बांधक 2 चिन्ता चिड़ाया गवनी | ३ हानि । अनिष्ट घोट ४ भय ख़तरा जोखों १ मुकावला सामना ६ एवं राहु आपत्ति ७ खण्डन । प्रतिवाद । बाधक (वि०) [ बी-वाधिका ]दायी | पीडाकारी । २ छेडछाड़ करने वाला ३ मिटाने वाला मेंटने वाला ४ दावा डालने वाला। बाधनं ( न० ) १ अत्याचार | छेड़खानी | चिढ़। गड़- बड़ी पीड़ा २ बण्डन । ३ स्थानान्तर करण | ४ प्रतिवाद | वाधना (स्त्री० ) फष्ट पीड़ा गड़बड़ी वाधित (वा० ० ) त्याचार किया हुया हुआ। पीड़ित ३ सुकायला किया हुआ सामना किया हुआ | ४ रोका हुआ यंद किया हुआ । २ बरतरफ किया हुआ। मंसूक किया हुआ। न्यारिज किया हुआ ६ खण्डन किया हुआ | बाधिये ( न० ) वहिरापन | बांधकनेयः बान्धकिनेयः बांधवः 9 रिश्तेदार सगा नातेदार | २ मातृ बान्धवः । पक्षी नातेदार । ३ मित्र ४ भाई - अनः, ( पु० ) नातेदार । नातेगोते का । बाधयम् ( न० ) सम्बन्ध | नातेदारी रिश्तेदारी । चाम्री (स्त्री०) दुर्गा देवी का नामान्तर | वीरः (०)श्रम का गूदा २ टीन जस्ता ३ औं | अङ्कुर | ४ वेश्यापुत्र । वाई (वि० ) [ स्त्री० वा ] मोर की पूंछ के परों का बना हुआ। } (पु० ) दोग़ला ॥ वर्णसङ्कर | - वार्हद्रथः बाहद्रविः । } ( पु० ) जरासन्ध का नाम । ( ५६१ ) चार्हस्पत (चि० ) [ स्त्री-बार्हस्पती ] बृहस्पति सम्बन्धी बृहस्पति से उत्पन्न बृहस्पति का। चाईस्पत्य (वि० ) बृहस्पति सम्बन्धी । बाईस्पत्यं ( न० ) पुष्य नक्षत्र | वार्हस्पत्यः (पु० ) बृहस्पति का अनुयायी जिन्होंने अढ़वाद का उग्रवाद ● लोगों को सिखलाया था। जड़वादी । बृहस्पति का शिष्य २ उन 1 O बाहिण (वि० ) [ श्री० - बार्टिणी ] मयूर सम्बन्धी या मयूर से उत्पन्न बाल (वि०) मालक लड़का। जो जवान न हुआ
हो र हाल का उगहुआ। सूर्य ३ बालकों का सा ४ अज्ञानी । मूर्ख (अणः, ( पु० ) तड़का बोर | र्क (पु० ) हाल का निकला सूर्य अवस्था ( ० ) लड़कान - प्रातः (पु.) प्रातःकालीन धूप ---इन्दु (पु०) चन्द्रमा । (प्रतिपदा द्वितीया का ---इः, ( पु० ) देर का पेड़- उपचारः, ( पु० ) लड़कों की चिकित्सा कदली, ( स्त्री० ) छोटी जाति के केले का दूध | -कृमिः, ( पु० ) जू । चिलुआ 1-क्रीडनकं ( न० ) वालक का खिलाना। -क्रीडनकः, ( पु. ) १ गेंद | २ शिव । -क्रीड़ा. (स्त्री) बालक का खेड़क खेल 1- खियः, ( पु० ) पुराणों के अनुसार ब्रह्मा के रोम से उत्पशऋषि समूह जिनके शरीर का आकार अँगूठे के बराबर है। इस समूह में साठ हजार ऋषियों की गणना है। ये सब के सब यई तपस्वी हैं। - गर्भिणी (स्त्री०) यह गा जो प्रथम बार व्यानी हो :-चरितं ( न० ) १ लड़कों के खेल - चर्यः (पु० ) कार्तिकेय - चर्चा (सी० ) वालक की चर्या ।- तनयः ( पु० ) सदिर का वृक्ष (०) बालकों के लालन पालन आदि की विधि । कौमारभृत्य दलकः (पु० ) मंदिर का पेड़-पाझ्या (०) १ सिर के केशों में धारण करने का पुराने ढंग का एक गहना चोटी में गूंथने की मोती की लड़ी। पुष्टिक, पुष्टी (स्त्री०) चमेली। बाघः ( पु० ) कोई पुस्तक जो बालकों या अनुभव शून्य लोगों के पढ़ने के लिये हो :-- - भद्रकः ( पु० ) दिय विशेष-भारः ( पु० ) लंबी और वालदार पूँछ। भाव:, ( पु० ) लड़कपन | -भैषज्यं ( न० ) सुर्मा विशेष ( -भोज्यः ( पु० ) मटर चना 1-मृगः ( पु० ) हिरन का बच्चा। यज्ञोपवीतकं ( न० ) जनेऊ जो वत:स्थल के ऊपर होकर पहिना जाय। - बालः ( पु० ) वाल. ३ बजेदा| ४ वर्ष का हाथी अच्छा | २ अवयस्क | नावालिग मूर्ख ॥ २ पूँछ ६ केश पाँच सुगन्धद्रव्य विशेष |