पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/४५२

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निम J P 1 रक ) ( वि० ) विवरण रहित विना शर्त या कैद के।- प्रकाश, (= निष्प्रकाश ) ( वि० ) धुंधला साफ़ नहीं अंधकारमय प्रचार, ( = निष्प्रचार ) ( वि० ) १ न हिलने हुसने वाला एक स्थान पर रहने वाला। २ एकाम- प्रतिकार, -प्रतीकार, ( = निष्प्रति (ती) कार ) प्रतिक्रिय. (वि०) १ असाध्य | श्रवा- धित बेरोक टोक ।-प्रतिघ, ( = निष्प्रति ) ( वि० ) बेरोकटोक | अबाधित -प्रतिद्वन्द्व, ( निष्प्रतिद्वन्द्व ) ( वि० ) १ अजात शत्रु । जिसका कोई विरोधी न हो । २ वेजोड़ प्रतिभ (= निष्प्रति ) ( वि० ) १ प्रतिभाहीन | चमक जिसमें न हो। २ जिसके प्रतिभा का अभाव हो । जो हाज़िरजवाव या प्रत्युत्पत्रमति न हो। 'द ग्रहन । मूह ३ विरक्त उदासीन । -प्रतिभान, ( = निष्प्रतिभान ) ( वि० ) १ भीरु | डरपोंक ~प्रतीप, (=निध्यतीप) ( वि० ) सामने देखने वाला। पीछे न सुने वाला /-~प्रत्यूह, (= निष्प्रत्यूह ) ( वि० ) अवधित वेरोकटोक --प्रपञ्च (निप्रपञ्च ) ( वि० ) जो अपनी या चुली न हो। ईमानदार । -प्रमः, ( निष्प्रभ या नियम ) (वि० ) १ जिसमें याब या चमक न हो । २ अशक्त । ३ उदास । अस्पष्ट | अन्धकारमय । प्रभासक · P 1 ( ४४८ ) (= निष्प्रमाणक ) ( वि० ) विना अधिकार या प्रमाण के प्रयोजन, (=निध्ययोजन ) (वि० ) १ विना प्रयोजन के । २ निराधार । निष्कारण | ३ निरर्थक | वेकाम ४ अनावश्यक | निस ६ ( = निष्फेन ) ( वि० ) फेना रहित । - शब्द, ( = ) ( वि० ) जो शब्दों द्वारा प्रकट न करे । जो सुनाई न पड़े । ( निःशहूं रोदि तुमारेने") - शलाक, (निःशलाफ ) (दि०) एकाकी अकेला एकासी । “अरस्ये निःशलाके वा मंत्रयेदविभाषितः ।" - शेष, (विशेष) शलाकं, (=निःशलाकं ) ( न० ) एकान्त स्थल । सुनसान जगह -शेष (निःशेष ) ( वि० ) बिना वचल के । सम्पुर्ण | पूरा समूचा नितान्त --शोध्य ( निःशोध्य ) ( वि० ) धोया हुआ साफ किया हुआ --संशय, (=निःसंशय ) (वि०) १ निश्चित । विलाशक : २ निस्सन्देह । जो आशंका न करे। -सङ्ग (निःसङ्ग ) (वि०) १ जो किसी में अनुरकन हो। उदासीन २ संन्यासी असम्बद्ध पृथक किया हुआ। ४थवाधित। वाधा शून्य। (=निःसङ्गम् ) निस्वार्थ भाव से संज्ञ, (निःसंश ) ( वि० ) बेहोश मूति -- सत्व (निःसत्त्व ) (वि० ) १ तिहीन । निर्बल | २ नपुंसक | इनीच घोड़ा कमीना | १ अस्तित्वहीन | ४ प्रायाधारियों से रहित - सन्तति, (निःसन्तति ) सन्तान, (=निः- सन्तान ) ( वि० ) वे औलाद । जिसके कोई सन्तान न हो।- सन्दिग्ध (=निःसन्दिग्ध) -सन्देह (=निःसन्देह ) ( वि० ) निस्संशय । जिसको सन्देह या शक न हो। सन्धि (=निः सन्धि, निस्सन्धि ) ( वि० ) जिसमें ऐसी कोई ग्रन्थि या गाँठ न हो जो दिखलायी पड़े। गमन | सघन-सपल (=निःसपन ) ( वि० ) १ जिसका कोई शत्रु या प्रतिद्वन्द्वी न हो। २ जो सर्वथा एक ही का हो । ३ अजात शत्रु । -समं, (=निस्समं ) (अव्यय० ) १ वे ऋतु का | ठीक समय पर नहीं २ दुष्टता से संपात, 1- ( =निःसंपात ) ( वि० ) मार्ग न देने वाला । अवरुद्ध मार्ग -सम्पातः (=निःसम्पातः ) ( पु० ) अर्द्धरात्रि का धन्धकार आधीरात की अंधियारी धनान्धकार-संबाध, (= निः- संवाध ) (वि० ) सङ्कीर्ण नहीं । प्रशस्त | बड़ा | बेज़रूरत 1- प्रयोजनम्, (= निष्प्रयोजनम् ) (अन्यश०) बिना कारण अकारण विना किसी उद्देश्य के-प्राण, (= निष्प्राण ) ( वि० ) मृत मरा हुआ।-फल, (=निष्फल ) (चि०) जिसका कोई फल न हो। फलहीन (अलंका० ) १ असफल । नाकामियाव । २ निरर्थक | व्यर्थ । ३ बाँक। जिसमें फल न लगे । ४ अर्थशून्य ५ बीज रहित । नपुंसक 1- फला, फली, (=निष्फला, निष्फली ) ( स्त्री० ) स्त्री जिसकी उम्र गर्भ धारण करने योग्य न रही हो। -फेन,