पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/३३८

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जरायणि जरायणिः ( पु० ) अरासन्ध का नाम । जरायु ( न० ) १ कैचली २ गर्भाशय की ऊपर की झिल्ली ३ गर्भाशय । भग 1-ज, ( वि० ) वे प्राणी जो जरा से युक्त उत्पन्न होते हैं। था मनुष्य । मृग आदि । जरित ( वि० ) १ वृहा। अधिक उम्र का । २ नियंत | जीर्थ | [ उम्र का । - जरिन (वि० ) [ स्त्री० - अरिणी ] बुढ़ा। अधिक जस्थम् (१०) माँस जर्जर (वि० ) १ नूवा | जीर्थ | कमज़ोर | २ चिसा हुआ फटा हुआ टुकड़े टुकड़े किया हुआ। विभक्त | चीरा हुआ। ३ घायल | चोटिल | ४ पोला । अर्जरम् (२०) इन्द्रध्वजा जर्जरित ( वि० ) १ चूहा पुराना जीर्ण निर्बल २ घिसा हुआ। टुकड़े टुकड़े किया हुआ टुकड़े टुकड़े हो कर बिखरा हुआ। ३ निकम्मा किया ( ३३१ हुआ। अवश । जर्जरीक (वि० ) : पुराना । -जीर्ण, ( पु० ) २ छिद्रों से परिपूर्ण विवान्वित | 1 जर्तुः ( पु० ) १ भग । योनि । २ हाथी । जल ( वि० ) सुस्त । शीतल । ठंडाव्यश्शुलं, ( न० ) १ चश्मा | सोता । २ प्राकृतिक जल्द- प्रवाह ३ काई खिवार। -अञ्जलिः, ( पु० ) अअलीभर जल । २ जलतर्पण -प्रटमः, ( १० ) बगुला |-अटनी (स्त्री० ) जोंक | अलौका-अटकः, (न०) शार्क नाम का मख्ख्य। --प्रत्ययः, ( पु० ) शरदऋतु-अधिदैवतः ( पु० ) अधिदैवतम् ( न० ) वरुण पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र |-अधिपः, ( पु० ) वरुण । अम्बिका (स्त्री० ) कूप । कुआ। अर्कः ( पु० ) जल में सूर्यमण्डल का प्रतिधिन्व- (पु० वर्षाऋतु । २ मीठे जल का समुद्र अर्थिन्, (वि० ) प्यासा 1-ध्रुव- वारः, ( पु० ) नही का घाट -अष्टीला, ( पु० ) एक वृहद् चौकोर तालाव असुका, ( स्त्री० ) जौंक -- श्राकारः, ( न० ) चश्मा | फुश्रारा फव्वारा कूप-आकांतः, ( पु० ) ( ) कांक्षा, जल - तिन ( पु० ) हाथी - आयुः, (वि० ) ऊदविताव जो मी खाता है। आत्मिका, (स्त्री० ) जौंक :- प्राधारः ( पु० ) तालाव | सरोबर । जलाशय /- आयुका, (स्त्री० ) जौंक (आई, (वि० ) भींगा सर-थाईम्, (ज० ) भींगे कपड़े । आर्द्रा ( स्त्री० ) पानी से तर पंखा - -आलोका (स्त्री०) जौंक-आवर्तः, (५०) भँवर । -आशयः, ( 50 ) १ तालाव | सरोवर २ मछली । ३ समुद्र ।-आश्रयः ( पु० ) १ ताजाव | २ जलभवन आह्वयं ( न० ) कमल इन्द्रः ( पु० ) १ वरुण । २ समुद्र । ---इन्धनः, (न०) बाड़वान-इभः (पु० ) सूंस शिशुमार । ईश, ईश्वरः, ( पु० ) १ वरुण २ समुद्र [३वासः, ( पु० ) १ परवाह नहर । नाली २ नदी की बाद (~-उदरं, (न० ) जलोदर 1--उरगा, ( स्त्री० ) ओकस् ( पु० ) योकसः, जॉक कराटकः ( पु० ) नन । नाका | घड़ियाल कपिः, (पु० ) गंगा जी की सेंस। -कपोतः, ( पु० ) जलकबूतर | -करङ्क, ( ५० ) १ शङ्ख । २ नारियल ३ बादल ४ लहर ५ कमल | -कल्कः ( पु० ) कीचड़ काकः, (५० ) पानी का कौआ । पानकौड़ी। -- कान्तारः, ( पु० ) वरुण । किराटा, ( पु० ) शार्क मछली / कुक्कुटः ( पु० ) जखमुगे। सुरगावी कुलंज /कुम्ललः, (२०) -कोशः, ( वि० ) सिवार :- कृपी, ( स्त्री० ) १ चश्मा सोता कूप २ तालाव | पोखरा " ३ भँवर 1-कूर्मः, (पु० ) सूस 1 केलिः, ( पु० ) या फीडा, ( श्री० ) जल में का खेल जैसे एक दूसरे पर पानी उली चना ।-किया, ( स्त्री० ) जलतर्पण : गुल्म (पु० ) ३ । २ चौखूंटा तालाव | ३ भँवर सर. (वि० ) ( जलेचर, भी रूप होता है ) जल का ।चरजीक, चर, + आजीव:, (पु० ) वा धीमर माही- गीर-चारिन्, ( पु० ) 1 जल में रहने वाला www