पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७१

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अपिहित- पिहित प्रकाश अपिहित- पिहित (३० ० ) बंद | मुँदा हुआ । ढका हुआ छिपा हुआ। अपेक्षितम् ( न० ) वाहिश इच्छा | सम्मान । सम्बन्ध | अपीतिः ( स्त्री० ) १ प्रवेश | समीप गमन | २ | ध्यपेत ( सं० का० ० ) १ तिरोहित | गया हुआ । २ विरुद्ध | रहित । मुक्त | दोपरहित - कृत्यः ( वि० ) कार्यशून्य । नाश हानि। ३ प्रलय । अयोगण्डः ( पु० ) १ किसी शरीरावयव की अधिकता अथवा स्वल्पता। देह के किसी अङ्ग की कमी या वेशी २ सोलह वर्ष की अवस्था के नीचे नहीं अर्थात् ऊपर यालिग। वयस्क । २ बालक । बच्चा | ४ अत्यन्त भीरु | बड़ा डरपोंक। २ ( चेहरे की ) सकुड़न वाला। अपोढ (वि० ) निरस्त | व्यक्त | निकाला हुआ। पदक (स्त्री० ) शाक विशेष पूति नामक शाक अपोहः (१०) स्थानान्तरित करना हँका देना। भगा देना पुरना । २ शङ्का या तर्क का निराकरण | ३ तर्क वितर्क करना । बहस करना। ४ उन सब विषयों का निराकरण जो विचारणीय विषय के बाहिर हो । ( ६४ ) अपीनसः (पु०) नाक में खुश्की ठंडक ( सिर में अपुंस्का ( स्त्री० ) विना पति की स्त्री । अपुत्रः (पु० ) पुत्ररहित । अपुत्रक (वि० ) पुत्र या उत्तराधिकारी रहित । अपुत्रिका ( स्त्री०) पुत्र रहित पिता की लड़की जिसके निज का भी कोई पुत्र न हो। अपुनर् ( अन्यया० ) फिर नहीं। सदा के लिये एक बार सदैव । --अन्वय ( वि० ) पुनः न लौटने वाला। मृत - श्रादानं (न० ) वापिस न लेना या पुनः न लेना। -आवृत्तिः (स्त्री० ) मोच | अपुष्ट ( वि० ) १ दुबला पतला २ थीमा। अप्रखर कोमल ( स्वर ) । अपूपः (पु० ) पुआ। मालपुआ। अँदरसा। अपूरणी ( श्री० ) शाल्मली वृच। सेमर का पेड़ । ध्यपूर्ण ( वि० ) अधूरा | जो पूर्ण न हो । असमाप्त है अपूर्व ( बि० ) जो पहिले न रहा हो। नया। विल- चय असाधारण । अद्भुत ३ अपरिचित । ४ प्रथम नहीं।~~-पतिः ( स्वी० ) जिसके पहिले अपोह्य . ( स०का०कृ० ) हटाने योग्य दूर किया अपोहनीय हुआ। निकाला हुआ। पति न रहा हो। कारी। थविवाहिता--विधिः | अपौष ( ( वि० ) १ कायर । भीरु | २ श्रमानु- ( स्त्री० ) अन्य प्रमाणों से अप्राप्त अर्थ का विधान ।यिक । अलौकिक । करने वाला। अपौरपेयं अपौरुषम् ( ( न०) भीस्ता डरपोकपन | कायरता अपौरुषेयम् ।। २ अलौकिक या अमानुषिक शक्ति | पु० ) एक यज्ञ का नाम सामवेद अपूर्वम् ( न० ) पाप पुण्य, जिसके कारण पीछे सुख | अप्तीयमन) की एक ऋचा का नाम । जो उक्त दुःख की प्राप्ति होती है। पूर्वः (पु० ) परमात्मा | तोमः यज्ञ की समाप्ति में पड़ी जाती है। ज्योतिष्टोम यज्ञ का अन्तिम या सप्तम भाग। अपृथकू (अव्यया० ) अलहदा से नहीं। साथ साथ समष्टि रूप से । अपेक्ष्य अपेक्षितम्य : ( वि० ) वाड्रामीय अपेक्षणीय अपेक्षित नरूरी। अपेक्षा (स्त्री०) | १ उम्मेद। श्राशा। अभिलाषा) अपेक्ष (२०) । २ आवश्यकता आकांक्षा | ३ कार्य अप्ययः ( पु० ) समीप आगमन । मिलन । २ ( नदी में से) उलेड़ना। उलीचना | ३ प्रवेश | अन्तर्थान | अदृष्ट होना मोच होना ४ नाश और कारण का परस्पर सम्बन्ध सम्बन्ध || अप्रकरणं (ज०) मुख्य विषय नहीं । चाहियात विषय । ४ परवाह । ध्यान २ प्रतिष्ठा सम्मान | चमक से तिरोहित | छिपा अपोहनम् ( म० ) तर्क वितर्क करने की शक्ति बहस करने की योग्यता । आकाँक्षणीय श्रप्रकाश ( वि० ) : धुँधला काला शून्य | २ स्वप्रकाशमान् | ३ हुआ। गुप्त ।