश | शशक ।-कोटा, (पू०) जूं । चील्हर 1-कृपः, -गर्तः (पु) – रन्ध्र, विवरं. (न०) रोमकूप । -वाहिन, ( वि० ) परवाला संहर्षण ( वि० ) रोमान्चित --- सारः, ( पु० ) पथा। -हृन्, ( पु० ) हरताल । लोम ( वि० ) १ बालदार | ऊनी २ थालोंदार | लोमशः (पु० ) १ भेड़ मेदा । लोमशा ( स्त्री० ) १ लोमड़ी | २ सियारिन । लोलुपा ( स्त्री० ) उत्कण्ठा उत्सुकमा । लोलुभ (वि० ) अन्य लोलुप | लो: ( पु० ) 2 1 मिट्टी का डेला २ ( न० ) लोर्ट ( म० ) | लोहे का मोर्चा | लोभः ( पु० ) १ लालच | तृपया | लिप्सा | २ अभि | लोष्टुः ( पु० ) मिट्टी का तेला लापा । -श्रन्वित, (वि० ) लालची । लोभी । लोह (वि० ) 1 लाल | - विरहः, ( पु० ) लाभ का अभाव । ती ( था० ० ) [ लीयते ] जमा करना । ढेर करना ! सुखमाइल | लोहाँ । २ ताँबे का बना हुआ । अभिसारः, ( पु० ) अभिहार ( पु० ) सामरिक रीति भाँति ।- कान्तः (पु०) चुम्बक 1-कारः, (पु०) लुहार । -किट्ट ( न० ) लोहे का मोर्चा - घातकः, ( पु० ) लुहार 1- चू, ( न० ) लोहे का चूरा लोहे का मोर्चा :-जं. (न० ) १ काँला । फूल लोहचूर्ण लोहे की चूर जो रेतने से निकते-जालं, (२० ) कवच | बस्तर - जिन्, (पु०) हीरा द्राविन, ( पु० ) सोहागा :--नालः, (०)का तीर 1-

( पु० ) बगला | बूटीमार । -- प्रतिमा,

( स्त्री० ) १ निहाई | २ लोहे की मूर्ति /बद्ध, ( वि० ) लोहे से जड़ा हुआ या जिसकी नोंक पर लोहा जड़ा हो ।-मुक्तिका ( स्त्री० ) लाल मोती।-रजस, ( न० ) खोड़े का मुर्चा | -राजकं, ( न० ) चाँदी /-घरं, ( न० ) सुवर्ण | सोना 1-शङ्कः ( पु० ) लोहे की कील । -श्लेषण (पु० ) सुहागा । - संकर, ( ३० ) नीले रंग का ईसपात लोहा ।