पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/४३९

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उत्सव - - उपद्रव, निर् अपने म अतर व्यक्ति स रहित ( ब ) विना का उसाह (वि० ) काहिल। सुम्न-उन्मुक, (वि० ) 1 उस्सुकता- दोन । २ शान्त --उदक, (वि० ) जलरहित । -उद्यम, उद्योग, (वि० ) जिसके पास कोई उद्यम न हो। वेकाम | बेकार ! --उद्वेग, ( वि० ) उद्वेग से रहित निश्चित । - उपक्रम, ( वि० ) उपक्रमरहित आरम्भ मूल्य | (वि० ) विपत्ति से रहित । भाग्यवान् । प्रारब्धी | २ शान्तिप्रिय । सुरक्षित --उपाधि, ( वि० ) ईमानदार |-उपपत्ति, ( वि० ) धयोग्य अनुपयुक्त-उपपद, (वि० ) विना- किसी उपाधि या खिताब का। -उपण्डव (वि०) उपद्रव से रहित उपम, (वि० ) जिसकी उपमा न हो। उपमा रहित । बेजोड़ --उपसर्ग, अपशकुनों से रहित --उपाख्य, (वि० ) जो असली न हो। बनावटी। जिसका अस्तित्व ही न हो (जैसे वन्ध्यापुत्र ) २ तुच्छ | ३ अदृश्य। -उपाय, ( वि० ) उपायरहित 1 -उपेक्ष, (वि० ) धोखा या बुल से रहिन। जो असावधान न हो - उप्मन, (वि० ) गर्मी रहित ठंडा --गन्ध, ( वि० ) जिसमें बू न हो ।, (वि० ) ह कार शून्य गवास, (वि० ) जिसमें खिड़की या भरोसा न हो।-गुण, (वि० ) १ जिसमें डोरी न हो। २ बुरा। खराब । निकम्मा ३ गुणशून्य निरुपाधि | ४ विना नाम का 1- गुणाः, ( पु० ) परमात्मा 1- गृह, ( वि० ) जिसके घर द्वार न हो।गौरव, (वि० ) जिस का गौरव न हो। --प्रन्थः, (वि० ) १ समस्ख बँधनों और बाधाओं से रहित २ गरीब प्रकि अन भिक्षुक ३ एकाकी असहाय ग्रन्थिः (पु० ) १ मूर्ख । मूह २ ज्यारी। २ संसारत्यागी साधु जिसने संसार का मोह स्थाग दिया हो और जो भगवान में अनुरागवान हो। परमहंस - ग्रन्थिक, ( वि० ) : चतुर । चालाक। २ जिसके साथ कोई न हो। एकाकी १३ व्यक्त | त्यागा हुआ ४ फजरहित :- ( पु० ) १ नाग। दिगम्बरी जैन साधु /-घटम्, (न० ) 1 निर् - बाज़ार जहाँ वडी भीड़ लगी हो। सव के लिये खुला हुआ राज़ार - वृण ( वि० ) १ निष्ठुर । संगदिल बेरहम | २ निर्लज्ज | बेहया (-जन, ( वि० ) जो आवाद न हो । सुनसान /जनम्, (न०) एकान्त स्थान बियावान् ।-जर, (वि०) १ जवान | ताज़ा | २ अविनश्वर | जो नष्ट न हो। --जरं, ( न० ) अमृत /-जरः, ( पु० ) देवता । -जल, (वि० ) जलरहित । रेगस्तान | २ जिसमें पानी न मिलता हो । -जलः, (पु० ) उजाड़ | रेगस्तान |~ जिह, (पु० ) मेंड़क | मेघा |-जीव, (वि०) मरा हुआ। मृत मुद्रां । -ज्वर, (वि० ) जिसको उवर न हो। - इण्ड (दि० ) शूद्ध । --दय, (वि० ) १ निष्ठुर | संगदिल । २ क्रोधी २ अत्यन्त घनिष्ठ अत्यधिक दयं, (अव्यया० ) निष्ठुरता से । बेरहमी से । दश ( वि० ) दस दिन से अधिक का। --दशन, (वि० ) जिसके दाँत न हों। पुपला । -दुःख, (वि० ) पीड़ा रहित | जिससे पीड़ा न हो।-दीप, (वि०) निरपराधी । त्रुटिरहित - द्रव्य, (वि० ) ग़रीब 1 निर्धन | -द्रोह (वि० ) द्रोह या विद्वेष रहित - हुन्छ, (वि० ) १ जिसका कोई द्वन्द्वी न हो। जो राग, द्वेष, मान, अपमान आदि इन्हों से (जुट्टों से) परे था रहित हो । २ स्वच्छन्द | बिना बाधा का --धन, ( वि० ) सम्पत्तिहीन । निर्धन | ग़रीव | -धनः, (पु०) बूढा बैल /-धर्म (वि० ) बेईमान । भ्रष्ट धूम, (वि० ) धूमरहित | -नर, (वि०) १ जिसको मनुष्यों ने त्याग दिया हो।-नाथ, (वि० ) धनाथ। असहाय। जिसका कोई नाथ न हो । निद्र, ( वि० ) जागता हुआ जो सोता न हो।-निमित्त ( पु० ) कारण रहित। - निमेष, ( वि० ) जो पके नहीं।- वन्धु, ( वि० ) जिसका जाति बिरादरी याला न हो। मित्रवर्जित । -बल, ( वि० ) अशक्त यलरहित । कमज़ोर । -घाघ, (वि० ) बेरोकटोक | एकाकी :-बुद्धि, (वि० ) मूर्ख। बेवकूफ |~-बुष, बुस्, (वि० ) जिसको भूली न निकाली गयी हो !-भय, (वि० ) निडर | 1 ( ४३२ ) --