TEA अनोकरः मोहः (पु० ) वृक्ष अनौचित्य ( न० ) अयोग्यतः । अयुक्तता । अनाजस्थं ( न० ) उत्साह साहस या बल का अभाव | ( ५० } अतर, अन्तर अंतक, अन्तक ( वि० ) जिससे मौत हो । नाश करने वाला । मोहलक । मृत्युशील । अंकः अन्तकः ( पु०) १ मौत । मृत्यु | २ यमराज | अंततः अन्ततः (अव्यया० ) १ अन्त से २ अन्त में। आखिर में। सत्र से पीछे से ३ कुछ कुछ थोड़ा थोड़ा ४ भीतर। अन्दर 1 नत्यम् (न० ) १ शील | विनम्रता | २ शान्ति । अनौरस (वि० ) शास्त्रविरुद्ध । निजू नहीं। गोद लिया हुआ (पुत्र ) । रंत, अन्त (वि०) ३ समीप | २ अखीर | ३ सुन्दर । प्यारा । ४ सब से नीचा सब से गयायीता | २ सबसे छोटा ( उम्र में ) 1-तः [ कभी कभी नपुंसक भी] (g० ) 1 छोर | सीमा | मर्यादा । २ किनारा। धार | ३ वस्र का आँचल | ४ पड़ोस । सामीप्य | उपस्थिति । ५ समाप्ति | ६ मृत्यु | नाश जीवन की समाप्ति । ७ (व्याकरण में) किसी शब्द का अन्तिम अक्षर या शब्दांश ८ समासान्त शब्द का अन्तिम शब्द | ६ forget भाग या अवशेष भाग जैसे-निशान्त | वेदान्स | ११ प्रकृति । अवस्था प्रकार जाति । १२ स्वभाव | सिजाङ्ग । सारांश -अवशायिन् (पु० ) चाण्डाल /-- अवसायिन ( पु० ) १ नाई । २ अछूत जाति । चाण्डाल। –कर, करण, -कारिन (वि० ) नाशक। मारक। मरणशील 1- कर्मन ( न० ) मृत्यु 1-कालः ( पु० ) - बेला (स्त्री० ) मृत्यु का समय या मृत्यु की घड़ी । - ग (वि० ) १ अन्त तक पहुँचा हुआ । २ भली भाँति परिचित । -गति, -गामिन् (वि० ) नष्ट नाशवान् |-- गमनं ( न० ) १ समाप्ति | पूर्णता | २ मृत्यु | दीपकं (न० ) चलङ्कार विशेष - पालः (पु०) १ आगे का सैन्यदल | २ द्वारपाल/---- लीन (वि०) छिपा हुआ /- लोप: (पु० ) शब्द के अन्तिम अक्षर का अभाव | - वासिन् । (वि०) सीमा पर रहने वाला। समीप रहने वाला (पु० ) १ शिष्य जो सदा अपने शिक्षक के समीप रह कर विद्याध्ययन करता है | २ चाण्डाल जो गाँव के निकास पर रहता है। --- शय्या ( वि० ) १ भूमि पर का बिछौना । मृत्युशय्या | २ कब्रगाह । कवरस्तान | श्मशान | सक्रिया (स्त्री०) दाहकर्म । -सद् ( पु० ). शिष्य । छात्र ( अ ) अन्त में । आखिर में। २ भीतर | अंदर | ३ सामने । समीप में । पास में 1 -- वासः ( पु० ) १ पड़ोसी | साथी । २ शिष्य | छात्र | शागिर्द अंतर, अन्तर (अव्यया० ) ( धातु का एक उपसर्ग ) बीचोबीच मध्य में अन्दर में अग्निः ( go ) जठराशि | पेट के अंदर की धाग जो भोजन पचाती है -प्रङ्ग ( वि० ) भीतरी । भीतर का । - अङ्गम् (न०) १ भीतरी अंग अर्थात् हृदय सन २ प्रसाद मिश्र | विश्वस्त पुरुष-आकाशः ( पु० ) वा जो हृदय में वास करता है | हृदयाकाश । आकृत ( न० ) गुरु विचार | मन में छिपा हुआ इरादा ।—आत्मन् (पु०) १ आत्मा जीव । आन्तरिकभाव । हृदय २ ( बहुवचन में ) श्रात्मा के भीतर रहने वाला परमात्मा / आराम ( वि० ) मन में आनन्दा- नुभव (इन्द्रिनं (न० भीतर की इन्द्रिय | मन । -करणं (न०) हृदय जीव रूह | विचार और अनुभव का स्थान | विचार शक्ति | मन | सत्या- सस्य विवेकशक्ति ।-कुटिल (वि. ) मन का कपटी | कुटिल। -कुटिलः (पु०) शङ्ख । -कोणः ( पु० ) भीतरी कौना /-कोपः (१० ) अंदरूनी गुस्सा | भीतरी क्रोध । - गहु (वि०) निकम्मा । व्यर्थं । अनुपयोगी ~~-गम्, --गत (वि० ) देखो "अन्तर्गम्”-गर्भ (वि०) गर्मिणी । – गिर, गिरि (अव्यया०) पहाड़ों में। - गुडवलय (g०) अन्तर्गुदावलय | मलद्वार आदि स्वाभाविक छिद्रों को खोलने मूंदनेवाली गोलाकार पेशी 1-गूह (वि०) भीतर छिपा हुआ। गूढ़ विषः (पु०) हृदय में छिपा हुआ विष 1-गृहं, गेहूं, भवनं (न०) घर के भीतर का कोठा या कमरा ।-घयाः
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