भ्राम भ्रामः ( पु० ) 1 इधर उधर का अमय । २ ग़लती भूल | भ्रामक (वि० ) [ श्री० - भ्रामिका ] ( २७ ) अकुटि: घुमाने वाला | २ परेशान करने वाला लिया। कपटी धूर्त। चालबाज़ | भ्रामकः ( पु० ) 1 सूरजमुखी फूल | २ चुम्बक पत्थर ३ खुली धूर्त ४ गीदड़ शृगाल भ्रामर (वि० ) [ स्त्री०- भ्रामरी ] मधुमक्खी सम्बन्धी | - भ्रामरं ( न० ) ) 1 चुम्बक पत्थर । ( न० ) चकर भ्रामरः ( पु० ) ) काटना | २ घुमरी र ३ मिरगी ४ शहद २ स्त्रीसम्भोग का ग्रासन विशेष | भ्रामरी (स्त्री०) दुर्गा देवी 1 २प्रदक्षिया परिकमा । चारा } { घा० आत्म० ) [ भ्राशते, भ्राश्यते, भ्लाशे) भ्लाशते, भ्लाश्यते ] चमकना जलना धधकना । भ्र (न० ) ) कढ़ाई | ( पु० ) भ्राष्ट्रः (पु० ) ) आकाश व्योम | चामध} (वि० ) भड़भूजा | भुँ अवा प्रकाश | २ | भुकंशः भ्रूकुंशः ( (30) अभिनयकर्त्ता पुरुष जो स्त्री के भ्रुकुंसः भेष में हो। . मकरः (श्री० ) । श्रडू (धा०] परस्मै० ) [ सुति २ ढकनर | एकत्र करना। भ्रू (सी० ) (सी० ) भौं टेड़ी करना । - सेपः, (पु०) भी देदी करना । कुटि:- कुड़ी - भङ्ग - भेदः, (पु०) रॉयरी चढ़ाना। --भेदिन, ( वि० ) तेवरी पढ़ाने वाला 1-मध्यं, ( न० ) दोनों भौंवों के बीच का स्थान विकास- विक्षेपः, (पु० ) - विक्रिया, (स्त्री० ) त्योरी बदलना। भ्रूणः, (पु०) स्त्री का गर्भ २ बालक की उस समय की अवस्था जब कि वह गर्भ में रहता है। प्र-हन, (वि० ) गर्भपात करने वाला। ग्रेज (था० आरम० ) [ भेजते ] चमकना । श्रेष्, स्लेय् ( घा० उभय० ) [ भ्रेपति श्रेषते, स्पति, श्लेषते] जाना। २ गिरना । लड़- संदाना । फिसलना । ३ करना। ४ नाराज़ होना श्रेषः ( पु० ) चलना। गमन फिसलना । लड़ खड़ाना । २ नारा ३ हानि ४ पाप भंग करना | तोड़ना । १ अलग करना जुदा करना । श्रौणहत्यं ( न० ) गर्भ गिरा कर या अन्य किसी प्रकार गर्भस्थ बालक को मार डालना। • भलाश देखो भ्राश | 4 म संस्कृत वर्णमाला का पचीसव न्यअन और पवर्ग : मं ( न० ) 1 जल | २ सुख कुराक्षसा | J का अन्तिम वर्ण। इसका उच्चारण होंठ और नासिका द्वारा होता है जिह्वा के अप्रभाग का दोनों होठों से स्पर्श होने पर इसका उच्चारण होता है। यह स्पर्श और अनुनासिक वर्ष है। इसके उच्चारण में संवार, सादघोष और अल्पप्राण प्रयत्न जगाये जाते है। प फ ब और भ इसके सबसे कड़े जाते हैं। ( मः ( पु० ) १ समय ऐन्द्रिजालिक चुटकुला विष्णु शिव । ८ म 1 काल । २ विष | जहर | ३ ४ चन्द्रमा | | ६ मकरः (5०) मगर नक्र घड़ियाल । २मकर राशि | ३ मकराकृत व्यूह मकराकृत कुल। सकरा- कार मुद्रा ६ कुबेर की नवनिधियों में से एक
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