पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/५९६

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( ६ ) चहल मजबूत २ गाढ़ | धना | ३ लये लये बालों वाली ( असे पूँछ ) 9 सख्त द न (पु० ) उस विशेष | जा ( स्त्री० ) बड़ी इलायची । ● । स् (अन्यवा० ) १ बाहिर की ओर । बाहिरी । २ द्वार के बाहिर । ३ बाहिर की थोर से । (वि० ) [ स्त्री०- बहु या वह्नी ] विपुल। प्रचुर २ बहुत से अनेक ३ सम्पन्न | बहुतायत से अप, अप, ( वि० ) तरल | पनीला 1- अपत्य, (वि०) धनेक सन्तानों वाला।-अपत्यः ( पु० ) १ शूकर २ चूहा घूंस प्रपन्या (स्त्री०) कई बार की व्यायी हुई गौ।-आशिन् (वि० ) पेटू | भोजनभट्ट उदक, (पु० ) एक प्रकार का संन्यासी ऋऋच्. (स्त्री०) ऋग्वेद | --एनस, (वि०) बड़ा पापी /कर, (चि० ) मशगूल कामधंधे में लगा हुआ. -करः, (५०) 9 महतर सफाई करने वाला। २ कँट १- करो, ( श्री० ) झाडू बदनी 1 --कालीन, (वि० ) पुरातन । पुराना ।-कूर्चः, ( पु० ) नारियल का वृक्ष विशेष -गन्धदा, (बी० ) मुरक कस्तुरी /-गन्धा, ( स्त्री० ) 1 यूयिका लता । २ चम्पा की कली - जल्प, (वि० ) बानूनी। बकवादी - दक्षिण, ( वि० ) 1 जिसमें बहुत साशन दिया जाय। २ उदार-दायिन (वि०) उदार- दुग्ध, (वि० ) बहुत दूध देने वाली। ---दुग्धः ( पु० ) गेहूँ (दुग्धा (स्त्री० ) बहुत दूध देने वाली गौ- -दृश्यन् (वि० ) बदर धनुभवी -धारं, ( न० ) इन्द्र का वज्र- धेनुकं ( न० ) बहुत सी गौएं।-नादः, (पु० ) पत्रः ( पु० ) लशुन लहसन-पत्रं, ( म० ) भुवर | अभ्रक अवरक - पत्री, ( श्री० ) तुलसी बृत पढ़ पाद, पादः, ( पु० ) वट वृक्ष पुष्पः, ( पु० ) 1 मँगा का २ मींव का पेड़ --प्रज, (वि० ) अनेक सन्तानों वाला 1- प्रजः, (पु० ) १ शुकर २ मंज घास-प्रद ( विc ) अतिशय उदार । प्रसूः, (सी० ) अनेक बच्चों की माता -प्रेयसी, ( वि० ) अनेक प्रेमियों वाली / -- फलः, ( पु० ) बल ( 3 ) घर 1 ( 1 ११ साथ ( वि० ) बड़ा भाग्यवान् । अनि ( वि० ) वकवादी गप्पी -मञ्जरी ( जी० ) तुलसी -मत, ( वि० ) अतिशय माननीय i-मजं. ( न० ) सीसा | जस्ता -मानः ( 50 ) अतिशय मान -मानं, (न० ) वद पुरस्कार जो बड़े से छोटं को मिले। -मान्य, ( वि० ) सम्माननीय पूज्य - माय, (वि० ) सायाची । चली। कपटी । विश्वासघाती - मार्गगा, गंगा नदी -मार्गी, स्त्री० ) वह जगह जहाँ अनेक मार्ग मिलते हैं। -मूत्र (वि० ) प्रमेद रोग से पीड़ित /-सूर्धन, (पु० ) विका नामान्तर 1-~मूल्य ( वि० ) क्रीमती । बहुत दामों का 1- मृग, ( वि० ) जहाँ बहुत से हिरन हो। हिरनों की बहुतायत ।-रूप, (वि० ) : अनेक रूप धारण करने वाला २ चितकबरा - रूपः ( ) सरद गिरगड छपकली २ केश ३ सूर्य ४ शिव ५ विष्णु ६ । ७ कामदेव |-रेतस्, ( पु० ) ब्रह्मा |~~ रोमन, ( पु० ) मेड़ा | भेव ! -लवणं, (न० ) दुनिया ज़मीन 1-वचनं, ( न० ) व्याकरण की एक परिभाषा जिससे एक से अधिक वस्तुओं के होने का ज्ञान होता है। जमाव, (वि० ) अनेक रंगों का - विघ्न, ( वि० ) अनेक विघ्न या बाधाएँ डालने वाला - विध, (वि० ) अनेक प्रकार का ।-वीजं, ( बीज ) ( न० ) शरीफा | सीताफल /- व्रीहि (वि० ) १ बहुत चावलों वाला ~मीहिः, (5०) छः प्रकार के समासों में से एक। इसमें दो था अधिक पदों के मिलने से जो पद बनता है वह किसी अन्य पद का विशेषग्य होता है। शत्रुः (पु०, गोरैया चिड़िया -- शल्यः, (पु० ) खविर विशेष शृङ्गः (पु० ) विष्णु का नामान्तर ।-धृत, (वि० १जिसने बहुत कुछ सुना हो। अनेक विषयों का जानकार। यदा विद्वान | २ वेदों का ज्ञाता /-सन्तति, ( पु० ) एक जाति का बॉस-सारः, (पु० ) खदिर वृष - सूः, (पु० ) १ अनेक सन्तवि बाली जननी । २ शूकरी /- सुतिः ( श्री० ) १