पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/६९०

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ANDUVEW म्लक्ष { ८३ - म्जक्षू ( पा० उभय० } [ म्लक्षयति - स्लत्तते ]: काटना विभाजित करना । म्लात ( च० कृ० ) १ कुम्हलाया हुआ मुरमाया हुआ । २ थका हुआ। परिधान्त | ३ निवेल | कमज़ोर ||४ उदास । रामग्रीन । ५ गंदा मैला डांग (वि०) निर्वल शरीर का । अंगी, ( स्त्री० ) रजस्वला श्री !~~मनसू, ( वि० ) उदास मन । 1 स्लानिः ( स्त्री० ) १ मुरझाना | कुम्हलान २ थका- वट ३ उदासी। गंदगी | म्लायत् ) ( वि० ) कुम्हलाया हुआ जटा हुआ। स्नायित्) दुपा | म्लास्तु (वि०) १ कुम्हलाया हुआ मुरझाया हुआ २ जो दुबला होता जाय। ३ थका हुआ क्लिष्ट ( वि० ) १ थस्पष्ट कहा हुआ । अस्पष्ट २ बर्यर। जंगली ३ कुम्हलाया हुआ । मुरझाया मिलर्ट (न० ) जंगली बोली। ऐसी बोली जो समझ में न आवे । P ग्ले (था० परस्मै ) [ म्लेच्छति, स्लिष्ट, लेच्छित ] अस्पष्ट रूप से बोलना | जंगलियों की तरह बोलना। अंडबंड बोलना। स्ले ( म० ) ताँया । म्ले (पु० ) जंगली जाति का मनुष्य । अनार्य जाति के लोग जे संस्कृत भाषा न बोलते हों 1 . ) य य-संस्कृत या नागरी वर्णमाला का २६ व अक्षर । इसका उच्चारणस्थान तालू है। यह स्पर्शवर्ण औौर : ऊष्मवर्ण के बीच का वर्ण कहा जाता है। इसी से यह अन्तःस्थ वर्ण कहा जाता है। इसके उच्चा रख में कुछ याभ्यन्तर प्रयत्न के अतिरिक्त चाह्य प्रयत, यथा संवार और घोष अपेक्षित होते हैं। य वर्ष अल्पप्राण है। यः (पु० ) जाने वाला । २ गाड़ी | ३ हवा | MPA यकन् और हिन्दू धर्मशाओं को मानते हों। विदेशी २ जातिवहिष्कृत | जातिच्युत । बोधायन ने छ की परिभाषा यह बतलायी है :- गोपीबहुभाषते । चार विदोश्व इभिधीयते } ३ पापी | दुध मनुष्य 1-आख्यं, (न० ) ताँबा :--आशः, (पु० ) गेहूँ ।आस्यं - मुखं ( २० ) ताँबा कन्द्रः (पु० ) प्याज (जातिः ( श्री० ) जंगली जाति । पहाड़ी जाति देश:-मराडलः, ( पु० ) वह देश जिसमें म्लेच्छ रहते हों ।-भाषा. ( खी० ) विदेशियों की भाषा 1- भोजनः, ( पु० ) गेहूँ !-भोजनं, (न० ) जौ | जब | -वाच्, ( वि०) विदेशी भाषा बोलने वाला | म्जेन्द्रित (३० ३० ) अस्पष्ट रूप से कहा हुआ । जेच्छितं ( न० 1 विदेशी भाषा | २ व्याकरण- विरुद्ध शब्द या बोली। (जेति, स्लेडति ) पागल होना । लेडू, ग्लेव् (धा० आत्म० ) [ म्लेचते ] सेवा करना | पूजा करना । 'क्लै (घा० परस्मै० ) [ ग्लायति, स्लान ] कुड् लाना सुरझाना। २ थक जाना। ३ उदास होना ४ लट जाना । दुबला हो जाना | २ अन्तर्वान होना अदष्ट होना। . पवन | 8 सम्मिलन | ५ कीर्ति | ६ यक्ष जो ७ रोक ८ विजली १ स्याम १० गण विशेष | 13 यम का नाम । यकन् ( म० ) यकृत् । जिगर यकृत द्वारा शिराओं का रक्त पर हुआ करता है । यह दाहिनी कोख में रहता है। इसे कालखण्ड भी कहते हैं। -~ध्यात्मिका, (स्त्री० ) कीट विशेष उदरम्, ( न० ) जिगर की वृद्धि |