पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/५२०

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पुष्कुल ( खो० ) – यावृत्तिः, ( स्त्री० ) १ दुहराना | २ पुनर्जन्म | ३ संशोधन (किसी पुस्तक का ) | उक ( दि० ) १ पुनः कहा हुआ दुहराया हुआ | २ फालतू | अनावश्यक ।उक्के, ( न० ) - पुनरुक्तता. ( स्त्री० ) १ दुहराने की क्रिया | २ फालतूपना । अनावश्यकता । निरर्थकता |--- उक्तिः, (स्त्री० ) देखो पुनरुक्तता । - उत्थानं. ( न० ) फिर से उठना । - उत्पत्तिः, ( स्त्री० ) पुनर्जन्म 1-उपगमः, ( पु० ) लौटना | - उपाहा,—ऊहा, (स्त्री०) दुबारा व्याही हुई स्त्री | -गमनं, ( म० ) पुनःगमन। -जन्मन्, (न०) पुनर्जन्म-जात, ( वि० ) पुन: उत्पन्न हुआ। - एवः, -नवः, ( पु० ) नाखून | जो बार बार उत्पन्न हो । - दारक्रिया, ( स्त्री० ) पुनर्विवाह ( पुरुष का ) । प्रत्युपकारः, (पु०) किसी के उप- कार का बदला चुकाना चार यार जन्म ग्रहण । २ नाखून | नख । - भावः, ( पु० ) पुनर्जन्म | -भूः, ( १० ) पुनर्विवाहिता विधवा 1- यात्रा, ( श्री० ) १ पुनर्गमन | २ बार बार जलूस का निकलना ।- वसुः, ( पु०) १ पुनर्वसु- नक्षत्र | २ विष्णु | ३ शिव ! -विवाहः, ( पु० ) दुवारा विवाह । ( ५१३ ) पुकुल: ( पु० ) उदरस्थवायु । जठरवात । गुरफुसः ( पु० ) १ फेंफड़ा। पद्मवीज कोष । पुरस - ( पु० ) - रिपुः, ( पु० ) शिव जी के नामान्सर। --उत्सवः, (३० ) नगर में मनाया जाने वाला उत्सव 1 -उद्यानं, ( न० ) पार्क या नगर के बीच में लगाया हुआ बाग -धोकस ( पु० ) नागरिक नगरनिवासी | - को, ( न० ) गढ़ : नगरकोट 1-ग ( वि० ) नगर में जाने वाला | २ अनुकूल - जिल्,- द्विप् - भिहू ( पु० : शिव जी का नाम । - ज्योतिस ( पु० ) १ अग्नि | २ अग्नि- लोक 1- तटी, (स्त्री० ) छोटाग्राम | छोटा ग्राम जिसमें बाज़ार या पैठ लगती हो । तोरणं, ( ज० ) नगर का बहिर 1- निवेशः ( पु० ) नगर की नीव डालना । -पालः, (पु० ) शहर का हाकिम | गढ़ का नायक :- मथनः ( पु० ) शिव जी का नामान्तर : आर्गः, (पु०) नगर की गलो। रक्षा रक्षका, रचि ( पु० ) कॉस्टेविल नगररचकदल का सिपाही या अफसर । -रोधः (पु० ) गढ़ी का अवरोध या घेरा – वासिन्, ( go ) नागरिक | नगर निवासी --शासनः, ( पु० ) १ विष्णु | २ शिव । धुरं ( न० ) 1 नगर | शहर | २ महल | गढ़ | गढ़ी । ३ घर | मकान | ४ शरीर । ५ जनानन्द्वाना | ६ पाटलिपुत्र या पटने का नामान्तर । ७ दौना । | पत्तों से बनाया गया प्यालेनुमा पात्र ८ चकला | छिनाल स्त्रियों या रंडियों का बाज़ार । १ चमड़ा। १० मौधा । ११ गुस्सुल । अः ( पु० ) परकोटे की दीवाल पर बनी हुई बुर्जी या बुर्ज । - अधिपः, अध्यक्षः, ( पु० ) किसी नगर का शासक या हाकिम 1-- अरातिः - रिः, . पुरटं ( न० ) सुवर्ण | पुरण: ( पु० ) समुद्र | सागर । पुरतस् ( अव्यवा० ) १ पीछे से। डर् ( स्त्री० ) १ सवा। शहर जिलकी रक्षा के लिये चारों ओर परकोटे की दीवाल होगीपुरंदर पू० ) १ इन्द्र पुरन्दरः ) धग्नि | ४ चोर । पहले सामने । २ का नाम | २ शिव ३ घर में सेंध लगाने वाला। किला सहय | ३ दीवाल | परकोटा | ४ शरीर । २ प्रतिभा । प्रज्ञा । धीर । —द्वार, ! स्त्री० ) – पुरन्दरा } ( स्त्री० ) गंगा का वासान्तर । द्वारं, (न० ) नगर का फाटक । पुरंधः, पुरन्धः ) ( स्त्री० ) पति, पुत्र, कन्या यादि पुरंधी, पुरन्धी ) से भरीपूरी थी । पुरला ( स्वी० ) दुर्गा देवी का नामान्सर | पुरस् ( अव्यया० ) १ पूर्व । पहिले । २ पूर्व दिशा में पूर्व दिशा से ३ पूर्व की ओोर करणं, ( न० ) – कारः, ( पु०) १ सामने रखने वाला अपेक्षाकृत अधिक रुचि | सम्मान प्रदर्शन | ४ पूजन अर्चन सहवर्तिस्व ६ तैयारी करना । ७ क्रम में लाना । ८ पूर्ण करना ६ आक्रमण करना । १० आरोप -कृत (वि० ) सामने सं० श० को ६५