पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२९६

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गुजित गुंजित ( न० ) गुंजार गुजितं. ( २५६ ) गुनगुनाइट 1 गुटिका (सी०) १ गोली । २ गोल स्फटिक । स्फटिक का गुरिया गोला या गेंद ३ रेशम का काया। ४ मोती। अञ्जनं, (न० ) सुर्मा विशेष | गुटी (सी०) देखो गुटिका । ● गुड़: (पु०) १ गुड़ | शीरा राय | चोटा | २ गोला । ३ गेंद | ४ खेलने की गेंद | २ कौर | कवर | ६ हाथी का कवच या जिरहबन्तर । उदकं, (न०) शीरे का शरबत - उद्भवा, (स्त्री०) चीनी शकर प्रोदनम् (न०) मीठा भात |-तृणम्, (३०) --दारुः, (पु०) दारु, ( न० ) गन्ना | ऊख | पिष्ठ (न०) मिठाई विशेष । फलः (पु० ) पीलू का पेड़-शर्करा, (स्त्री०) चीनी--- शृङ्गम् (न०) गुम्मद | कलश। -- -हरीतकी, (स्रो०) शीरे में पड़ी हुई हरे अर्थात् हरे का मुरब्बा | गुडकः ( पु० ) १ गैंद | २ कौर । गुस्सा | ३ शीरा से खीचा हुआ एक प्रकार का अर्क गुड़लं (न०) मदिरा | शराब वह शराब जो शीरे से खींची गयी हो । गुडा (स्त्री०) १ कपास का पौधा | २ गोली । गुडाका (स्त्री) १ सुस्ती । २ निद्रा | गुडाकेशः (पु०) १ नींद को वश में करने वाला | २ अर्जुन | ३ शिव । 1 गुडगुडायनम् (न०) खखारना । गुडेरः (१०) १ गैंद गोखा २ कौर। गस्ला। गुण ( घ० उभय० ) [ गुणयति, गुणयते, गुणित ] १ गुणा करना । २ सलाह देना ३ धामन्त्रण देना । न्योतना । गुणित बार यथा दस बार । १४ गौण | १५ आधिक्य | विपुलता । आतिशय्य १६ विशेषण छ के स्थान में ए, ओ, आ, और थल का आदेश। १७ काव्यालङ्कार शास्त्र में मम्मद ने गुण की परिभाषा यह दी है:- 1 गुणः (50) सिफत (अच्छी या बुरी) १२ भलाई। सुकृति | उत्तमता श्रेष्ठता नामवरी ख्याति । ३ उपयोग | लाभ अच्छाई ४ प्रभाव परि- याम | शुभ परिणाम | ५ डोरा । डोरी | रस्ता । ६ धनुष की प्रत्यक्षा ७ बाजे की डोरी ८ नस ६ लक्षण |10 रजोगुण, तमोगुण, सतोगुण स्वभाव | 19 सूत की बत्ती | तन्तु | १२ इन्द्रिय जन्य विषय (फर्म यथा रूप, रस, स्पर्श और शब्द ) १३ पुनरावृत्ति । गुना । यथा-दसगुना 1 ये रसस्यानो धर्माः शौर्यादय एवात्मनः । उस्ते रखास्थितयो गुणाः ॥ १८ नीति में राजा के लिए ६ गुण बतलाये हैं। यथा-सन्धि, विग्रह, यान, स्थान, आसन, संश्रय और है या द्वैधीभाव । ३६ तीन की संख्या । २० वृतांश की प्रान्तय संयोजक सरल रेखा । २१ ज्ञानेन्द्रिय । २२ पाचक | २३ भीम की उपाधि | २४ त्याग । विराग-कारः, (पु० ) १ कुशल रसोइया जो हर प्रकार के व्यअन बना सके । २ भीम की उपाधि । - ग्रामः, ( पु० ) सद्गुणों का समूह -जयं, त्रियतम्, (न०) सत्य, रजस्, तमस 1-जयनिका, जयनी, ( स्त्री० ) सम्बू | सीमा – वृक्षः, वृक्षक, ( पु० ) मस्तूल या यह खंभा जिससे जहाज या नाव बाँध दी जाती है। --शब्दः, (१०) विशेषण | - सागरः, ( पु० ) अच्छे गुणों का समुद्र अत्यन्त गुणवान् पुरुष । २ ब्रह्म परमात्मा है गुणक: ( पु० ) हिसाब जोड़ने वाला था लगाने बाला| २ वह राशि जिसके साथ गुहा जाता है। गुणनं (न०) १ गुणा । २ गिनती | ३ किसी के सद्- गुणों का बखान । गुणनिका ( श्री० ) १ अध्ययन | पुनरावृति / २ नृत्य या नृत्यकला । ३ ( नाटक की ) प्रस्तावना | ४ माला हार | ५ शून्य सिफर गुग्णनीय (बि०) १ गुणा करने योग्य | २ गिनने योग्य ३ परामर्श देने योग्य । गुणनीय: (१०) अध्ययन । अभ्यास । गुणवत् (वि० ) गुणवान् । श्रेष्ठ | उत्तम । नेफ 1 सुकृत। गुणिका (स्त्री०) गुमदी। गिल्डी गुणित ( ० ० ) : गुप्या किया हुआ ॥२ लगाया हुआ। एकत्र किया हुआ मा हुआ। ३ गिना हुआ। स०० ३७