पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/३१८

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चयनम् वयनम् ( न० ) १ पुष्पादिक को बीन कर एक करने की क्रिया २ ढेर | चर् ( धा० पर० ) [ अरति, चरित ३१ चलना। फिरना। इधर उधर घूमना | भ्रमण करना | २ अभ्यास करना। देखना | ३ चरना | ४ खाना । निघटाना। ५ किसी काम में लगना ६ रहना। किसी दशा में रहना। [ निमन्त ] [चारयति] | चरिः (g० ) जन्तु | १ चलाना भेजना | २ भगा देना। ४ अभ्यास | चरित (भू० ० ) १ भ्रमण किया हुआ । घूमा हुआ। करवाना | 1 चर (वि० ) [ स्त्री०-चरी, ] : कॉपसा हुआ थर थराता हुआ। २ जंगम | चलने वाला | ३ जान- वार। जीवधारी | अवर, ( पु० ) स्थावर २ पूरा किया हुआ | अभ्यास किया हुआ ३ उपलब्ध किया हुआ | ४ आना हुआ | भेंट किया हुआ -- अर्थ, ( वि० ) १ सफल / २ सन्तुष्ट ३ पूरा किया हुआ। १ जङ्गम1-अचरम्, (न०) १ संसार | २ आकाश | चरितम् ( न० ) १ गमन | मार्ग । अभ्यास । चाल- अन्तरिच -द्रव्यं ( न० ) हिलाने बुलाने चलन। आचरण। ३ जीवनचरित्र स्वयं लिखित चाला पदार्थ |~~ मूर्तिः, ( पु० ) उत्सव मूर्ति । अपनी जीवनी | इतिहास ( कथा ) | चरः ( पु० ) १ जासूस सेटिगा दूस | २ खंजन चरित्र ( न० ) १ आचरण आदृत | बान | टेव | मङ्गलग्रह | ६ चाल-चलन | करतब २ सम्पादन निर्वाह | पत्ती | ३ जुआ। ४ कौदी | २ मङ्गलवार । चरकः ( पु० ) १ जासूस २ रमता भिचुक । ३ पालन | रक्षा अनुष्ठान ३ इतिहास जीवनी स्वहस्त लिखित जीवनी | वृत्तान्त | साहसिककार्य । आश्चर्म घटना स्वभाव | मिनाज | १ कर्तव्य निर्दिष्ट अनुष्ठान | खंभा | थुन- चरिष्णु ( वि० ) डोलने वाला । क्रियाशील | ४ श्लोक का भ्रमणकारी । 1 आयुर्वेद विशेष ४ पापड़ चरहः ( पु० ) खक्षन पक्षी। चरणः (पु० } } १ पैर । २ सहारा | चरणम् (न० ) 3 किया। मे पृष्ठ मूल एक पाइ ५ चौधाई। ६ वेद की शाखा | ७ जाति । महत्व | (२०) घूमना फिरना। भ्रमण २ सम्पादन अभ्यास ३ चालचलन दर्ताव | ४ सम्पन्नता । ५ भवरा-तं उदकं, ( न० ) जल। जिससे वास या किसी देव मूर्ति के पैर धोये गये है। पैर का धोबन 1- अरविन्द, - कमलं – पद्मं, (न०) कमल जैसे पैर :- श्रायुधः, (पु०) खुर्गा। श्रास्कन्दनम्, ( न० ) कुचरना | पैरों से रुँधना - प्रन्थिः | चचरी ) परिडतों का पाठ ( पु० ) -पर्वन, ( न० ) चर्चारिका ) (स्त्री०) उपनाम्यासः, खेल उत्सव का उल्लास लूसी । ७ घुँघराले बाल । ( पु० ) कदम-पः, ( पु० ) वृक्ष-पतनम्, ( न० ) पैरों पड़ना । - पतित, ( पु० ) पैरों पदना। पैर लगना।-- -शुश्रूषा, सेवा, (स्त्री०) खगढवत नकघिसनी | २ सेवा | भक्ति | चरम ( वि० ) १ अन्तिम आखरी २ पिछला | ३ १ 1 चधिका युवा पुराना | ४ विल बाहिरी | २ पश्चिमी । ६ सद से मीचा या कम । --अचलः, अि ~~दमाभृत् (पु० ) अस्ताचल पर्वत / व्यवस्था ( स्त्री० ) वृद्धावस्था बुढ़ापा - कालः, ( पु० ) मृत्यु की घड़ी। धरमम् ( अव्यया० ) अन्त में आखिर में । नमः ( पु० ) कम्प विशेष हृज्य विशेष | चर्च - चर्च (धा० उभय०) [चर्चयति पढ़ना | सीखना । अध्ययन चर्जति चर्चित करना। [ परस्मै० गाली देना। धिकारना | निन्दा करना । २ बहस करना। विचार करना। चर्चनं (न०) १ अध्ययन पुनरावृत्ति | बारबार पढ़ना। २ शरीर में उबटन या क्षेप करना | गीत विशेष | २ ताल देना । ३ उत्सव के समय के ५ उत्सव ६ चाप चर्चा चर्चिका ( श्री० ) १ पाठ पुनरावृत्ति अध्ययन | बार बार पढ़ना। २ बइस खोज । अनु- संधान | तहकीकात । ३ निदिध्यासन |४ शरीर में चन्दनादि का लेप |