प्रभूति प्रभूति ( स्त्री० ) १ उत्पत्ति | निकास | २ बल | शक्ति | ३ पर्याहता | ( ५५३ ) प्रभूतिः (अव्यया० ) से | तब से | आरम्भ कर | से अव से अप्रभृति । 1 प्रभेदः (०) भेद । विभिन्नता । २ स्फोटन फोड़ कर निकालने की किया ३ हाथी की कन- पुढी से मद का चुना। ५ जाति | तरह । प्रभ्रंशः ( पु० ) पात | गिरना । प्रभ्रंशथुः (पु० ) पीनस रोग । प्रभ्रंशित (व० कु० ) १ नीचे गिराया या फेंका हुआ २ वञ्चित किया हुआ। मशिन् ( २० ) गिरा हुआ प्रष्ट (व० कृ० ) पति नीचे गिरा हुआ। मभ्रषं ( न० ) शिखावलम्विनी फूलमाला | मभ्रष्टकम् ( न० ) देखो प्रभ्रष्टुम् । प्रमग्न ( व० कृ० ) हूबा हुआ प्रमत (व० कृ०) विचारा हुआ मनन किया हुआ। प्रमत्त ( व० कृ० ) 1 नशे में चूर | नशा पिये हुए। मस्त २ पागल सावधान लापरवाह। जो ध्यान न दे । ४ जो काम न करे। ५ भूल करने वाला ६ कामुक । व्यसनी गीत (वि० ) असावधानी से गाया हुआ। चित्त, ( वि० ) असावधान। जापरवाह । प्रमथः (पु० घोड़ा २ शिव के गए जिनकी संख्या किसी किसी पुराणानुसार ३६ करोड़ बत- लाई गयी है। अधिः, नाथः पतिः, ( पु० ) शिव जी । प्रमथनम् ( न० ) --- 1 सथना २ पीड़ित करना सताना | ३ कुचलना ४ हत्या | वय | प्रमश्रित (व० कृ० ) : सताया हुआ । पीड़ित | २ कुचला हुआ । ३ मार डाला हुआ। ४ भली । भाँति सथा हुआ। प्रमथितम् ( न० ) माठा जिसमें जल न हो । प्रमद ( दि० ) १ नशे में मस्त । २ कोषविष्ट । क्रुद् ३ असावधान । ४ असंयत । निरङ्कुश । यशिष्ट। --काननम् ( न० ) - वनम् (२०) पेश- बारा आनन्दबाग़ प्रमदः (पु० ) हर्ष आह्लाद २ धतुरे का पौधा प्रमाण प्रमक ( वि० ) कामुक लंपट ऐयाश | प्रमदनम् (२०) प्रीविद्योतक अभिलाया । प्रलदा ( श्री० ) १ युवनी सुन्दरी स्त्री | २ पत्नी । स्त्री | ३ कम्याराशि |– काननम् - वनं, (न०) - राजमहल में रनवास का उद्यान, जहाँ रानियों चलें फिर 1-जनः, ( पु० ) युवती । २ स्त्री जाति । प्रमहर (वि० ) सावधान। लापरवाह प्रमनस् (वि० ) सहर्षित | भमन्यु (वि० ) १ क्रोधाविष्ट कुछ नाराज़ २ पीड़ित दुःखी । समयः ( पु० ) मृत्यु मौत। थरवादी नाश । अधःपात | ३ च । हत्या | मईनं न० ) १ अच्छी तरह मदन अच्छी तरह ६ कुचलना या नष्ट करना। पैरों से हंधना | प्रमर्दनः (पु० ) विष्णु का नामान्तर । 1 प्रमा ( श्री० ) शुद्धबोध यथावे ज्ञान २ जहाँ जैसा हो वहाँ वैसा अनुभव | 1 प्रमाां ( न० ) १ माप नाप २ आकार आय तन ३ पैमाना नपुझा श्रेणी | ४ सीमा | मात्रा । २ साधी | गवाही । सबूत ६ अधि कारी या वह पुरुष जिसका कथन अन्तिम निर्णय हो । न्यायाधीश | ७ यथार्थ ज्ञान शुद्ध बोध ८ यथार्थ ज्ञान प्राप्ति का साधन [ नैया यिकों ने चार प्रमाय माने हैं। -- यथा प्रत्यक्ष अनुमास उपमान शब्द वेदान्ती और मोमाँ- सक इन चार के अतिरिक्त अनुपलब्धि और अर्थापत्तिः दो प्रमाय और मानते हैं। सौख्य वाले केवल प्रत्यक्ष अनुमान और आगम-वे तीन ही प्रमाण मानते हैं ] मुख्य प्रधान १० ऐक्य | ११ धर्मशास्त्र | आगम | १२ कारण | युक्ति | -आंधक (वि० ) अत्यधिक बहुत ज्यादा। --अन्तरं, (न० ) कोई बात प्रमाणित करने के लिये धन्य ढंग-भावः (पु० ) प्रमाण का अभाव झः ( पु० ) शिव जी - दूध, ( वि० ) प्रमाण सिद्ध पत्रं, (न० ) यह लिखा हुआ कागज़ जिसका लेख किसी बात का प्रमाण हो। सर्टीफिकेट / पुरुषः, (पु० ) पंच सं० श० को०-७०
पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/५६०
दिखावट