पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/५५५

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( ५४८ प्रत्युद्धरण यहों में या भोजन के समय पहना जाता था। धोनी उपरना। प्रत्युद्धरण (२०) परहस्तगत वस्तु को वापिस | प्रथिमन् (न०) चौड़ाई। महानता । विस्तार आयतन | लेना २ पुनः उठ खड़ा होना । प्रत्युद्यमः ( पु० ) ३ समान भाव या दल । २ प्रति रोध प्रतिक्रिया | प्रत्युधात ( वि० ) देखो "प्रत्युद्ध " प्रत्युन्नपनम् ( न० ) पुनः उठ खड़े होना उद्दल कर लौट आना। पवन खाना । प्रत्युपकारः (०) उपकार जो किसो उपकार के बदले में किया जाय। ) देख पढ़ना। प्रकाश में आना । मथा (श्री० ) कीर्ति। ख्याति । प्रथित ( व० कृ० ) 9 प्रसिद्ध किया हुआ प्रदशनम् किया हुआ | ३ दिखलाया हुआ। प्रकट किया हुआ। प्रसिद्ध । विख्यात प्रथिविः ( स्त्री० ) पृथ्वी । धरा । भूमि । प्रथिष्ठ (वि० ) सब से लंबा सथ से चौड़ा। धर्ज में सब से बड़ा प्रथोयस् (वि० ) [ स्त्री०- प्रथीयसी ] अपेक्षाकृत लंबा चौड़ा। विस्तृत मधु (वि० ) विस्तृत + चारों ओर व्यास या फैला हुआ । प्रथुकः ( पु० ) योग। चूड़ा चौंरा | प्रदक्षिणा ( वि० ) देवपूजन के समय देवमूर्ति आदि को दहिनी ओर का सभक्ति उसके चारों ओर घूमने वाळा | २ पूज्य | माननीय | ३ शुभ | मङ्गलकारी । भक्ति पूर्वक किसी पूज्म को दहिनी ओर कर उसके चारों थोर घूमना । { | प्रदत्तिण ( न० ) प्रदत्तिणः (पु० ). प्रदक्षिणा (स्त्री० ) प्रदक्षिण ( धन्यया० ) १ वायीं से दहिनी ओर २ दहिनी ओर। ३ दक्षिण की ओर। दक्षिण दिशा की ओर:-अर्चिस (वि० ) अभिजिसकी लों दहिनी ओर झुकी हो। - किया, ( स्त्री० ) परिक्रमा करने की क्रिया - पट्टिका ( स्त्री० ) । खुला मैदान | 1- प्रदग्ध ( ३० कृ० ) जला हुआ। जो भस्म हो चुका हो। प्रत्युपकिया ( श्री० ) वह सेवा ओ किसी सेवा के बदले में की जाय। मस्युपदेशः (पु० ) वह उपदेश जो उपदेश के बदले दिया जाया। प्रत्युपमानं (न०) १ नमूना | बानगी | २ यथार्थ नकल | ।३ यथार्थ तुलना । प्रत्युपलब्ध ( च० ऋ० ) वापिस मिला हुआ फिर से पाया हुआ। प्रत्युपवेशः (पु० ) ) कोई कार्य कराने के लिये प्रत्युपवेशनं ( न० ) अभ्यास कराना । प्रत्युपस्थान ( वि०) सामीप्य प्रत्युप्त ( ३० कृ० ) १ जड़ा हुआ बोया हुआ। ३ गाड़ा हुआ मजबूत करके गादा हुआ। } प्रभात। भोर 1 1 नैकठप पड़ोस विछाया हुआ | २ लगाया हुआ। ) तड़का | प्रत्युषः (पु० ) प्रत्युषसू (न० प्रत्यूष ( म० ) १ प्रभात । भोर । सवेरा। सड़का ! | प्रदरः ( पु० ) 1 फोड़ने या तोड़ने का भाव । २ अस्थि- प्रत्यूषः (पु० ) ) ( पु० ) १ सूर्य | २ आठओं प्रदत्त ( च० कृ० ) दिया हुआ। में से एक बसू का नाम । भङ्ग । हड्डी का टूटना। दरार | सड़कन | गते । गहर । ३ सेना का पलायन ४ स्त्रियों का रोग विशेष जिसमें स्त्रियों के गर्भाशय से सफेद या लाल रंग का लसीदार पानी सा वहा करता है। प्रत्यूषसू ( न० ) प्रभात ! सवेरा। भोर | सड़का | प्रत्यूहः ( पु० ) अड़चन रोक अटकाव । प्रथ] ( घा० आम० ) [ प्रथते, प्रथित ] 3 ( धन की) | प्रदर्पः ( पु० ) अभिमान | अकड़ अहङ्कार वृद्धि करना । ३ (कीर्ति का ) फैलाता । ३ प्रसिध्द होना। विख्यात होना ४ प्रकट होना। प्रदर्शः ( पु० ) १ शक्त। सूरत । चितवन । २ आदेश | आशा । प्रदर्शक (वि०) दिखलाने वाला बतलाने वाला। बढ़ा हुआ | फैला हुआ | २ | प्रदर्शनम् ( न० ) १ सूरत । शङ्क | चितवन २ घोषित किया हुआ। प्रचार दिखावट दिखलाने का काम ३ प्रदर्शनी | नुमा-