पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/३९९

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( दाल दोलः (पु०) १ झूला | हिंडोला । २ उत्सव विशेष | होली का उत्सव | दोला ) (स्त्री०) १ डोली । पाल्की । २ हिंडोला । दौलिका ३ उतार चढ़ाव | घटा बढ़ी। ४ सन्देह अनिश्चय |–अधिरुद्ध रुड, (वि० ) फूले पर चढ़ा हुआ युद्ध, ( न० ) सफलता में सन्देह । युद्ध जिसमें हार जीत का कुछ निश्चय न हो । ३२२ दोलायते ( क्रि० ) १ भुलाना | २ विकल होना। दोषः (पु०) त्रुटि कलङ्क | भर्त्सना | ऐव निर्बलता | भूल । गलती । २ जुर्म अपराध ३ खराबी ४ हानि | बुराइँ | ५ दुष्परिणाम | ६ रोग । ७ त्रिदोष ८ आलङ्कारिक त्रुटि यछड़ा | १० खण्डन :- आरोपः ( पु० ) इल्ज़ाम लगाना । जुर्म फर्द लगाना। --एकद्वश, (पु०) दोषदर्शी | --कर, कृत (वि० ) हानिकारक प्रस्त, (वि०) दोपी दोष या त्रुटि से पूर्ण ग्राहिन, (वि०) १ मलिन चित्त । दुष्ट हृदय । २ भर्त्सना- त्मक 1-ज्ञ, (वि० ) दोष जनाने वाला - ज्ञः, ( पु० ) बुद्धिमान पुरुष १२ हकीम । वैद्य। --- त्रयं, (न०) बात पित्त और कफ का व्यतिक्रम --डि (वि० ) कि दोष हूढ़ने वाला । -भाजू, ( दि० ) दोषी। अपराधी दोष (न० ) आरोप दोषज (वि० ) दोषी । त्रुटिपूर्ण | खोटा| लंपट | दोषस् (स्त्री०) रात । ( न० ) अन्धकार । दोषा (अव्यया० ) रात्र को । ( स्त्री० ) १ बाँह | २ रात का अन्धकार । रात । -प्रास्यः - तिलकः, ( पु० ) दीपक 1-करः, ( पु० ) चन्द्रमा दोषातन (वि०) [स्त्री० - दोपातनी,] रात सम्बन्धी । दोषिक (वि०) [स्त्री० – दापिकी, ] दोषी | खराव । त्रुटिपूर्ण । दोषिकः ( पु० ) बीमारी रोग दोपिन् (वि० ) [ स्त्री० – दोपिणी ] १ अपवित्र | भ्रष्ट २ दोषपूर्ण अपराधी। दुष्ट | खोटा | असू (पु० न० ) १ बाँह | भुजा । २ महाराव का भाग। -गड्डु, [दार्गडु] (वि०) टेदी भुजा - दोगेय प्रह, [-दोर्ग्रह] | वि०) शक्तिमान | ताकतवर ।-ग्रहः, (पु०) भुजपीड़ा | - दण्डः, [दोर्दण्डः] मजबूत भुजा उंडा जैसी भुजा । —मूलं [-दोर्मूल] (न०) बगल । काँख । – युद्धं, [दोर्युद्धं] द्वन्द्व युद्ध - शालिन्, [दोःशालिन्] बहादुर| वीर।-शिखरं, [दोः शिखरं.] (न०) कंधा । - सहस्रभृत् [=दो:- सहस्रभृत् ] : पु० ) १ बाणासुर की उपाधि । २ सहस्रार्जुन की उपाधि । -स्थः, [=दोस्थः] भृत्य | नौकर | २ सेवा | चाकरी | ३ खिलाड़ी | ४ खेल । क्रीड़ा । ) २ गर्भ । उनके मन दोहः ( पु० ) १ दुहना | २ दूध | ३ दूध दुहने का पात्र। -अपनयः, (५०) –जं, (न०) दूध । दोहदं (न०) ) १ गर्भवती स्त्री की रुचि । दोहदः ( पु० ) ३वृक्षों की अभिलाषा, जो में फूल खिलने के समय होती है। [यथा अशोक वृक्ष चाहता है कि, युवतियाँ उसे ठुकरावें। चकुल चाहता है कि, लोग मुँह में भरकर शराब के उस पर कुल्ले करें |] ४ प्रबल अभिलाषा । अभिलाषा | कामना । -लक्षां, (न० ) गर्भाशय की किल्ली । दोहदवती (स्त्री०) गर्भवती स्त्री जो किसी वस्तु पर मन चलावे ! दोहनं (न०) १ दुहना | २ दुधैड़ी । दोहन (वि०) १ दुहना । २ देनेवाला । (अभीष्ट वस्तु) दोहनी (स्त्री०) दुधैड़ी। दूध दुहने का पात्र । दोहल: (पु०) देखो दोहद । दोहली (पु० ) अशोक वृक्ष दोहा (वि०) दुहने योग्य दोहा (न०) दूध | दौःशील्यम् ( न० ) बुरा मिजाज । दुष्टता । दुष्ट [स्थापक। स्वभाव | दौःसाधिकः ( पु०) १ द्वारपाल । २ ग्राम का व्यव दौकूल: ) ( पु० ) गाड़ी जिस पर रेशमी उधार यह दौगुलः । पर्दा पड़ी हो। दौकूलं न० बाकू (5)} महीन रेशमी वस्त्र | दौत्यं (न०) संदेसा । पैगाम | [पना | दौरात्म्यं (न०) १ दुष्टता। दुष्ट स्वभाव | २ उपद्रव- दौर्गत्यं (न०) १ धनहीनता श्रभाव | मुहताजपना | २ दुःख | अभागापन |