पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/४७०

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पड़ पराडू ( घा० आमने० ) [ पराडते, पण्डित ] जाना। हिलना | डोलना संग्रह करना। देर लगाना। जमा करना । (उभय० ) पण्डू ) रंड: } { पु० ) हिजड़ा । नपुंसक । पण्डः अंडा | डा | ( स्त्री० ) १द्ध | समझदारी | २ दिया । विज्ञान | अपूर्व, ( न० ) अष्ट फल की श्रमाप्ति । भाग्य में और लिखा हो उसका न होना इंडावत् ) ( वि० ) बुद्धिमान् | ( पु० ) विज्ञान | गडावत् । पण्डित | इंडित हे (वि० ) १ विद्वान | बुद्धिमान् | २ चतुर || पडित) निपुण योग्य रंडितः ? (पु० ) १ विद्वान् | २ धूप | लोबान डितः) आदि । ३ विशेषज्ञ1-आतीय, (वि०) : कुछ कुछ चतुर --मराडलं, (न० )-सभा, ( स्त्री० ) विद्वानों का समुदाय 1-मानिक - मानिन्, (पु० ) अपने को परिडत मानने वाला। वादिन, (चि०) अपने को बुद्धिमान् समझने का दावा रखने वाला । - पंडितक मण्डितक पंडितकः पण्डितकः । पंडितमन् रगिडतिमन् ( ४३ ) पतंगिका पतङ्गका पतंगिन् । ( ( वि० ) बुद्धिमान् । अक्लमंद ( पु० ) विद्वान आदमी। (पु०) ज्ञान बुद्धिमानी। विद्वा रद् (धा० पर० ) [ पतति-पतित ] १ गिरना । नीचे आना | नीचे उतरना गिर पड़ना । नीचे " उतरना | २ उड़ना | आकाश में उड़ना । इत (वि०) पुष्ट। भलीभाँति खिलाया पिलाया रतः (१०) १उन २ गमन पतन । उतार- गः, (पु० ) पक्षी । रतंगं स्तक ( वि० ) गिरने वाला। नीचे उतरने वाला । स्तकः ( पु० ) ज्योतिष सम्बन्धी सारिणी । पताम् } (म०) : पारा । पारद । २ चन्दन विशेष। उतंग | ( पु० ) १ चिड़िया १२ सूर्य | टिड्डी ४ रतङ्गः । मधुमक्षिका ५ गव । ६ शोला । ७ शैतान पारा पारद ३ कृष्ण। } ( श० ) १ चिड़िया १ २ पतंगा । पतिन ( स्त्री० ) छोटी चिड़िया छोटी सहक पतंजलिः ) ( पु० ) महाभाष्य के प्रसिद्ध रचयिता | पतञ्जलिः ) योग दर्शन के निर्माता। पतत् (त्रि०) [ स्त्री-पतन्ती ] उड़ने वाला। उस- रने वाला । ( पु० ) पक्षी --ग्रहः (पु० ) सेना जो बचत में रखी जाय। २ पीकदान /--भोरा, ( पु० ) वाज पक्षी शिकरा पतन्त्रम् ( न० ) १ डैना | २ पर | ३ सवारी पतत्रिः (पु० ) पक्षी पतनि (पु० ) पक्षी सीर ३ घोड़ा । (२०) (वि० ) [वैदिक ] दिन और रात - केतनः, राजः, ( पु० ) गरुड़ | ( पु० ) विष्णु पतनम् (न०) [पत्-भावे गुड्] १उड़ने की क्रिया । नीचे थाने की क्रिया २ अस्त होना। डूबना । ३ नरक में गिरना। ४ स्वधर्म त्याग गौरवा- न्चित पढ़ से पतन पात नाथ हास। ७ मृत्यु | ८ लटकपड़ना | ह (गर्भ ) पात | १० ( अति में ) वाक्री । ११ ग्रह का विस्तार । --धर्मिन्, ( वि० ) नाशवान् | नश्वर । पतनीय ( वि० ) जातिभ्रष्ट करने वाला । पतन करने वाला | पतनीयं (न० ) जातिअष्टकर पाप पतयः पतसः 1 ३ (पु०) १ चन्द्रमा २ पक्षी | ३ ड्डिा | पतयालु ( वि० ) गिरने योग्य | पतनशील। [गमन । पतापत (वि०) १ गमनशील पतनशील २ प्रायः | पतित (६० कृ०) १ गिरा हुआ नीचे उतरा हुआ। २ टपका हुआ। ३ ( नैतिक ) अधःपात हुआ। ४ धर्म त्यागने वाले अध:पतित | जाविभ्रष्ट | ६ युद्ध में गिरा हुआ। हारा हुआ। पराजित ७ अन्तर्गत ८ रखा हुआ। स्थापित ( वि० ) जातिभ्रष्ट से उत्पन्न । ( पु० ) वह द्विजाति जिसका उपनयन संस्कार था तो हुआ ही न हो अथवा हुआ भी हो तो विधिपूर्वक नहीं। उत्पन्न, सावित्रीकः,