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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/५७१

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प्रस्तरण प्रस्तरा ( २६४ ) ५ शय्या मज २५०की ! कारण (पु० ) प्रस्मरगा (खा० ) ) प्रस्तारः ( 50 ) ऊँलाव विस्तार २ फूलों और पत्तों से सवारी से या शय्या। इसेज शय्या १४ चौरस मीन मैदान २ जंगल वन ६ छन्दः शास्त्र के अनुसार नव प्रत्ययों में से प्रथम इसमें घंटों के भेद की संख्या और उनके रूपों का वर्णन होता है। इसके दो भेद हैं। प्रथम वर्णमस्तार | द्वितीय मात्रास्तार | प्रस्ताव (०) आरम्भ शुरुआत २ भूमिका उपक्रम | ३ वर्शन | चर्चा | जिक्र ४ अवसर । मौक़ा ५ प्रकरण | विषय | ६ अभिनय में अभि नय से पूर्व विषय का परिचय | प्रस्तावना (श्री०) १ प्रशंसा सराहना | २ आरम्भ | शुरूआत | ३ भूमिका उपोद्धात | ४ नाटक में सूत्रधार और किसी नट से भारम्भिक बातचीत जिसमें नाटकरचयिता और उसकी योग्यता का वर्णन दिया जाता है। प्रस्तावित ( वि० ) : आरम्भ किया हुआ थर्पित। मस्तिरः ( पु० ) फूलों और पत्तियों की सेज | कामिन प्ररू ( न० ) १ चम २ पहाड़ के प्रस्थ ( पु० ) | ऊपर की चोरल भूमि अधित्यका । देवुखलैंड ३ पर्यंतशिखर ४ प्राचीन कालीन एक तौल २ कोई वस्तु जो एक प्रस्थ यानी एक बालिश्त के लगभग हो (पु) दोलामाका २ छोटे पत्ते की तुलसी | प्रस्थानं ( म० ) १ गमत | यात्रा रवानगी २ भाग- मन ३ कूछ । सेना था चढ़ाई करने वाली सेना का कुंच | पद्धति । ५ मृत्यु | मरण ६ अपष्ट श्रेणी का नाटक । प्रस्थापनं ( न० ) रवानगी। विदाई | २ दौत्य - कार्य पर नियुक्ति ३ स्थापन | सिद्ध करना । ४ उप- योग ५ पशुओं की रवानगी । उनको दूर भेजन प्रस्थापित ( ३० कृ० ) । भेजा हुआ रवाना किया हुआ। २ सिद्ध किया हुआ । स्थापित किया हुआ। प्रस्थित (व० कृ० ) गत ( गया हुआ । प्रस्थितिः ( स्त्री० ) १ रवानगी । प्रस्थान | २ यात्रा । प्रस्तुसालङ्कार | प्रस्तुतं ( म० ) १ उपस्थित विषय | २ विचाराधीन या विवादग्रस्त विषय | प्रस्थ (वि० ) १ जाने वाला भेंट करने वाला अनु- सार चलने वाला। २ यात्रा के लिये जाने वाला। ३ फैलाना। बड़ाना। विस्तार करना। ४ स्थिर || स्थायी । कुंच प्रस्नः ( पु० ) स्नान पात्र | प्रस्तीत ) (व० ० ) १ उड़ करता हुआ | शब्दाय- प्रस्तीम मान २ भोड़भाड़ लगाये हुए। प्रस्तुत (च० कृ० ) : जिसकी स्तुति या प्रशंसा की। प्रस्तुत ( व० ० ) टपकता हुआ । चूता हुआ । गयी हो । २ आरम्भ किया हुआ ३ पूर्ण किया हुआ खत्म किया हुआ। ४ जो घटित हुआ हो। जो समीप या सामने हो। ६ विवादग्रस्त प्रस्ता-! विठ वर्णित हाथ में लिया हुआ गिरता हुआ।-स्तनी (स्त्री०) यह स्त्री जिसकी छाती से दूध टपकता हो । (मातृस्नेह के आधिक्य से ) " मस्नुषा ( स्त्री० ) पौत्र की पत्नी प्रस्पन्दन ( न० ) धड़कन प्रस्फुट ( वि० ) १ फूला हुआ प्रकाशित। जाहिर साफ। स्पष्ट नतबहू । ( ( पु० ) एक अलङ्कार विशेष इसमें एक प्रस्तुत पदार्थ के सम्बन्ध में कुछ कह कर उसका अभिप्राय दूसरे प्रस्तुत पदार्थ पर घटाया जाता है। खिला हुआ । २ प्रस्तवः ( पु० ) १ नहाव उमड़ कर बहना । २ ( दूध की ) धार प्रस्फुरित (६० कृ०) काँपता हुआ प्रस्कोदनं (न० ) फोड़ निकलना । 1 1 थरथराता हुआ। विकसित होना या करना। खिलना खिलाना ३ प्रकट करना। प्रकाशित करना । खोद देना। ४ फटना (अनका) १ सूप ६ पीटना ठोंकना । प्रशंसिन् (बि० ) [ स्त्री० - प्रांसिनी ] थकाल ही में गिरने वाला या कच्चा गिरने वाला ( गर्भ ) । 1