पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/४११

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धान्य राजक ( पु० ) वीर्य सोहागा । - वादिन्. ( पु० वल्लभ (२० वाद (पु०) खनिज विद्या धातुश्व / रसायनी । कोमियागर | - वैरिन, ( पु० ) गन्धक । -~-शेखरं. ( न० ) १ कसीस | २ सीसा । - शोधनं, सम्भवम्, ( न० ) सीला |-साम्यम्, (न०) सुस्वास्थ्य | अच्छी तंदुरुस्ती | धानुमत्. (वि०) धातु की विपुलता । धातु ( पु० धाता | बनाने वाता। सृष्टिकर्ता । सम्पादक । २ वाहक रक्षक समर्थक | ३ ब्रह्म की उपाधि | ४ विष्णु । ५ जीव लगाना ६ सप्तर्षियों का नाम । ७ विवाहिता स्त्री का प्रेमी या शिक | व्यभिचारी। । खेलना | भोगना । ११ करना | धाकः ( पु० ) १ बैल २ पात्र | आधार | ३ भोज्य धार्म ( न० ) पात्र जिसमें कोई चीज़ रखी जा सके । पदार्थ माल । ४ खंभा | स्तम्भ | घाटी (स्त्री० ) श्राक्रमण। हमला | घाणकः ( पु० ) सोने का सिका। धातुः (पु० ) धात्री (स्त्री० ) १ दाई धाय पालने वाली माता । उपमाता | २ माता । ३ पृथिवी | ४ आँवले का वृक्ष-पुत्र ( पु० ) धाय का लड़का । २ नट अभिनयकर्त्ता फलं, (न० ) आँवला । आवश्यक प्रधान साधक २ मूलउपादान। १९१८ जैसे पृथिवी, जल, तेज, वायु धात्रेयिका }पाखी यात्री घाय की लड़की ॥ २ । | ( मूत्र पलीना आदि। ४ वात, पित और कफ १५ खनिज पदार्थ | ६ क्रिया सम्बन्धी धातु | ७ जीवात्मा । = परमात्मा ६ इन्द्रिय १० इन्द्रियजन्य कर्म यथा रूप रस गन्ध आदि । ११ हड्डी - उपलः, ( पु० ) खड़िया मिट्टी ।—काशीशं,- - कासीसं, (न० ) कलीस । -कुशल ( वि० ) लोहा पीतल आदि से वस्तु बनाने में पटु क्रिया, ! स्त्री० ) खनिजविद्या क्षयः, (पु० ) शारीरिक रोग विशेष क्षयी का धातुतस्व- 1 रोग प्रमेह का रोग । - द्रावकः i सोहागा-भृत् ( पु० ) पर्वत ( पु० ) पहाड़ /- अर्थः, (पु० ) अनाज ही जिसका धन है। - अम्लं, (न० ) मलं, (न० ) वैद्यक के अनुसार बातू. पित्त, कफ | धान्यं (न०) १ अनाज । नाज | चाँवल १२ धनिया | पसीना, नाखून, बाल, आँख या कान का मैल आदि, जिनकी सृष्टि शरीरस्थ किसी धातु के परिपक्क हो जाने पर उसके बचे हुए निरर्थक श या मल से होती है। २ सीसा (माक्षिक, ( २० ) : सोनामक्खी नाम की उपधातु । २ खनिज पदार्थ विशेष :- मारिन्, (पु०) गन्धक । माँड का बना हुआ खट्टा पदार्थ अस्थि ( न० ) भूली चोकर । -उत्तम ( वि० ) अनाजों में उत्सम अर्थात् चॉवल 1-कल्कं, (न०) १ भूसी । २ पुनाल । -कोशः, (पु०) कोष्ठकं, (न०) खत्ती : अनाज घवलिमन् धवलिमन् ( न० ) १ मफेदी पाल पन हित, - धवित्रं ( न० ) मृगचर्म का बना पंखा। घा] (घा०] उस० ) [ दधाति, धत्ते, धोयते (निजन्त) धापयति, धापयते, -घिसति, - घिसते, ]१ रखना | स्थापित करना । जवना। बैठाना | २ गाड़ना । निर्देश करना। ३ पान करना । ४ थामना | थामाना। ५ पकड़ना। अय करना ६ पहनना धारण करना ६ दिखाना प्रदर्शित करना। बहन करना सहन करना। समर्थन करना। सहारा सफल रंग ( ४०४ ) २ सृष्ट करना उत्पन्न करना | १० - धानं ( न० ) ) १ वह जो धारण करे। वह जिसमें धानी (स्त्री० ) ) कोई वस्तु रखी जाय पान | २ स्थान | जगह जैसे भसीवानी। राजधानी धानाः (स्त्री० बहुवचन०) १ भुने हुए जौ या चाँवल । २ भुना हुआ कोई भी अनाज | ३ अनाज | ४ कली। थैंकुर 1 धानुर्दगिडकः } ( पु० ) धनुर्धर | तीरन्दाज । धानुष्यः (पु० ) बाँस | धान्या } (स्त्री० ) इलायची | एला। धांधा