पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७०८

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ESZERETIANDO MATERNITASTVORKA: URA FRIGOTERGEHTIAR रश्मिमत् ( ७०१ ) ममत् ( पु० ) सूर्य ( धा० परस्मै० ) [ रसनि. रसित ] १ गर्जना । चीनी चिल्लाना । वहाड़ना | २ शेत्रगुल करना । ३ प्रतिध्वनि करना।

( पु० ) ( वृक्षों से निकलने वाला एक प्रकार |

का ) सार। वरव २ तरल पदार्थ । ३ जल । ४ अर्थ ५ मदिरा आसव ६ स्वाद | ज्ञायका ७ चटनी मसाला मष्ट पदार्थ रुचि । ९० प्रीति | प्रेम १९ थानन्द इये। प्रसवता | १२ मनोज्ञता | सौन्दर्य सुडौलता । १३ भाव भावना १४ साहित्य में वह आनन्दात्मक चिस वृत्ति या अनुभव जो विभाव, अनुभाव और सञ्चारी से मुक्त किसी स्थायी भाव के व्यजित होने से पैदा होता है। साधारणतः साहित्य में रस माने गये हैं। यथा ( रौद्रवीर भयानक वोमस्साङ्कृतसंज्ञौ चेस्पष्ट माये रखाः स्मृताः ॥ किन्तु कभी कभी इनमें शान्त रस और जोड़ देने से इनकी संख्या नौ हो जाती है। इसीले कान्य- प्रकाशकार ने लिखा है :- निवेदस्थायिभावोलि मातोपि नवमोरमः | इसी प्रकार कोई कोई "वात्सल्यरस" को और बढ़ा का रसों की संख्या दस बलखाते हैं। [ रस कविता की जान है। इससे विश्वनाथ का मत है "वाशांसात्मकं का" 1 1 रसालः वालाः (०) १ पारा २ पारस पत्थर -उदघं. - उपलं. ( न० ) मोती |--कर्मन्, (२०) पारे का तैयार करना । -केसरं, ( न० ) कपूर--नान्धः ( दु० ) -सन्धं, ( न० ) रसौन रसाजन - (पु०) राव | शीरा | --अं, (न० ) यून (वि० ) १ वह जो रस का ज्ञाता हो । रस का जानने वाला। २ काव्यमर्नन् । ज्ञः, (पु० ) समा- चोचक गुणग्राही कवि रसायनी ३ पारद के भोग दवाइयों बनाने वाला वैद्य - झा (स्त्री० ) जीभ |~-तेजस (म० ) खून | -दः (पु० ) वै| हकीम-धातु, ( न०) पारा पार प्रवन्धः ( पु० ) नाटक - फन्तः, ( पु० ) नायल :-भङ्गः, ( पु० ) भाव का नष्ट होना -अ, ( न० ) खून | रक्त लोहू |-- राजः : पु० ) पारा | पारद । ~-विक्रयः, ( पु० ) शराब की विक्री । - शास्त्रं, (न० ) रसायन शास्त्र - सिद्धिः, ( स्त्री० ) रसायन विद्या में कुशलता या निपुणता 4 रसन ( न० ) रोना | चिल्लाना। चीखना | दहा- दना | भुनभुनाना | २ गर्ज दहाड़ | बादल की गड़गड़ाहट । २ स्वाद ज्ञायका ४ जिह्वा । जीम | रसना ( स्त्री० ) देखो "रगना” -रदः ( पु० ) पक्षी (हिः, ( पु० कृत्ता १५ गूदा मिगी १६ शरीरस्थ पदार्थ विशेष पानी से १७ वीर्य | १८ पारा ३३ ज़हर | विष | २० कोई ! रसवत् ( वि० ) १ जिसमें रस हो । २ स्वादिष्ट । भी खनिज पदार्थ । अञ्जनं, (न० ) रसवत | रसौत । –अम्लः, (पु०) १ आम्जवेतस् । अमल- वेद | २ चूक नाम की खटाई।-प्रयनं, ( म० ) १ वैयक के अनुसार यह घोषधि जो जरा और व्याधि का नाश करने वाली देर २ पदार्थों के जायकेदार ३ नम । तर भली भाँति भिगोया हुआ १४ मनोहर । मनोज्ञ २ भाव- पूर्ण ६ प्रीतिपरिपूर्ण । प्रेममय । ७ जिन्दा दिल । हाज़िरजवाब | तत्वों का ज्ञान । -प्रभासः, ( पु० ) साहित्य में किसी रस की ऐसे स्थान में अवतारणा करना जो उचित या उपयुक्त न हो । २ किसी रस का अनुपयुक्त स्थान पर चर्णन :-~-आस्वादः (पु० ) रसा (स्त्री०) १ नरक १ २ थिवी | धार | ३ जिह्वा । जीभ 1तलं, (न० ) सप्त अधोलोकों में से एक लोक रसातल भी है। २ अधोलोक नरक रसालं ( न० ) लोयान | गुग्गुल | १ स्वाद लेने वाला | २ कविता के भावों को जानने | रसालः ( पु० ) १ आम का वृद्ध | २ उख | ईस