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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/३१२

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घोषयित्नुः घोषयलुः ( पु० ) १ चिल्लाने वाला भाट । बंदी जन २ ब्राह्मण ३ कोकिल । ( ३०५ ) घ्न ( वि० ) [ स्त्री० – मी. ] मारने वाला। हत्या करने वाला। नाशक । विनाशक । घ्रा ( धा० प० ) [ जिघति, प्रात, -घाण ] १ सूंघना | सँध कर जान लेना। ३ धुंबन करना। चक चः ( पु० ) १ चन्द्रमा | २ कछुवा | ३ चोर । (अव्यय०) और। पादपुर्णक ( धा० उभ० ) [ चकति, - चकते, चकित ] अधाना। अफरना। सन्तुष्ट होना रोकना । घड़ना । चकास् (धा० परस्मै० किन्तु कदाचित् आत्मने भी) [चकास्ति, चकास्ते, चकासित, ] चमकना चमकीला होना । २ (आलं० ) प्रसन्न होना और समृद्धशाली होना । ( निजन्त) चमकाना | प्रकाशित करना । चफ ङ नोट- से श्रारम्भ होने वाला संस्कृत में कोई शब्द नहीं है। न्च च संस्कृत वर्णमाला या नागरीवर्णमाला का २२ वाँ | चक्रं ( न० ) १ पहिया | २ कुम्हार का चाक |३ तेली का कोल्हू | ४ भगवान विष्णु का आायुध विशेष ५ वृत्त । मण्डल ६ दल समूह | अक्षर और छठाँ व्यञ्चन और दूसरे वर्ग चवर्ग का प्रथम अक्षर यह भी व्यञ्जन है। इसका उच्चारण स्थान तालु हैं । यह स्पर्शवर्ण है और इसके उच्चारण में श्वास, विवार, घोष और अल्पप्राण प्रयत्न लगते हैं। घाण ( व० कृ० ) संधा हुआ। इन्द्रियं (दि०) आँखों का धंधा किन्तु नाक से सूंघ सूंघ कर जान लेने वाला ।-तर्पण, (वि० ) नासिकाप्रिय | -तर्पणम्, (न० ) सुगन्धि । घ्राणं ( न० ) १ सूचना | २ गन्धि। सुगन्थि । प्रातिः ( स्त्री० ) १ सूंघने की किया । २ नाक | चकित (वि० ) ( भय के कारण ) १ थरथर काँपता हुआ । २ भयमीत चौंका हुआ। ३ भीरु | डर- पोंक। शङ्कान्वित । शङ्कित | ( न० ) एक छन्द जिसके प्रत्येक पाद में १६ अक्षर होते हैं। चकोर: ( पु० ) तीतर की जाति का एक पहाड़ी पक्षी जो कि चन्द्रमा को देख बहुत प्रसन्न होता है। समुदाय | ७ राष्ट्र राज्य प्रान्त । सूबा । जिला। ग्रामों का समुदाय | १ सैनिक व्यूह १० युग | ११ अन्तरिच । ग्राकाशमण्डल | १२ सेना भीवभाड़ । १३ ग्रन्थ का अध्याय १४ भँवर । १५ नदी का घूमधुमाव । -अङ्गः, (पु०) १ राजहंस | २ गाड़ी | ३ चक्रवाक | - अटः, ( पु० ) १ मदारी | सपेरा | २ गुंडा | बदमाश | ठग ३ दीनार या सिक्का विशेष प्राकार, - प्राकृति, (वि०) गोलाकार | गोल । - आयुधः, ( पु०) श्रीविष्णु । - श्रावर्तः, (पु०) भँवर जैसी या चक्करदार गति ।- आहः, (पु० ) आह्वयः, ( पु० ) चक्रवाक | - ईश्वरः, (पु०) १ विष्णु । २ जिले का श्राला अफसर या सर्वोच्च अधिकारी। - उपजीविन, (पु०) तेली ।- कारकं, (न०) १ नाखून । नख । २ सुगन्ध-द्रव्य विशेष ।-गराडुः, ( पु० ) गोल तकिया । — गतिः, ( स्त्री० ) चक्कर चक्करदार चाल या गति । -गुच्छः, (पु० ) अशोक वृक्ष-ग्रहणं, (न०) [स्त्री० ग्रहणी] परकोटा | खाई चर, (वि० ) मण्डल में सं० श० कौ० – ३९