पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/५०९

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पावन बाबा | २ पवित्र विश्वद्ध ( ५०२ ) ध्वनि ( पु० ) 1 पावनं (न० ) १ पवित्र करने की क्रिया पवित्रता | ४ गोबर १ माथे का तिलक । अग्नि २ धूप | ३ सिद्ध । ३ २ तप । जल पावनः ( पु० ) १ व्यास देव । पिंगल, पिङ्गल पाशुपाल्य ( न० ) ग्वाले या गड़रिये का घमा । पाश्चात्य ( वि० ) १ पीछे का पिछला | २ पीछे होने वाला ३ बाद का। रस्सी । हस्तः, ( पु० ) वरुण का नामान्तर । - पाशकः (पु० ) पाँसा !---- -पीठं, (न० ) पोड़ा जिस पर जुआ खेला जाता है। - - - पावनी ( स्त्री० ) १ तुलसी | २ गौ ३ गङ्गा नही । पावभानी ( स्त्री० ) वेद की एक ऋचा का नाम । पावर: (पु०) १ पाँसे का वह पहलू जिस पर दो की संख्या थंकित हो। पाँसे का विशेष रूप से फैकना। पाशः (पु०) १ रस्सा | जंज़ीर वेड़ी फंदा २ जाल ( पकड़ने का) : ३ पाश । वरुण का शस्त्र विशेष । उपाँसा । ५ किसी बुनी हुई वस्त्र की याद या उस का किनारा । –अन्तः, (पु० ) कपड़े की उल्टी ओर । -क्रीड़ा, (स्त्री० ) जुआ | द्यूत कर्म । --- धरः, - पाणिः, (पु०) वरुण देव का नामान्सर । पाषाण (पु० ) पत्थर । - दारक ( पु० ) - दारणः, ( पु० ) संगतराश की छैनी 1- सन्धि, ( पु० ) चट्टान में बनी गुफा । -हृदय, ( वि० ) नृशंस हृदय । - पाषाणी (स्त्री० ) छोटा पत्थर जो बटखरे की तरह काम में लाया जाय। 1 पि ( धा० परमै० ) [ पिर्यति ] जाना। w - बन्धः, ( पु० ) फंदा | जाल - बन्धकः, | पिकः ( पु० ) कोयल पक्षी । - आनन्दः, ( पु० ) - ( पु० ) चिड़ीमार । बहेलिया । -भृत्, ( पु० ) वान्धवः, (५०) वसन्तऋतु । - वन्धुः, - रागाः, वरुण का नामान्तर --रज्जुः, (स्त्री० ) बड़ी पाश्चात्यं ( न० ) पीछे का भाग | पाश्या ( स्त्री० ) १ जाल । २ रस्सों का संग्रह | पाशकः ( पु० ) पैर का आभूपण विशेष | पापंडक, पाषण्डकः ( पु० ) ) वेदविरुद्ध आचरण पापंडिन पापण्डिन ( पु० ) ) करने वाला । नास्तिक | पाशुपतं ( न० ) पाशुपत सिद्धान्त । शुपतः ( पु० ) १ शैव २ पशुपति के सिद्धान्तों को मानने वाला । - -वल्लभः, (पु० ) आम का पेड़ | पिकाः (पु०) १ बीस वर्ष का हाथी । २ जवान हाथी । पिंग ) ( वि० ) पीला | पीलापन लिये हुए। भूरा। पिङ्ग | अक्ष, ( वि० ) भूरंग की आँखों बाला :-अक्षः (पु०) १ लंगूर । २ शिव जी का नामान्तर / -- ईक्षणः, ( पु० ) शिव 1 - ईशः ( पु० ) अग्निदेव | कपिशा, ( स्त्री० ) तेलचट्टा । –चन्नुसू. ( पु० ) कैकड़ा | मकरा | -जदः, ( पु० ) शिव | सारः, ( पु० ) हरताल । - स्फटिकः, ( पु० ) गोमेद रत्न | -- पाशनम् ( न० ) १ फंदा जाल २ रस्सा | ३ जाल में फसाना । जाल से पकड़ना । पाशव (वि० ) [ स्त्री०-पाशवी ] पशु से सम्बन्ध युक्त या पशु से उत्पन्न | पाशवं ( न० ) सुड | गल्ला । गिरोह - पालनं, ( न० ) चरागाह या वहाँ की घास। पाशित (वि०) बंधा हुआ फंदे में फँसा हुआ। बेड़ी पड़ा हुआ। पाशिन् (पु० ) १ वरुप | २ यम । ३ बहेलिया | चिड़ीमार | पाशुपत ( वि० ) [ स्त्री०- पाशुपती ] पशुपति पिगम् } ( न० ) 1 पीतल । २ हरताल । । सम्बन्धी शिवसम्बन्धी । - अस् ( न० ) शिव जी का एक अस्त्र विशेष । पिंगः } ( पु० ) १ पोला या पीलापन लिये हुए भूरा रंग | २ भैसा | ३ चूहा। पिंगल (वि०) भूरापन लिये लाल । तामड़ा । पिङ्गल ) -अक्षः, ( पु० ) शिव । पिंगलः पिङ्गलः } ( पु० ) १ भूरा रंग । २ आग | २ बंदर | ४ न्योला । ५ छोटा उल्लू । ६ सपं विशेष । ७ सूर्य का एक गण ८ कुबेर की नवनिधियों में से एक ६ छन्दशास्त्रकार संस्कृत के एक विद्वान् का नाम ।