पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/६३२

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भौतिक भौतिक (वि० ) [ श्री० -- भौतिकी ] जीवधारी सम्बन्धी २ अड़पदार्थ सम्बन्धी ३ भूत प्रेत सम्बन्धी -सठः, ( पु० ) साधु संन्यासी अथवा छात्रों के रहने का स्थान - 1-विद्या, ( श्री० ) जादूगरी । भौतिकं ( न० ) भोती : भौतिकः ( पु० ) शिव । भौम (वि० ) [ खो०- मामी.] १ पृथिवी सम्बन्धी २ मिट्टी का बना हुआ | ३ मङ्गल ग्रह सम्बन्धी भौमः (०) । २ नरकासुर । ३ जल | ७ प्रकाश 1~-दिनं, (न० ) -वार, ( 30 ) - - भौमनः (न० ) विश्वकर्मा । भौमिक (वि०) [बी० -भौमिकी] भौम्य (वि०) मौरिकः (पु) कोषाध्यक्ष भावनः ( 50 ) देखो-भोमन | -वासः, (पु० ) मंगलवार । -रन्नं, (न०) ' भ्रमः (g०) ३ भ्रम | २ कावा काढना । ३ भूलना मूंगा । भटकना | ४ भूल गलती | धोखा २ गड़बड़ी | परेशानी ६ भँवर ७ कुम्हार का चाफ ८ की का पाखरा सुस्ती । ११ जल- श्रोत जलपथ (वि० ) या हुआ। -प्रासकः ( पु० ) सिगलीगर । भ्रमणं ( न० ) धूमवा फिरना २ चक्रर | ३ खुटचाल | भटकना | ४ कंपा। २ भूख । राजती ६ घुमरी | चार मध्ये लोक बासी । भवादिक (वि० ) [ स्त्री० - मौवादिकी ] भू श्रेणी की धातु सम्बन्धी । - भ्रंश् ( घा० आत्मने परस्मै० ) [ भ्रंशते, चश्यति ब्रः ] गिरना ठोकर खाना १२ भटकना । बच जाना। भाग जाना।२ ३ खोना । ४ होना। घटना ६ लोप होना। भ्रंणः ) ( पु० ) १ पतन फिसलन। ठोकर । २ भ्रंसः ) होखता | हास | ३ पतन | नाश ४ पीला ५ लोप ६ मटफ जाना । पन भ्रंशन ) ( वि० ) [ भ्रंसन ) गिराने वाला। भ्रंशनी, या सनी } अंशनं ) ( न०) : गिराने की क्रिया २ वञ्चित होना । भ्रंसनं । खोना । अंशिन् (वि०) गिरने वाला २ जीर्ण होने वाला। ३ भटकने वाला ४ नाश करने वाला। अंकुशः (पु० ) जनाना रूप धरे हुए न । सूक्ष ( घा० आत्म० ) [ भ्रक्षति भ्रसते ] खाना । भवण करना ! P भ्रमर भ्रज्जनं ( म० ) भूजने सेकने या ने की किया भ्रा ( धा० परस्मै० ) [ ] शब्द करना। बजना | अभंगः ) नभङ्गः ) (पु० ) देखा भ्रूभङ्ग । भ्रम् (धा परस्मै० ) [ भ्रमनि म्यति भ्राम्यति, भ्रान्त ] १ भ्रमय करना घूमना | कावा काटना । ३ भटक जाना ४ लड़खड़ाना सग्देह युक्त होना। डाँबाढाल होना।२ भूलना।६ धुकधुक करना । लिमिलाना तिलमिलाना। पर मारना ७ घेरना । 1 भ्रमणी ( श्री०) खेल विशेष| २ ओंक। जलौका | भ्रंमत् ( बि० ) घूमने वाला --कुडा, ( श्री० ) छाता विशेष | समय ( पु० ) 1 भौरा कामुक जन विषयी जन ३ कुम्हार का चाक चर) - अतिथिः, ( पु० ) चम्पा का वृक्ष ।-अभिनीन ( वि० ) जिसमें मधुमक्खीया अमर लपडे हों।-अलकः, (पु०) माये पर की धलक या खट-इट ( पु० ) श्योनाक वृप - उत्सवा, (खी० ) माधवी लता-करण्डकः, (5० ) कँडी जिसमें भर भरे रहते हैं ( चोर लोग जब चोरी करने जाते हैं ३ इसे ले जाते हैं और जिस घर में चोरी करने जाते हैं उसमें यदि दीपक जलता हुआ हो तो भौरों को छोड़ देते हैं। वे जाकर दीपक बुझा देते हैं।) -कीटः, (पु० ) वरें विशेष --प्रियः, (पु० ) कदम्य वृक्ष विशेष - वाधा, (श्रीं० ) अमर या सं० श० कौ०-७२ भ्रमरं ( न० ) धुमरी