नाटिका नाटिका (स्था० ) छोटा नाटक जिसमें चार अड़ होते हैं किन्तु इनका कथा कल्पित हानी है। इसमें स्त्री यात्रा का आधिक्य होता है। नाडितकं ( न० ) हाव भाव । नाटेयः ( पु० ) ) नटी यानकी का पुत्र | नाटेर: ( पु० 1 नाट्यं (न० ) नृत्य गीत और बाघ । नटों का काम नाटयः (पु० ) नद | अभिनय करने वाला पुरुषपात्र | - आचार्यः ( पु० ) नाचने की तालीम देने वाला नृत्य शिक्षक |~ उति (स्त्री० ) विशेष विशेष सम्बोधन सूचक शब्द जो विशेष विशेष व्यक्तियों के लिये नाटक ग्रन्थों में व्यवहृत किये जाते हैं।- धर्मिका, (स्त्री० ) --धर्मी (स्त्री० ) नाटक सम्बन्धी नियम --प्रियः, (पु०) शिवजी । - शाल, ( स्त्री० ) १ नाचघर | २ नाटकघर | - शास्त्र (न० ) नृत्य, गीत और अभिनय की विद्या। ( ४२० ) नाडिघमः, नाडिन्धमः नाडौंघमः, नडीन्धमः नायकं ( न० ) सिक्का ठप्पा लगा हो । नांतरीयक नान्तरीयक नातिचर ( वि० ) बहुत काल का नही बहुत लबा | नातिदूर ( वि० ) बहुत दूर नही नातिवादः (पु० ) कुवाच्यों को बचाने वाला । नाथू ( धा० पर० } [ नाथति ] १ माँगना । याचना करना | २ मालिक बनवा | प्रभावान्वित करना। ३ कष्ट देना। ४ आशीर्वाद देना । नाथः ( पु० ) मालिक | स्वामी प्रभु | रक्षक मार्गप्रदर्शक । नेता | २ पति | ३ नटखट बैल की नाक में डाला हुआ रस्सा। - हरिः (पु० ) पशु हैवान नाथवत् ( वि० ) १ खनाथ | जिसका कोई रक्षक या रक्षा करने वाला हो। ३ परतंत्र दूसरे पर निर्भर | परवशवर्ती | नादः ( पु० ) १ शब्द | ध्वनि | धावाज़ | २ गर्जन | चिल्लाइट चीत्कार। ३ वर्गों का अव्यक्त मूलरूप | ४ सानुनासिक स्वर जो चन्द्र से व्यक्त नाडिः ) ( स्त्री० ) १ किसी कमल का पोला नाल । नाडी १२ तृण का पोला डँडुल ३ नली शरीर के मीतर की वे नजियाँ जिनमें होकर लोडू बहा करता है। विशेष कर ये नलियों जिनमें शुद्ध रक्त बन कर प्रत्येक क्षण सारे शरीर में जाया करता है। धमनी ४ वंशी | बीणा | २ भगन्दर । ६ कलाई पर की भाड़ी | ७२४ मिनिट के बरा- वर का काल अर्ध मुहूर्त्त काल ऐन्द्रजालिक कर्तब चरगाः, (पु० ) पक्षी ।-चीरं, ( म०) एक छोटी मरकुल-जंघः, (पु० ) फाक -- परीक्षा ( स्वी० ) नाड़ी देखना । मण्डलं, ( न० ) विपुवदेखा - णः, (पु० ) फोड़ा। [मिनट का काल । धमनी २ घड़ी (२४ नासूर | भगन्दर | नाडिका ( सी० ) १ नाड़ी नाडियम नाडिन्धम ) ( वि० ) १ नली को फेंकने नाडघम, नाडीन्धम) वाला। २नादियों को हिलाने जाला | ३ श्वास को जल्दी चलाने बाला । हँफाने नानां : } (पु० ) ननद का पुन्न। वाला। } (पु०) सुनार । स्वर्णकार । कोई चीज़ जिस पर कोई होता है। नादिन ( वि० ) शब्द करने वाला । नाद करने वाला रॉमने वाला दहावने वाला। नादेय (वि० ) [ श्री॰—नादेयी ] जखोत्पन | नदी - में होने वाला। नदी सम्बन्धो | नादेयं ( न० ) सँधा निमक । 1 नाना (अध्यय०) १ भिन्न भिन्न स्थानों में भिन्न भिन्न प्रकार से विविध (२) अनेक | बहुत अत्यय, ( वि० ) १ अनेक प्रकार का। अर्थ, भिन्न भिन्न उद्देश्य और लक्ष्य वाला | २ अनेकार्थ याची-कार, ( धन्यवा० ) अनेक प्रकार से किया हुआ।- रस, (वि० ) भिन्न भिन्न प्रकार के स्वादों वाला-रूप, (वि० ) अनेक रूपों वाला । -वर्ण, (वि० ) अनेक रंगों का | - विध, (वि०) विविध प्रकार का । - विधं, (अव्यया० ) अनेक प्रकार से। नांत 2 नान्त } ( वि० ) अन्तरहित । असीम । नांतरीयक ) (वि० ) जो पृथक न हो सके। घनिष्ठ नान्तरीयक सम्बन्ध रखने वाला।
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