बिल बिल (धा० उभय०) {बिलति बेलयति--चलयते] चीड़ना। फाडना Arsना दो टुकड करना | बिल ( न० ) १ सुराख | छेद भाव माँद । २ गढ़ा | गर्त । ३ झिरी | दरार। निकास। मुहाना। ४ गुफा | ( ५९४ ) विलः ( पु० ) इन्द्र के बोड़े उच्चैय का नाम | -ओकसू (50) चे अस्तु जो चित्त या माँद में रहते हैं। कारिद्र] ( पु० ) चूहा -योनि, ( वि० ) उस जाति के जानवर जो दिल में रहते हैं।--वासः. ( पु० ) खेखर ( यह एक पशु है। जो ऊदबिलाव की तरह होता है ।- वासिन् (या विलेवासिन्) ( पु० ) सर्प | साँप | विलंगमः बिलङ्गमः }(g० ) सौंप ! सर्पं । ३ सू विलेशयः (पु० ) १ सौंप | चूहा | २ माँद या वित में रहने वाला कोई भी जन्तु । बिलः (पु० ) १ गये। गढ़ा २ बालबाल ( स्त्री० ) दस बच्चों की जननी । बिल्वः ( पु० ) बेल का पेड़ --दण्डः, ( पु० ) शिव जी - पेशिक-पेशी (स्त्री० ) बेल के फल की नरेरी या कड़ा छिलका बिल्वं (न० ) १ बेल का फल | २ तौल विशेष । जो एक पल की होती है। विल्वकीया (श्री० ) वह स्थान जहाँ अनेक बेल के पेड़ लगाये गये हों। विस् (धा० पर० ) [ विस्पति ] १ जाना | २ उत्तेजित करना। अनुरोध करना भड़काना। ३ फेंकना | ४ धीरमा | - विसं ( न० ) कमलनाज वन्तु /- कण्ठिका, ( स्त्री० ) - कण्टिन ( पु० ) छोटा सारस कुसुमं, पुष्पं, प्रसूनं, (न० ) कमल का फूल/-~~-खादिका, (न०) कमलनालतन्तु को खाने वाला 1-जं, (न०) कमल का फूल - नाभिः ( स्त्री० ) पद्मिनी । - नासिका ( स्त्री० ) सारस विशेष। योजक विसिल ( वि० ) बिस सम्बन्धी या विस से निकला हुआ। J विस्तः (पु० ) ८० रत्ती के बराबर की एक सौल जो सोनर तौलने के काम में आती है। बिसलं ( न० ) अँसुधा | श्रङ्कुर | पल्लव । कती । विसिनी (स्त्री० ) १ कमल का पौधा | २ कमलनाल सन्तु ३ कमल समूह G बिल्हणः ( पु० ) विक्रमादेव चरित्र के रचयिता एक कवि का नाम । बोर्ज (न०) 1वीजा २ अर| गाभ। जड़ | उद्गम तत्व | ३ उद्गम स्थान | उत्पत्ति स्थान | उपादान कारण | ४ वीर्य ५ किसी नाटक की मूल कथा या कहानी ६ गूदा गरी। मिगी। ७ बीजग शित [८] श्रीजमंत्र | 1 अक्षरं, (न० ) मंत्र का आदि अचर। -श्रादयः पूरा पूरकः, - 1 ( पु० ) नीबू । जंभोरी - पूरं, -- पूरकं, (न० ) नीबू का फल। उत्कृष्टं (न० ) उत्तम बीजा। -उदकं, (न० ) भोला ।-कर्तृ (पु० ) शिव - कोष, कौशः, (पु०) बीज फली। छीमी रखने का पात्र | गणतं ( ३० ) बीजगणित का विज्ञान /-गुतिः ( श्री० ) फली] | मी दर्शकः, ( पु० ) स्टेज मैनेजर । रंगशाला का व्यवस्थापक /-धान्यं, ( म० ) धनिया कोथमीर 1-न्यासः, ( पु० ) किसी नाटक की कथा के उद्गम स्थान को, या आधार के बतलाना |-पुरुषः (पु० ) गोत्रप्रवर्तक ।-- फलकः, ( पु० ) नीबू का मंचः (पु०) मंत्र के आदि का अञ्चर- मातृश ( स्त्री० ) कमलगट्टा-रुहः ( पु० ) अनाज नाज - चापः, (न०) १ बीज बोने वाला | २ बीज बोने की किया- वाहनः, ( पु० ) शिव जी - सू ( पु० ) पृथिवी । - सेक्तू ( पु० ) ( वि० ) उत्पन्न करने वाला पैदा करने वाला। जंभीरी का बृदयध्यक्षः ( पु० ) शिव - अश्वः, (पु० ) साँड़ घोड़ा। ( वह घोड़ा जो केवल घोड़ियों को ग्याभन करने के लिये होता है। ) - 1- चीजः (पु० ) नीबू या बीजकं ( म० ) बीजा। बीज बीजकः ( पु० ) १ नीबू । २ जंभीरी । ३ जनम के समय बच्चे की वह अवस्था जब उसका सिर दोनों
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