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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/३७४

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वैशक 1 हो । ४ काटना । चीरना । ५ बtat arखी । दोप बुद्धि कमी | ७ दाँत ८ चरपराहट | सीतापन | ६ कवच । १० जोड़ अवयव -- + भोरु, ( १० ) भैंसा | दंशकः ( पु० ) १ कृता । २ गोमक्खी । डाँस । मक्खी । ( ३६७ दंंशनम् (न०) १ डसने या काटने की क्रिया। कवच | दशित ( वि० ) १ काटा हुआ । २ कवच धारण किये हुए | । वंशिन (पु० ) देखो दशः | दंशी (स्त्री० ) छोटी गोमक्खी | दंगा ( स्त्री० ) बड़ा दाँत हाथी का दाँत डंक विपदन्त । अत्रः - आयुधः, ( पु० ) जंगली शूकर 1- कराल, (वि० ) भयानक दाँतों वाला ।—विपः, ( पु० ) एक प्रकार का विषैला सर्प । दक्षिणा मुख, (वि० ) दक्षिण दिशा की ओर मुख कि हुए । दक्षिण की ओर /- अनं. ( स० ) दक्षिणायन । सूर्य की गति विशेष । कर्क क संक्रान्ति से मकर की संक्रान्ति पर्यन्त जिस मा पर सूर्य चलते हैं वह दक्षिणायन कहलाता है। इस पथ पर सूर्य ६ मास रहते हैं। -अर्धः, ( पु० ) १ दहिना हाथ | २ दहिनी या दक्षिर दिशा की ओर। -भाचार. (वि० ) १ ईमान- दार | अच्छे आचारण का । २ शक्तिपूजक ।-- आशा ( स्त्री० ) दक्षिण दिशा ।-आशापतिः, ( पु० ) यमराज । धर्मराज /- इतर ( वि० ) १ वाम । बायाँ २ उसरी उत्तरादी -इतरा, ( स्त्री० ) उत्तर दिशा 1-उत्तर, ( वि० ) दक्षिण से उत्तर की ओर झुकी हुई। - उत्तरवृत्तं, ( न० ) मध्यान्हरेखा । --पश्चात् (अव्यया०) दक्षिण पश्चिम की ओर । - पश्चिम, ( वि० ) दक्षिण पश्चिमी - पश्चिमा, ( स्त्री० ) दक्षिण-पश्चिम - पूर्व प्राच, ( वि० दक्षिण-पूर्व । पूर्वां, प्राची, (स्त्री०) दक्षिण- पूर्व का कोण । - समुद्रः, ( पु० ) दक्षिणी समुद्र । स्थः, ( पु० ) रथवान | सारथी । दक्षिणः ( पु० ) १ दहिना हाथ या बाँह । २ भट्ट या सभ्य जन नायक विशेष । ३ विष्णु या शिव की उपाधि | ) इंट्राल ( वि० ) बड़े बड़े दाँतों वाला । दष्ट्रिका (वि० ) देखो 'दंष्ट्रा" इंट्रिन ( पु० बनैला शूकर २ सर्प । ३ सेई । दक्ष ( वि० ) १ योग्य | निष्णात । विशेषज्ञ चतुर । निपुण १२ उपयुक्त | उपयोगी | ३ तत्पर । सावधान | मनोयोगी । फुर्तीला । ४ सच्चा ईमानदार – अध्वरध्वंसकः, -ऋतुध्वंसिन, ( पु० ) शिव जी । - कन्या, जा, तनया, ( स्त्री० ) १ दुर्गा की उपाधि । २ अश्विनी श्रादि नक्षत्र । - सुतः, ( पु० ) देवता । दक्षः (पु० ) एक प्रसिद्ध प्रजापति का नाम । दक्षाय्यः ( पु० ) १ गीध । २ गरुड़ की उपाधि | दक्षिण ( वि० ) १ योग्य | निपुण । कारीगर । निष्णात । चतुर | २ दहिना (वाम का उल्टा ) | दक्षिण और अवस्थित । ६ सच्चा सीधा | ईमान- दार । निर्पेच । ७ प्रिय | मधुर ८ शिष्ट सभ्य | भट्ट | ६ आज्ञाकारी अनुगत । विनीत १० अवलम्बित । पराधीन 1 अग्निः, ( पु० ) अन्वाहार्यपचन । यज्ञाग्नि जो दक्षिण दिशा में स्थापित की जाती है। अझ, (वि० ) दक्षिण की ओर निकला हुआ --प्रवलः ( पु० ) दक्षिणी पर्वतमाला अर्थात् मलयाचल। -अभि- ) दक्षिणतः (अव्यया० ) १ दहिनी ओर से या दक्षिण दिशा की ओर से |२ दक्षिण हाथ की ओर। ३ दक्षिण दिशा की ओर या दहिनी घोर। दक्षिणा (अव्यया० दहिनी ओर का या दक्षिण दिशा में। -अहं, (वि०) दक्षिणा या दान देने योग्य -आवर्त १ दहिनी ओर सुदा हुआ । २ दक्षिण दिशा की ओर मुड़ा हुआ । काल', ( पु० ) दक्षिणा लेने का समय । -प्रथः, (पु० ) दक्षिणीभारत। -प्रवण, (वि० ) दक्षिणा की ओर झुका हुआ । दक्षिणा ( स्त्री० ) १ ब्राह्मण को देने योग्य धन । २ दक्षिण प्रजापति की पुत्री और यज्ञ रूपी पुरुष की पत्री समझी जाती है | ३ दान | भेंट |