पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/४४१

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

निराक न हो 4 ध्यान (वि० ) वह स्थान जहाँ चीतो का उत्पात व्याज, वि० ) १ ईमानदार। सञ्चा साफ मन का । २ निष्कपट छलशून्य / व्यापार, (वि० ) जो कहीं नौकर न हो। जिसके पास कोई काम धंधा न हो -त्रण, (वि० ) जिसके कोई घाव न हो। चीरफाड़ रहित । --- -व्रत, ( वि० ) जो व्रत न रखता हो ।-हिमं, (न० ) जाड़े का अवसान। हेमन्त ऋतु की समाप्ति इति, (वि० ) हथियार रहित । हेतु, ( वि० ) कारण रहित । -हीक, (वि० ) १ निर्लज्ज | बेहया वेशर्म । २ साहसी । निर् ( ४३८ 4 1 -विच (वि० ) गतिहिन । मशाद्दीन । विनोन (वि० ) आमान प्रमोस रहित विन्ध्या (दि०) विन्ध्याचल से निकलने वाली एक नदी का नाम । -विमर्श, (वि० ) विचार / हीन अविवेकी विवर, (वि० ) १ जिसमें कोई रन्धया छिद्र न हो २ जिसमें अन्तर न हो। घनिए । विवाद, (वि० ) मतभेद का अभाव । ३ सर्वसम्मत 1-- विवेक, (वि०) मूर्ख | जिसमें अच्छाई चुराई का विचार करने की शक्ति न हो। -विगङ्क, (वि० ) निडर। निर्भय विशेष, ( वि० ) वह जो किसी में भेदभाव न करे --- - विशेषः, (१०) परवक्ष परमात्मा-विशेषण | निरत ( वि० ) १ किसी कार्य में लगा हुआ। तत्पर । लीन । मशगुल २ प्रसन्न आनन्दित ४ बंद | निरतिः ( खी० ) १ अत्यन्त रति । अत्यधिक प्रीति । २ लिस या लीन होने का भाव । " ( बि० } विना उपाधियों के विष (वि० ) विषहीन | जिसमें नहर न हो : – विषय, ( वि०) घर से निकाला हुआ। २ जिसका काम करने के लिये कोई भी स्थान न हो । ३ जिसको विषय | निरयः (करी०) नरक | दोजन । ( श्री मैथुनादि ) वासना न हो । विवाण, | निरधहानिका (स्त्री० ) ) घेरा | बाड़ा । घेरे की ( वि० ) जिसके सींग न हो। -विहार, ( वि० ) | निरवहाजिका ( स्त्री० ) । दीवाल । जिसके लिये श्रानन्द का अभाव हो । वीज, निरस ( वि० ) स्वादहीन | फ्रीका | शुष्क बीज, (वि० ) १ बीजरहित । नपुंसक । निरसः (पु० ) स्वादहीनता कारणरहित -चोर, (वि० ) १ वीरहीन | २ भीरता से -पीरा, (वि० ) वह स्त्री जिसका पति और लड़केवाले मर चुके हों - वीर्य, ३ ) २ फीकापन | ३ जिसमें रस न हो । शुष्कता | ४ विरक्ति | निरसन (वि० ) [ सो०- निरसनो ] १ निराकरण | परिहार | २ फैकना | टूर करना | हटाना। ३ वमन करना । के करना । थूकना । १ ( वि० ) शक्तिहीन । निर्वल । अमानुषिक | नपुंसक ।-~-वृक्ष, ( वि० ) वृक्षों से रहित /-/ निरसन (व० ० ) १ फैंका हुआ वृष ( वि० ) बैल रहित ।-वेग, (वि० ) स्थिर। जिसमें वेग या गति न हो । वेतन, ( वि० ) अवैतनिक ।-वेउनम्, (न० ) जुलाहे को ढरकी।~-वैर, (वि० ) शान्तिप्रिय। जिसका कोई शत्रु न हो। – धैरं, ( ० ) शत्रुता का भाव-व्यञ्जन, (दि० ) १ सरल | साफ | निष्कपट | २ विना मसालों का । --व्यञ्जने, (अव्यया०) साफ तौर से सरलता से। व्यय, (वि० ) १ पोबारहित । २ शान्त-व्यपेक्ष, ( वि० ) तटस्थ | उदासीन 1-व्यतीक, ( वि० ) १ जो किसी को कष्ट न दे । २ पीड़ा- रहित ३ कोई भी कार्य हो मन लगा कर या रजामंदी से करने वाला ४ सथा। निष्कपट छोड़ा हुआ | भगाया हुआ । देश निकाला हुआ । २ नष्ट किया हुआ ३ त्यागा हुआ अलग किया हुआ। ४ हटाया हुआ रहित किया हुआ | १ छोड़ा हुआ। (जैसे सीर ) ६ खण्डन किया हुआ | ७ उगला हुधा । थूका हुआ अस्पष्ट रूप से जल्दी जल्दी बोला हुआ हफाड़ा या चीरा हुआ। १० दवाया हुआ रोका हुआ ११ तोड़ा हुआ। ( जैसे कोई प्रतिज्ञा ) 1-भेद, ( वि० ) समस्त भेदों को दूर किये हुए। समान एक सा/-राग, (दि०) संसारत्यागी । सांसारिक समस्त वासनाओं को त्यागे हुए। निराकः ( पु० ) पंथम किया । २ पाप का परिणाम | पसीना | ३